बुधवार, 25 दिसंबर 2019


  • !!भजन!! 

मिट्टी काली पीली.....हरे वन.....आसमान का रंग नीला,
सूर्य सुनहरा चन्द्रमा शीतल.....सबकुछ उसकी है लीला

सबके भीतर स्वंय छुप गया.....सृजनहार सृष्टि का है,
जिसको हम परमात्मा कहते.....ये सब खेल उसी का है

क्षण भर को भी नहीं छोड़ता.....सदा हमारे साथ में है,
काया की स्वांसा डोरी का.....तार उसी के हाथ में है

हँसना - रोना, मरना - जीना.....सब उसकी मरजी का है,
जिसको हम परमात्मा कहते.....ये सब खेल उसी का है।।

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

मंगलवार, 12 नवंबर 2019

!!भजन!!
देख लिया संसार हमने देख लिया,
सब मतलब के यार हमने देख लिया

तन निरोग धन जेब में  जब तक,
मन से सेवा करोगे जब तक
मानेगा परिवार हमने देख लिया,
देख लिया संसार हमने देख लिया -2

जिस जिस का विश्वास किया है,
उसने हमें निरास किया है
बनकर रिश्तेदार हमने देख लिया,
देख लिया संसार हमने देख लिया-2

कही चोट लगजाये न तन को,
सभी समझते है निर्धन को
गिरती हुई दीवार हमने देख लिया,
देख लिया संसार हमने देख लिया-2

प्रतिभा का कुछ मोल नहीं है,
सफल सिध्द अनमोल वही है
जिसका प्रबल प्रचार हमने देख लिया,
देख लिया संसार हमने देख लिया-2

संतो का संदेश यही है
मूल मंत्र हरि ओम यही है
हरि सुमिरन है सार हमने देख लिया
देख लिया संसार हमने देख लिया-2

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019

!!भजन!!
किस लिए आस छोड़े, कभी ना कभी
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे
नाथ कब तक रहेंगे कड़े एक दिन,
देखकर प्रेम आंसू पिघल जाएंगे
किस लिए आंस छोड़ें...

सबरी केवट जटायु अहिल्याजी के,
पास पहुंचे स्वयं छोड़कर के अवध
ये हैं घटनाएं सच तो भरोसा हमें,
खुद-ब-खुद आप आकर के मिल जाएंगे
किस लिए आंस छोड़ें...

दर्श देने को रघुवर जी आएंगे जब,
हम ना मानेंगे अपनी चलाये बिना
जाने देंगे ना वापिस किसी शर्त पर,
बस कमल पद पकड़कर मचल जाएंगे
किस लिए आंस छोड़ें...

फिर सुनाएंगे खोटी-खरी आपको,
और पूछेंगे देरी लगाई कहां?
फिर निवेदन करेंगे न छोड़ो हमें,
प्रभु की जूठन प्रसादी पे पल जाएंगे
किसलिए आंस छोड़ें...

स्वप्न साकार होगा तभी राम जी,
"जन" पे हो जाए थोड़ी कृपा आपकी
पूर्ण कर दो मनोरथ यह "राजेश" का,
जाने कब प्राण तन से निकल जाएंगे

किसलिए आस छोड़ें कभी ना कभी,
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

!!भजन!! 
रघुनाथ जी हो जिसकी बिगड़ी बनाने वाले,
क्या फ़िर बिगाड़ सकते, उसका ज़माने वाले....
कैसा भी वक़्त आये परवाह क्यों  करेगा,
रखवाले बन के बैठे हनुमंत  गदा वाले....
बल अपना कुछ नहीं है,अभिमान क्या करे हम ,
रघुवर कृपा का बल है जो चाहे आजमाले...
निंदा हो चाहे स्तुति कुछ फ़र्क नहीं पड़ता,
अलमस्त हो गये जो पीकर के प्रेम प्याले....
'' राजेश '' पतन कर दे कलियुग की क्या है ताकत्,
मैय्या ही जिसको अपनी गोदी में जब बिठाले....

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

सोमवार, 16 सितंबर 2019

!!भजन!! 
मन मतवाले सोच जरा क्या देख लुभाया दुनिया में,
जो भी आया उसने जीवन व्यर्थ गंवाया दुनिया में....
योनि अनेको में भटका तब तरह तरह का कष्ट सहा,
रक्त माँस मल और मूत्र में मातु गर्भ के बीच रहा,
नौ महिने तक नरक भोगकर नरतन पाया दुनिया में.... जो भी आया... ..
बचपन की अग्यान अवस्था बीती हंसने रोने में,
कभी रूठना कभी मचलना कभी जागने सोने में,
बालापन का सार यही बस खेला खाया दुनिया में...
जो भी आया....
आयी जवानी ब्याह हुआ तब नारी से चित जोड़ लिया,
जिसने तुझको जनम दिया तूने साथ उन्ही का छोड़ दिया,
मातु पिता की दाया का ये बदला चुकाया दुनियां में...
जो भी आया.....
उम्र ढली क्रशकाय हुआ पर तृष्णा दिन दिन अधिक बढ़ी,
पुत्र मित्र परिवार आदि की प्रबला शक्ति शीश चढी,
मानव तन का सार है क्या ये समझ न पाया दुनिया में..
जो भी आया.....
अपना जिसे '' राजेश ''  कहा तू हाय उन्ही से छला गया,
मुट्ठी  बांधे आया था हाथ पसारे चला गया,
नियम यही जो फूल खिला इक दिन मुर्झाया दुनिया में....
जो भी आया दुनिया में..... राम सिया राम सिया राम..

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

!!भजन!! 
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन ,
कृपा के बिना काम चलता नहीं ....
निराशा निशा नष्ट होती ना तब तक,
दया भानु जब तक निकलता नहीं...
दमित वासनाये अमित रूप ले जब,
अंतः करण में उपद्रव मचाती,
तब फ़िर कृपासिंधु श्री राम जी के
अनुग्रह बिना काम चलता नहीं.....
म्रगवारी जैसे असत इस जगत से
पुरुषार्थ के बल पे बचना है मुश्किल
श्री हरि के सेवक जो छल छोड़ बनते
उन्हें फ़िर ये संसार छलता नहीं है.....
सद्गुरू शुभाशीष पाने से पहले
जलता नहीं ग्यान दीपक भी घट में
बहती न तब तक समर्पण की सरिता
अहंकार जब तक की गलता नहीं.....
'' राजेश्वरानन्द '' आनंद अपना
पाकर ही लगता है जग जाल सपना
तन बदले कितने भी पर प्रभु भजन बिन
कभी जन का जीवन बदलता नहीं....

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

गुरुवार, 12 सितंबर 2019

कुछ समझ आता नही है क्या करें
दिल सुक़ू पाता नही है क्या करें
आता नही है जो मेरी नज़रो के सामने
दिल से वो जाता नही है क्या करें
समझा रहे है जो किसी दीवाने को उन्हें
कोई समझाता नही है क्या करें
"राजेश" कर रहे है अब तो वो भी उनकी बात
जिनका कुछ नाता नही है क्या करें।

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!!भजन!! 
कारे कारे केश कैद करत रसिक चित्त,
भौंह करे काम जनु काम की कमान को...
नयन सरोज लखि लाजै द्रग खंजन के,
नासिका करत नास कीर के गुमान को..
भनत '' राजेश '' दंत  पन्गती दमक दूर्,
करे अभिमान चपला की चमकान को...
घायल भई हौ काल राम रघुवीर जू ने,
मारयो उर वीर तीर तीरछी तकान को....

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

बुधवार, 11 सितंबर 2019

!!भजन!!
काया कुटिया निराली जमाने भर से,
दस दरवाजे वाली, जमाने....
सबसे सुन्दर आंख की खिड़की, जिसमे पुतली काली
जमाने भर से....
सुनते श्रवण नासिका सून्घे,वाणी करे बोला चाली
जमाने भर से.....
मुख के भीतर रहती रसना, षट् रस स्वादो वाली
जमाने भर से....
लेना देना कर करते,  पग चाल चले मतवाली
जमाने भर से.....
सर्दी गरमी कड़ा मुलायम ,त्वचा जानने वाली
जमाने भर से......
काम क्रोध मद लोभ आदि से बुद्धि करे रखवाली
जमाने भर से....
इस कुटिया का नित्य किराया, स्वान्स चुकाने वाली
जमाने भर से.....
करि के संग इन्द्रियों का मन बन बैठा जन्जाली
जमाने भर से.....
जन '' राजेश '' मोह मत करना, करना पड़ेगी ये खाली
जमाने भर से...... काया कुटिया निराली जमाने भर से...

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

मंगलवार, 10 सितंबर 2019

!!भजन!!
कैसे कैसे नज़ारे देखे हैं, झुठे सच्चे सहारे देखे हैं....
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी की नदिया के,
खुशी गम दो किनारे देखे हैं....
जो कभी थे सितारे हिन्द उनके भी,
गर्दिशो में सितारे देखे हैं...
पास आने पर जो डुबो ही डाले ,
ऐसे भी कुछ किनारे देखे हैं .....
बातों बातों में बात बन जाती,
मुर्शिदो के इशारे देखे हैं....
सुखी देखी नहीं '' राजेश '' उनकी आंखें ,
जो भी बन्दे तुम्हारे देखे हैं.....

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

सोमवार, 9 सितंबर 2019

!!भजन!!
जीवन है तेरे हवाले मुरलिया वाले,
अपने चरण का दास बनाके,
वृंदावन में बसा ले,मुरलिया वाले....
हम कठपुतली तेरे हाथ की,
जैसे भी चाहे नचा ले,मुरलिया वाले.....
मेरे अपने हुये न अपने,
अब तो तुही अपनाले,मुरलिया वाले....
जन '' राजेश '' की अरज यही है,
कर गह कन्ठ लगाले,मुरलिया वाले....
जीवन है तेरे हवाले,मुरलिया वाले...

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏 
!!भजन!! 
जैसे रखें राम जी रहना चाहिये
मान अपमान सब सहना चाहिये.
चाहते आराम हो तो रोज ही सुबह शाम ,
सीताराम सीताराम कहना चहिये.... जैसे रखे.
अनुकूल प्रतीकूल दोनों ही कूलो के मध्य ,
सरिता समान सदा बहना चाहिये.... जैसे रखे.
रहो सदा शान से भरोसे भगवान के,
काल के भी डर से न डरना चाहिये.... जैसे रखे.
देह का अध्यास छोड़ ममता से मुखमोड़ ,
हो के मुक्त महि में विचरना चाहिये.... जैसे रखे.
रंक हो '' राजेश '' हो की देश परदेश हो,
समता ही चित्त में उभरना चाहिये... जैसे रखे....


  1. 🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

रविवार, 8 सितंबर 2019

!!भजन!!
सब जग को रही नचाये,हरिमाया जादूगरनी
अति अदभुत खेल रचाय्, हरिमाया जादूगरनी..
कोऊ याको पार ना पावे, यह सबको नाच नचावै
दुख में सुख को दरसाये, हरिमाया जादूगरनी.....
जाके बस में चराचर नाचै कोई कृपा पात्र जन बान्चे
जेहि सद्गुरू लेहि बचाय्,हरिमाया जादूगरनी.....
जब पन्थ न कोई सूझे तब जाये गुरु जी से बूझे,
बचिवै को कौन उपाय्, हरिमाया जादूगरनी....
जो राम नाम नित बोले सो यासो निर्भय डोले
दई गुरुवर गैल बताय्, हरिमाया जादूगरनी.....
नहि और कछु बस मेरो ''राजेश '' चरन को चेरो
गुरु कृपा पै बलि बलि जाय्, हरिमाया जादुगरनी.....

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

  • !!भजन!! 

सीताराम सीताराम सीताराम गाये जा,
राम जी के चरणों में मन को लगाये जा..
छोड़ सभी रिश्ते बस मान यही नाता
पिता रघुनाथ जी श्री जानकी जी माता
इसी भाव गंगा में डुबकी लगाये जा..
सीताराम..
दुनिया भर में काहे भटकता,
द्वारे द्वारे सीस पटकता
राम जी के द्वार पर ही अलख जगाये जा..
सीताराम.....
क्या आशा करना जन जन की,
दया दृष्टि सब रघुनन्दन की
प्रभु की कृपा से नित मौज उड़ाये जा..
सीताराम......
नहि '' राजेश '' रंक कोई अपने,
ये सब खुली आंख के सपने,
सद्गुरू  वचन सदा चित् लाये जा..
सीताराम सीताराम सीताराम गाये जा...

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!!भजन!!
मन सीतराम जप लो घड़ी घड़ी ,
है भव रोग मिटाने वाली राम नाम एक सफ़ल जड़ी ..
मन सीताराम......
भक्ति ग्यान बैराग्य मिलेगा,बात बनेगी सब बिगड़ी..
मन सीताराम......
जीवन में आती हरियाली,जब राम नाम रस लगे झड़ी..
मन सीताराम.......
नाम प्रभु का कभी ना लेता ,बातें करता बड़ी बड़ी..
मन सीताराम....
जन '' राजेश '' वो सफ़ल जिंदगी, जुगल चरण जो आन पड़ी..
मन सीताराम जपलो घड़ी  घड़ी.....

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

बुधवार, 4 सितंबर 2019

!!भजन!! 
सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे
मोहे मीठो-मीठो सरयू जी को पानी लागे
धन्य कौशला धन्य कैकयी धन्य सुमित्रा मैया
धन्य भूप दसरथ जी के आंगन खेलत चरिउ भैया
मीठी तोतली रसीली प्रभू वाणी लागे.....

मोहे मीठो मीठो सरयू जी को पानी लागे
रंगमहल हनुमान गढी, मणि राम छावनी सुन्दर
स्वयं जगत के मालिक बैठे कनक भवन के अंदर
सीताराम जी की शोभा सुखखानी लागे....

मोहे मीठो मीठो सरयू जी को पानी लागे
सहज सुहावन जन्मभूमि श्री रघुबर रामलला की
जानकी महल शुचि सुन्दर शोभा लछ्मन जू के किला की
यहाँ के कण कण से तो प्रीति पुरानी लागे.....

मोहे मीठो मीठो सरयू जी को पानी लागे
जय सियाराम दण्डवत भैया,मधुरी बानी बोले
करें कीर्तन संत मगन मन गली गली में डोले
सीताराम नाम धुन प्यारी मस्तानी लागे.....

मोहे मीठो मीठो सरयू जी को पानी लागे
प्रभू पद प्रीति प्राप्त करते सब पीकर श्रीहरि रस को
जन '' राजेश '' रहे नित निर्भय फ़िकर कहो क्या उसको
जिसको माता पिता रघुराज सिया महारानी लागे.....
मोहे मीठो मीठो सरयू जी को पानी लागे
सीताराम जी की प्यारी रजधानी लागे  मोहे......

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!!भजन!! 
हे मुरलीधर छलिया मोहन हम भी तुमको दिल दे बैठे
ग़म पहले से ही कम तो ना थे एक और मुसीबत ले बैठे
हे मुरलीधर...

दिल कहता है तुम सुन्दर हो, आंखे कहती हैं दिखलाओ
तुम मिलते नहीं हो आकर के हम कैसे कहे देखो ये बैठे
हे मुरलीधर...

महिमा सुनकर बेचैन हैं हम तुम मिल जाओ तो चैन मिले
मन खोज के भी तुम्हे पाता नहीं,तुम होकि उसी मन में बैठे... हे मुरलीधर.....

''राजेश्वर ''राजा राम तुम्ही प्रभु योगेश्वर घनश्याम तुम्ही
धनुधारी बने कभी मुरली बजा जमुना तट निर्जन में बैठे
हे मुरलीधर छलिया मोहन हम भी तुम को दिल दे बैठे...

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

सोमवार, 2 सितंबर 2019

!!भजन!!
इस संसार की गतिविधियों पर नहि अधिकार किसी का है
जिसको हम परमात्मा कहते, ये सब खेल उसी का है

छणभर को  भी नहीं छोड़ता,सदा हमारे साथ में हैं
काया की स्वान्सा डोरी का तार उसी के हाथ में है,

हंसना-रोना,जीना-मरना सब उसकी मर्जी का है
जिसको हम परमात्मा कहते, यह सब खेल उसी का है

निर्धन धनी,धनी हो निर्धन ,ग्यानी मूढ,मूरख ग्यानी,
सब कुछ अदल-बदल देने में कोई नहीं उसका सानी

समझदार भी समझ सके ना ऐसा अजब तरीका है
जिसको हम परमात्मा कहते, यह सब खेल उसी का है

मिट्टी काली पीली हरे बन्,आसमान का रंग नीला
सूर्य सुनहरा चन्द्रमा शीतल, सब कुछ उसकी ही लीला

सबके भीतर स्वयं छिप गया, सृजनहार सृष्टि का है
जिसको हम परमात्मा कहते यह सब खेल उसी का है

'राजेश्वर आनंद'अगर सुख चाहो तो मानो शिक्षा
तज अभिमान मिला दो उसकी इच्छा में अपनी इच्छा

यही भक्ति का भाव है प्यारे, सूत्र यही मुक्ती का है
जिसको हम परमात्मा कहते, यह सब खेल उसी का है
राम सिया राम राम सिया राम राम सिया राम...
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!!भजन!!
ये तन कीमती है मगर है विनाशी, कभी अगले क्षण के भरोसे न रहना।
निकल जाएगी छोड़ काया को पल में, सदा श्वास धन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर

एक क्षण में योगी, एक क्षण में भोगी, पलभर में ग्यानी पल में वियोगी।
बदलता जो क्षण -क्षण में  है वृत्ति अपनी, कभी अपने मन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है मगर

हम सोचते काम दुनियाँ के कर लें, धन-धाम अर्जित कर नाम कर लें।
फिर एक दिन बन के साधू रहेंगे, उस एक दिन के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर

तुझको जो, मेरा- मेरा कहेंगे,जरूरी नहीं वह भी, तेरे रहेंगे....
मतलब से, मिलते है, दुनियाँ के, साथी, सदा इस मिलन के भरोसे न रहना.ये, तन कीमती है, मगर

"राजेश" अर्जित गुरु ज्ञान कर लो, या प्रेम से राम गुणगान कर लो।
वरना श्री राम नाम रटो नित नियम से, किसी अन्य गुण के भरोसे न रहना।। ये, तन कीमती है, मगर

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

रविवार, 1 सितंबर 2019

!!भजन!! 
 सोहें कनक सिंहासन   सीताराम निहार,  सजनी
जिनके चरण- कमल में बैठे, पवनकुमार,सजनी
चापें चरण, नयन बरसावें,   प्रेमरस धार, सजनी
शिवजी दासभाव हित, लिए स्वयं अवतार,सजनी
सोहें कनक सिंहासन

ठाढ़े छत्र लिए, कर भरत,भक्ति भण्डार, सजनी
रिपुदमन डुलावैं चँवर,   हाेंय बलिहार,  सजनी
सोहैं  कनक सिंहासन

लीन्हें लखनलाल,कर विजन,करत हैं बयार, सजनी
बाबा  तुलसी,  प्रेमसे,  जय जय रहे उचार, सजनी
सोहैं कनक सिहासन

विनती  करत  दीन  'राजेशहु',   बारम्बार, सजनी
हमरे हृदय कमल में, बसैं युगल सरकार, सजनी
सोहैं कनक सिंहासन

सोहै कनक सिंहासन सीताराम, निहार सजनी
जिनके चरणकमल में, बैठे, पवनकुमार, सजनी
सोहैं कनक सिंहासन
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!! भजन !!
रुन झुन रुन झुन रुन झुन बाजे पग पैजनिया
अंगनैया बिहरे रामलला....

दुइ दुइ दसन दामिनि जैसे दम दम दम दम दमके
कर कंजन कंचन के कंगना चम चम चम चम चमके
सोहे रुचिर हिये मनि माल कमर करधनिया
अंगनैया बिहरे रामलला...

स्याम सरोज सुहावनि काया पहिरे झँगुली पीली
झीन झँगुलिया के भीतर सौ आभा झलके नीली
धनि धनि भाग भुशुंडि काग लखे किलकनिया
अंगनैया बिहरे रामलला...

हर हिय हरत मनोहर मंजु मधुर मुसकनिया
अंगनैया बिहरे रामलला...
धन्य अवध धन धन नृप दसरथ
धनि धनि तीनहु मैया
धन्य धन्य सब देखन हारे
खेलत चारिहु भैया
चाहत जन ' राजेश ',प्रभु की चरन रजकनिया
अंगनैया खेले रामलला....

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!!भजन!!
सिर पर सीताराम फ़िकर फ़िर क्या करना
 तेरे बिगड़े बनेगे काम्,फ़िकर फ़िर क्या करना

पितु रघुबर श्री जानकी मैया,फ़िर क्यों परेशान हो भैया
तेरे कटेगे कष्ट तमाम्,फ़िकर फ़िर क्या करना

जो जन रामकथा सत्संगी,उनके सहायक श्री बजरंगी
अतुलित बल के धाम ,फ़िकर फ़िर क्या करना

अब ' राजेश ' ना आह भरो तुम, नहीं व्यर्थ परवाह करो तुम
रटो राम जी का नाम, फ़िकर फ़िर क्या करना
सिर पर सीताराम, फ़िकर फ़िर क्या करना.......

 🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!!भजन !! 
गुण दोष से दृष्टि हटाकर जग राम सियामय देखो
मन में विश्वास जगाकर जग राम सियामय देखो

है अनेक में एक का होना,जैसे आभूषण में सोना
इसीलिये समता का भाव जगाकर, जग राम सियामय देखो

वही दृश्य है,वही है द्रष्टा, वही सृष्टि है वही है सृष्टा
गुरु ग्यान का दीप जलाकर जग राम सियामय देखो

अपने अमित रूप प्रकटाये ,वही हैं छुपकर सामने आये,
सत्संग की गंग नहाकर जग राम सियामय देखो

जड़ चेतन सबका तन धारे,प्रगटे सीताराम हमारे
प्रभु प्रेम में अश्रु बहाकर,जग राम सियामय देखो

जन 'राजेश' तजो मनमानी,सियाराम मय सब जग जानी
इसीलिये तुलसी की वाणी गाकर जग राम सियामय देखो...........
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!!भजन!! 
ठहरी नहीं ये उम्र भी ढलती चली गयी..
आदत पुरानी लीक पे चलती चली गयी

हम चाहते थे होवे हरी की उपासना..
दिन रात मगर वासना छलती चली गयी

दुनिया में दिखा सब कुछ लेकिन मिला न कुछ..
बेबस जवानी हाथ भी मलती चली गयी

सोचा था संभल जायेंगे सुधरेंगे मगर फिर..
गलती पे गलती बस होती चली गयी

"राजेश्वर" श्री राम की जिनपे हुई कृपा..
केवल उन्ही की ज़िन्दगी फलती चली गयी

 🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

रविवार, 18 अगस्त 2019

 तु खुदा तो नहीं हो गया
फैन होना अलग बात है-2,
फिदा तो नहीं हो गया।

दूर हम दूर तुम रहते हैं-2,
पर जुदा तो नहीं हो गया।

अब हुई चल बिदाई हुई-2,
अलविदा तो नहीं हो गया।

तुझको माना अलग बात है-2,
तु  खुदा तो नहीं हो गया।।

सोमवार, 5 अगस्त 2019

रफ्ता रफ्ता इश्क़ में बेआबरु हुए
पहले आप
आपसे तुम
तुमसे तू हुए

कोई बेसबब, कोई बेताब, कोई चुप, कोई हैरान,
ऐ जिंदगी तेरी महफिल के तमाशे खत्म नही होते।

" हर कोई तो उलझा है किसी न किसी काम में , कोई वक़्त निकाले तेरे लिए तो ये बड़ी बात है । "

" मोहब्बत को इल्ज़ाम हर बार मत दो , कुछ तो लापरवाही तेरी भी रही होगी । "
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
!!भजन!! 
साथी है मित्र गंग के ,जल बिन्दु पान तक ।
अर्धगानीं बढ़ेगी तो,केवल मकान तक ।
परिवार के सब लोग चलेंगे ,शमशान तक।
बेटा भी हक़ निभायेगा तो ,अग्नि दान तक ।।
        इससे तो आगे भजन ही है साथी ।
         हरि के भजन बिनु अकेला रहेगा ।।
रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा।
क़ायम न जग का झमेला रहेगा ......
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
*आदमी में क्या रखा है अहसास मर जाने के बाद😕*
*कद्र मोती की रही ना पानी उतर जाने के बाद 🧿*
*जब कभी रुत आयेगी, याद आऊँगा मैं बहुत🥰*
*मेरी तस्वीरों से मिलना, मेरे मर जाने के बाद⚰*
*दोस्तो तुम अपने-2 खेल में खो जाओगे,🎐*
*मैं अकेला ही रहूँगा अपने घर जाने के बाद🚪🥰🙏🏻*
🙏🙏🙏

सोमवार, 10 जून 2019

!!भजन!! 
मुझसे अधम अधीन उबरे न जाएँगे,
तो आप दीनबंधु पुकारे न जाएँगे।
जो बिक चुके हैं और ख़रीदा है आपने
अब वह गुलाम ग़ैर के द्वारे न जाएँगे।
पृथ्वी के भार आपने सौ बार उतारे,
क्या मेरे पाप भार उतारे न जाएँगे।
खामोश हूँगा मैं भी गर आप ये कह दो,
अब मुझसे पातकी कभी तारे न जाएँगे।
तब तक न चरण आपके संतोष पाएँगे,
दृग ‘बिन्दु’ में जब तक ये पखारे न जाएँगे।
!!भजन!! 
भक्त बनता हूँ मगर अधमों का सिरताज भी।
देखकर पाखंड मेरा हंस पड़े ब्रजराज भी।
कौन मुझसे बढकर पापी होगा इस संसार में।
सुन के पापों कि कहानी डर गये यमराज भी।
क्यूं पतित उनसे कहे सरकार तुम तारो हमें।
हैं पतितपावन तो रक्खेंगे अपनी लाज भी।
‘बिन्दु” दृग के दिल हिलादें क्यों न दीनानाथ का।
दर्द दिल भी साथ है औ’ दुखभरी आवाज भी।
!!भजन!!
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं।
कहा घनश्याम में उधौ कि वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान का तत्व समझाना।
विरह की वेदना में वे सदा बेचैन रहती हैं,
तड़पकर आह भर कर और रो-रोकर ये कहती है।
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं॥1॥

कहा हँसकर उधौ ने, अभी जाता हूँ वृन्दावन।
जरा देखूँ कि कैसा है कठिन अनुराग का बंधन,
हैं कैसी गोपियाँ जो ज्ञान बल को कम बताती हैं।
निरर्थक लोकलीला का यही गुणगान गातीं हैं,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं॥2॥

चले मथुरा से दूर कुछ जब दूर वृन्दावन नज़र आया,
वहीं से प्रेम ने अपना अनोखा रंग दिखलाया,
उलझकर वस्त्र में काँटें लगे उधौ को समझाने,
तुम्हारे ज्ञान का पर्दा फाड़ देंगे यहाँ दीवाने।
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं॥3॥

विटप झुककर ये कहते थे इधर आओ इधर आओ,
पपीहा कह रहा था पी कहाँ यह भी तो बतलाओ,
नदी यमुना की धारा शब्द हरि-हरि का सुनाती थी,
भ्रमर गुंजार से भी यही मधुर आवाज़ आती थी,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं॥4॥

गरज पहुँचे वहाँ था गोपियों का जिस जगह मण्डल,
वहाँ थी शांत पृथ्वी, वायु धीमी, व्योम था निर्मल,
सहस्रों गोपियों के बीच बैठीं थी श्री राधा रानी,
सभी के मुख से रह रह कर निकलती थी यही वाणी,
है प्रेम जगत में सार और सार कुछ नहीं॥5||

मंगलवार, 4 जून 2019

राम कहने से तर जाएगा,
पार भव से उत्तर जायेगा ।

उस गली होगी चर्चा तेरी,
जिस गली से गुजर जायेगा ।
राम कहने से तर जाएगा...

बड़ी मुश्किल से नर तन मिला,
कल ना जाने किधर जाएगा ।
राम कहने से तर जाएगा...

अपना दामन तो फैला ज़रा,
कोई दातार भर जाएगा ।
राम कहने से तर जाएगा...

सब कहेंगे कहानी तेरी,
जब इधर से उधर जाएगा ।
राम कहने से तर जाएगा...

याद आएगी हर पल तेरी,
काम ऐसा जो कर जाएगा ।
राम कहने से तर जाएगा...
!!भजन!! 
हम सोचते काम दुनिया के करले।
धन धाम अर्जित कर, नाम करले।
फिर एक दिन बनके साधु रहेंगे।
कभी उस दिन के भरोसे न रहना।
बदलता जो क्षण क्षण मन वृत्ति अपनी।
कभी अपने मन के भरोसे न रहना।
ये तन किमती है, मगर है विनाशी।
कभी अगले क्षण के भरोसे न रहना।

🙏श्री स्वामी राजेश्वरानंद जी महाराज🙏

सोमवार, 3 जून 2019

*प्रेस और इंप्रेस*
दो शब्द हैं प्रेस और इंप्रेस।
प्रेस मतलब किसी पर दबाव बनाना, इंप्रेस मतलब किसी को खुश करना। दोनों ही परिस्थिति में हम खुद को ही बदलते हैं।
प्रेस करने के लिए हम अपने आप को ऐसा बनाते हैं कि दूसरा व्यक्ति डर सके अथवा दबाव में आ जाए और इंप्रेस करने के लिए भी हम खुद को ही बदलते हैं और ऐसा बनाते हैं कि जिससे दूसरे व्यक्ति को अच्छा लग सके।
अतः दोनों ही परिस्थितियों में हमें खुद को ही बदलना पड़ता है वह भी दूसरों के लिए और कुछ समय के लिए उसके बाद व्यवहार पुनः स्थिति में आ जाता है। हां कुछ असर जरूर रहता है लेकिन वह ऐसे जैसे किसी घर पर हम नया रंग कर दें और कुछ बारिशों के बाद में वह धुल जाता है।
इसका तात्पर्य यह समझा जा सकता है कि हम खुद को दूसरों के लिए बदलने में पूरी *जिंदगी* निकाल देते हैं *कभी प्रेस करने में कभी इंप्रेस करने में यदि हम जैसे हैं वैसे ही रहें या खुद को खुद ही के लिए बदले तब कुछ बात बन सके क्योंकि *खुद को खुद ही ढूंढना खुदा से मुलाकात एक बहाना हो सकता है*
🙏🏻ये बात किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है वरन यह स्वयं किए हुए विचार हैं स्वयं के लिए🙏🏻

*हम ही से भूले, हम ही में भूले
हमें ढूंढने, हम ही चले
हम ही ने खोजा, हम ही न पाया
हमें मिले तो, हम ही मिले
🙏🏻आपका देव🙏🏻

सोमवार, 29 अप्रैल 2019

!!पद!!

सूर अनेक फिरे कन मांगत,
पर पद सूर सो स्वाद कहां।
पुनि ताल मजीरा बजाती फिरे,
मीरा मतवारी सीता कहां।
सिया राम कथा कितनों ने लिखी,
तुलसी जैसी मरजात कहां।
नरसिंह बसे प्रतिखंम्बन में,
पर काढन को प्रहलाद कहां।।
 महामंत्र
महामंत्र यह जपकर हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत्
असुरों ने जब अग्नि का खंभा रचा था,
तो निर्दोष प्रहलाद क्यों कर बचा था
कौन सा शब्द उसकी जुबान पर,
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

लगी पूछने जब हिमाचल कुमारी,
कि है कौन सा मंत्र कल्याणकारी
तो यूं बोले महादेव शंकर,
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

लगी आग लंका में हलचल मचा था
क्यों कर घर विभीषण का बचा था,
लिखा था नाम कुटिया के ऊपर यही था
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

सुना था हमने गणिका तरी थी,
कहो उसने कौनसी भक्ति करी थी
पढ़ाया नाम तोते को यही उसने,
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

कहो नाथ शबरी के घर क्यों आए
अगर आए भी तो झूठे बेर क्यों खाए
ह्रदय में यही था दिल में यही था जब़ाँ पे यही था
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

हलाहल का मीरा ने प्याला पिया था
कहो विश का अमृत है या क्यों कर किया था,
दीवानी थी मीरा इसी नाम की
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

सभा में द्रोपती खड़ी रो रही थी
तो लज्जा के आंसुओं से मुंह धो रही थी
पुकारा था नाम दिल से उसने,
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

हरिओम ने इतनी शक्ति भरी थी
गरुड़ छोड़ आए न देरी करी थी,
बढ़ा चीर उसका यही रंग रंगा था
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

अगर घेरे चांडाल दुष्ट कोई
न हो पास तकदीर से ढाल कोई
तो भय दूर हो बोल उठे जो संभव कर
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

हरिओम की एक माला बनाकर
जपो  रात दिन अपने दिल को लगा कर
करो कीर्तन और यह नाम गाओ
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

परम पूज्य संत श्री नित्यास्वरूपाचार्य जी महाराज के श्री मुख से
 पुष्पांजलि
हे दीनबंधु दयालु रघुवर दीन हित रत सर्वदा
भव हरण तारण तरण अशरण शरण जनमंगल प्रदा
हे कृपा सिंधु अनाथ नाथ कृपाल कोमल चित सदा
हे पतित पावन अघन सावन हरण दासन आपदा
हे देव रंजन असुर भंजन धरन धरनी मंगलम्
हे जगतपति जगदीश जगहित करण करुणा कोमलं
हे नाथ कलि काल ग्रसित व्याकुल सिया सपन जन रावरे
हां त्राहिमाम प्रभु त्राहिमाम प्रभु शरण आयो बावरो।।

सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत्।।
पुज्य संत श्री नित्यास्वरूपाचार्य जी महाराज के श्री मुख से
भरोसा कर तू ईश्वर पर, तुझे धोखा नहीं होगा।
यह जीवन बीत जाएगा तुझे रोना नहीं होगा।।
कभी दुख है कभी सुख है यह जीवन धूप छाया है।
हंसी में ही बता डालो बितानी ही यह माया है।।
जो सुख आये तो हंस देना, जो दुख आए तो सह लेना।
ना कहना कुछ कभी जग से, प्रभु से ही तु कह लेना।।
भरोसा कर तु ईश्वर पर तुझे धोखा नहीं होगा।।
पुज्य संत श्री नित्यास्वरूपाचार्य जी महाराज के श्री मुख से

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

 नरसी जी के सेठ साँवल साह जी
सिद्धश्री जूनागढ़ के, भक्तराज नरसी को
कहींयो हमारी जाए... जय नरसी की
संतन की हुंडी पटाए, याद कीन्हों मोहे
बात यह हीय मे लागी अति नीकी है

भेजत संदेशो, किंतु खुद आवत नाही,
यही खटकत हिय मे वेदना बड़ी फीकी है
जान के मुनीम... फिर याद करना हमें
कामकाज लिखना, यह दुकान आप ही की है
      "आपका मुनीम सेठ सांवल साह द्वारिका"
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंद जी के श्रीमुख से🙏
 केदार राग उधारी चुका के लाये 🙏🙏🙏

रविवार, 17 मार्च 2019

!!भजन!! 
चाह पैसों से आनों में आती रही
चाह आनों से रुपया बनाती रही
चाह रुपयों से नोट भुनाती रही
चाह नोटों से कोठी चुनाती रही
चाह कोठी में मोटर मंगाती रही
चाह मोटर से होटल में जाती रही
चाह होटल में बोतल खुलाती रही
चाहा क्या - क्या न करती कराती रही
अरे चाह पा ली जिन्होंने वो पीले हुए
चाह छोड़ी जिन्होंने रसीले हुए
चाह "जर" से लगी जी जरा हो गया
चाह "हरी" से लगी जी हरा हो गया
चाह उनकी हरदम हमको चाहिए
और वो अगर चाहे तो हम को क्या चाहिए।।

गैर मुमकिन है कि दुनिया अपनी मस्ती छोड़ दे
इसलिए ए-दिल तू ही बेकार की बस्ती छोड़ दे,
खूब तरसाया है तेरी ख्वाहिश ने तुझे
तू ही ख्वाहिशों को कुछ तरसती छोड़ दे।।

 *महाराज श्री स्वामी राजेश्वरानंन्द जी के श्रीमुख से*

शनिवार, 9 मार्च 2019

🙏नारी शक्ति🙏
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है

जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इनको वस्त्र तू 
ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक़ नहीं
कि ले परीक्षा तेरी
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है

जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है

चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कंपकंपाएगा 
अगर तेरी चूनर गिरी
तो एक भूकंप आएगा
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
तनवीर ग़ाज़ी

शुक्रवार, 1 मार्च 2019

🙏लक्ष्मण और सुमित्रा जी🙏
तात तुम्हार मात वैदेही,
पिता राम सब भात सनेही।।

जाना चाहते हो श्री राम जानकी के संग,
जाना तो परंतु मेरे दूध को ले जाना मत
सोना तो सुलाके, किंतु जाग जाना पहले ही,
दोनों को खिलाएं बिना तिनका भी खाना मत
माता-पिता जानना सदैव सिया राघव को,
भूल कर भी पुत्र, पुत्र मेरे कहलाना मत
दे देना भले ही प्राण, लेकिन '"राजेश"
पीठ श्री राम को दिखाके,
मुख मुझ को दिखाना मत

 🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏 

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

🙏भरत-कौशल्या🙏

कौशल्या ने जब से श्री रामचंद्र जी को वनवास हुआ जब से पानी तक ग्रहण नहीं किया है,और एक दासी से बोल रही हैं..

आली री राम-लखन कित होये
भोरही के भूखे होये हैं,
प्यासे मुख सूखे होये हैं
चलत पाय दुखे होये हैं,
जागे मग रात के।।
सूरज की किरण लागे,
लाल अकुलाने होये हैं
कन्टक ते झगा फाटे होये हैं गात के,
आली अब भयी साँझ, होये है काहु वन मॉझ
भई क्यों ना बांझ, हीय फाटु क्यों ना मातु के,
त्याग के घरोंना, काहू बन में तरौना
सोए हुए हैं छौना, बिछौना कपि पात कै।।

 महाराज दशरथ जी के लिए-
 हाय जिन पिता के, चार-चार प्रतापी लाल,
और आज क्रिया बिन, बेहाल पड़ी उन्हीं की काया है
बावरे विधाता, विचित्र तेरी माया है।

भरत द्वार पे आकर बोले-
पति विहीना, पुत्र हीना मातु री तुम हो कहां
आ गया घर का वही, षड्यंत्रकारी खल यहाँ।।

सुनते ही-
भरतही  देखी मात उठ धाई,
मूर्छित अवनी, परई  घई आई।।

"भरत ने कहा सही हुआ माता कि यदि तुमने मुझे नहीं देखा"

मुख ना देखो मां मेरा, मुख देखने में पाप है
किंतु कहदो हे भरत, तुम पर सभी का श्राप है।।

ओ भरत बेटा ना तुझमें, द्वेष की दुर्गंध है
साक्ष्णी मैं हूं, मुझे उस राम की सौगंध है।।

और गले से लगा लिया-
 "थन पर फिर स्त्रवही, नयन जल छाए हैं"

द्रोह करके केकैई क्या हानि मेरी कर गई,
देख ले कोई मेरी सूनी सी गोदी भर गई।
आ गया मेरा वही तू, राम सचमुच राम है
तू वही वो तू ही, भिन्न केवल नाम है।।

और मैंने तो बचपन में जब राम ने पहली बार मां मुझे बोला तो उसी दिन समझा दिया -
"कहे मोये मैया, मैने कहा मैया में भरत की,
बल जाँच भैया, तेरी मैया केकैई है"

अब उसकी आज्ञा से कैसे मना करती और बोलती के मुझे भी तुम्हारे साथ वनवास जाना है तो सब लोग सोचते कि भरत की माँ ने तो राम का राज्याभिषेक नहीं देखा किंतु क्या राम की माता भी भरत का राज्याभिषेक देखना नहीं चाहती।
      जय श्री राम
🙏 परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंद जी महाराज जी के श्री मुख से🙏
🙏केकैई-शत्रुघ्न🙏

दो दिन में दुर्देव दशा यूं किन्हीं तन की,
श्वेत भये सिर केश, क्षीण भई दृष्टि द्रगन की
रक्त बिहिना, अस्थिमय कंकाल देह में
माँ तू ना जानी जाती, यदि होती ना गेह में

पड़ी कुशासन पे विकल, व्यापो हाय विशेष दुख:
जीवन में देखो नहीं, ऐसो दीन, मलीन मुख।।

शत्रुघ्न जी  ने प्रणाम किया तो-
किसको प्रणाम कर रहे, प्रणम्य न दीखे कोई कहीं है,
कोई आवो मत, काली-मां इस मुँख की अभी धोई नहीं है।
माता ना कहो उन चारुचंद्र, रघुवंशी राजकुमारों में
मैं किस की माता बनू, सो कीर्ति अभी किसी ने खोई नहीं है

केकैई मां रोते-रोते बोली-
हां एक ही था, जो मुझको माता कहता था
शिशु पन से जिसको सुत समझा,
हाय अभागिन दे बनवास उसे, क्षणभर भी रोए नहीं है

यह सब जिस सुत के लिए किया
देकर सुहाग वैधव्य लिया
उसने भी त्याग "विनीत" दिया
तू मेरी माता नहीं है।।

अचानक केकैई माता रोते-रोते हंसने लगे और बोली कि-
मैं धन्य हो गई,
आज भरत ने यद्पि मुझ को त्याग दिया
कीच ही सही, मलमयी किंतु
कीच ने कमल उत्पन्न किया।

मेरी दुर्गंध "विनीत" बहे,
पर पुष्प मेरा सौरव मय है
रघुवंशी जो उचित लाल, चरित वह गौरवमय है।।
तू मेरी नहीं कोई "विनीत" वह भले ही कहे
पर मैं तो यह कहूंगी, सपूत वह मेरो है।।

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंद जी के श्री मुख से🙏

मंगलवार, 22 जनवरी 2019

द्रोपदी चीर

🙏 द्रोपदी चीर🙏

(1) पटरानीयाँ खोजती रही,
शोक सत्यभामा की ओर रुकमणी रोई धाय।
बाँधन को पट खोजती,
पटरानी अकुलाय।।

तब लागी देवी द्रौपदी ने देखे यदुवीर,
अंगूरी बांधन को तुरंत चीरो अपनो चीर।।

श्री कृष्ण बोले... कि बहन इतनी कीमती साड़ी क्यों फाड़ी..?
.
तो द्रोपदी ने कहा कि..

प्यारे घनश्याम यदि काम आवे आपके,
तो काड़ दूं नसों को ये तो रेशम के धागे हैं।-2
धागे भी साधारण, इनका कौन मोल करे,
ना दुल्हन के जोड़े हैं ना दूल्हा के बांघे हैं।।

फिर इतनी कीमती साड़ी क्यों फाड़ दी..?

कन्हैया.. मैंने नहीं फाड़ा चीर,
पीर देखकर अधीर हो धागे ही स्वयं नाथ चीर छोड़ भागे हैं।
वो धागे हैं अभागे जो बढ़े नहीं आगे,
भाग उन्हीं के जागे जो उंगली पर लगे हैं।।

(2) महाभारत से पूर्व...

भरी सभा में दुष्ट दुशासन चीर उतारत है, दुखी द्रोपदी पुकारत है।
सब वस्त्रन के अंत भये पर, आयो विनीत पीतांबर,

  • सकल सभा कह उठी, चक्र अब नियरो चाहत है ।।

🙏पुज्य संत श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏
 🙏गिद्धराज जटायु🙏

कैसे सम्मुख हुए जटायु, जबकि शत्रु प्रबल था
क्योंकि आत्मबल गीद्धराज के जीवन में भी प्रबल था।।

प्रकृति के प्राणियों की, त्यागीयों से प्रीत होती है
और जिनका चरित्र है उज्जवल उन्हीं की जीत होती है।।

अब चाह सनेही सनेह की नहीं, सनेह में घी को जला चुका हूं।
बुझने कि मुझे प्रवाह नहीं, पथ सैकड़ों को दिखला चुका हूं।।

“अति घायल दोऊ कटे पखुना ।
      रटना तऊ पै रट लाती रही “
“तन पीर अधीर परे तबहूं ।
      हरिनाम की पीृति सुहाती रही ।।
   रघुनाथ दशा लखि के तहि की ।
         केहि के उमगै बिनु छाती रही ।।
गति गीध की देख दयानिधि को ।
    सुध सीय के शोध की जाती रही ।।

गदगद् होई बोले प्रभु , मैं ही हूँ वह राम ।
भक्तराज देखो तुम्हें करता राम प्रणाम ।।

गीध को गोद में राखि दयानिधि
नैन सरोंजन से बरि बारी ।
बारिंह बार सम्हारत पंख ।
जटायु की धूरि जटाओं से झारी ।।

🙏पुज्य संत श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

सोमवार, 21 जनवरी 2019

सुदामा के तंदूलाें में दखल ना थी, प्रेम था
धन्ने की पूजा में कोई अकल ना थी, प्रेम था
कि मालिनी कुब्जा की कोई शक्ल ना थी, प्रेम था
मीरा के कीर्तन में कोई नकल न थी, प्रेम था
ध्यान से हीरे जड़े थे उस नरसी की करताल में,
वन में जाके था क्या खाया द्रोपदी के थाल में
क्या समझ के गए बंध गए, उस नंदा के जंजाल में
बांध के निर्धन क्या लाया, वहां से फटे रुमाल में
कि भीलनी के बेर खाए, उनमें क्या औकात थी
दरअसल हीरे चमन एक प्यार की ही बात थी ।।
🙏मीरा दीवानी हो गई... मीरा मस्तानी हो गई🙏

मंगलवार, 15 जनवरी 2019

!!भजन!!
रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा
इसका किराया भी भरना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।

आयेगा नोटिस, जमानत ना होगी
पल्ले में अगर कुछ अमानत ना होगी
और... फिर होके कैद तुझे चलना पड़ेगा
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।

मेरी ना मानो यमराज तो मनाऐंगे
तेरा कर्म.. दंड मार-मार भुगतायेगे
घोर नर्क बीच दुख सहना पड़ेगा
काया कुटी खाली करना पड़ेगा

कहें गीतानंद फिरेगा तु रोता
लख चौरासी में खाएगा गोता
फिर-फिर जन्म लेकर मरना पड़ेगा
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।
🙏😌🙏

जन राजेश मोह मत करना...
करना पड़ेगी खाली जमाने भर से,
काया कुटिया निराली...
दस दरवाजे वाली काया कुटिया निराली
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

सवारी कर चुके हैं (गर्भाधान), सफर कर रहे हैं(मकान)।

अब उतरने की बारी है (शमशान), उसी की तैयारी है।।
  • 🙏😌🙏

एक दिन ऐसा होगा, जब हम पड़े होंगे
हमारे आस पास लोग खड़े होंगे,  हम पड़े होंगे
एक स्वास ले नहीं होंगे,  एक स्वास ले रहे होंगे
और एक स्वास ले नहीं पाऐंगे।।
🙏😌🙏

हुआ सभी के साथ, तेरे भी होऐगा
जग ना सकेगा कभी, नींद तू ऐसी सोयेगा-2
तुझे संसार जायेगा...
मनुष्य उस दिन सोय काल जब आयेगा...

🙏🙏🙏
प्रेम उधर से चला इधर से प्राण सिधारे
दोनों ही मिल गए, देह मंदिर के द्वारे
एक दूसरे को जब दोनों ने अपनाया
पता नहीं कब किसमें कौन समाया
और..  प्रेम तत्व के सिंधु में, प्राण बिंदु जब खो गया
पंचतत्व तन त्याग कर, तन अलख निरंजन हो गया
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏
राम सो खरो है कौन ..? मौसो कौन खोटो।
राम से बड़ाे है कौन ..? मोसो कौन छोटा।।
🙏😌🙏

!!भजन!!

नरसी जी का गुस्सा
लज्जा जाए रही है कह नरसी कर जोरी
लज्जा जाए रही है मोरी...
पहले तो तुम आते जाते अब क्यों ममता तोड़ी
आना हो तो आजा सांवरे इधर भी परवाह छोड़ी
लज्जा जाए रही है मोरी...2
लूट लूट तेने माखन खायो,करी-करी बतिया भोरी-2
मेरे घर चाटन को नाही, तेरी जीव चटोरी
लज्जा जाए रही है मोरी...

नाराज होते बोले
नरसी लो टेर लगावे जी, थे आवो श्री भगवान।।
भिलनी कांई थारी बुआ लागे, ज्यारों झूठन खायो जी
नामदेव काईं नानो लागे, ज्यारों छप्पर छायो जी
थे आवो श्री भगवान...
सैन भगत काईं ससुरा लागे, जो नृप के चरण दबायो जी
और कर्मा काईं थारि काकी लागे, ज्यारो खीचड़ खायो जी
थे आवो श्री भगवान..नरसी लो टेर लगावे जी
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

!!पद!!

सुनो.. मैं सुनाऊं एक बात अनमेल..
ब्रह्म निराकार रह्यो गोकुल में खेले
नंद-यशोदा के द्वार
प्रेम नदिया की सदा उल्टी बहे धार
कौन पावे याको पार
प्रेम नदिया की सदा उल्टी बहे धार
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

!!पद!!

कोई हमसफर नहीं है, मगर हम सफर में हैं
बताएं क्या ठिकाना अभी रह गुजर में है
ऐसा नहीं कि लोग हमें जानते ना हो,
हम अजनबी तो हैं मगर अपनी नजर में हैं
रोका जो जनाजे को तो आने लगी सदा
रोको ना यार हमको, अभी हम सफर में हैं
जहां आकर ठहरने का दो दिन रिवाज हो
आखिर तो अपना घर ऐसे शहर में है
मंजिल ही ढूंढ लेती "राजेश" मुसाफिर को
सुनते हैं असर ऐसा तेरी मैहर में है।
🙏श्री राजेश्वरानंद जी महाराज जी 🙏
आना तो फिर जाने के लिए मत आना,
तुझको मेरी नींद भरी आंखों की कसम
मैं सो जाऊं तो मेरी नींदों को उड़ाने के लिए मत आना
जहे किस्मत बड़ी मुश्किल से नींद आती है
और अगर मैं सो जाऊं तो फिर जगाने के लिए मत आना
तुम ना आए तो रूठ जाएगी यह ठाकुर दासी
और अगर यह रूठ जाए तो फिर मनाने के लिए मत आना
🙏😌🙏

प्रेम ही जब इस जगत की इक अकेली नींव है तो
फिर जगत क्यों छीनता है प्रेम का अधिकार मेरा ?

प्राण मेरा गेह मेरा आत्मा का फूल मेरा
नेह को पर दे नहीं सकती हृदय का कूल मेरा
सूर्य मेरा रश्मियाँ भी और मेरा व्योम सारा
पर नहीं अधिकार चुनने का दृगों को एक तारा

मानकर प्रारब्ध अपना एक बंजर सी ज़मीं को
छोड़ना मुझको पड़ा है प्रेम पारावार मेरा !!!

पाँव मेरे,चाल पर फिर बेड़ियाँ जग क्यों लगाए
स्वप्न के मासूम पंछी नैन वन से क्यों उड़ाए
भाव के कितने अभावों की अधिकता जी रही हूँ
जो कभी भी मैं नहीं थी आज बिलकुल मैं वही हूँ

पास मेरे रत्न के अनगिन जड़े हैं हार फिर भी
अश्रुओं के मोतियों से हो रहा शृंगार मेरा!

दूर ये धरती गगन से पर मिलन कब है अधूरा?
बारिशों के रूप में मिलता रहा है प्रेम पूरा
क्या मरा है एक भी चातक जलद का नाम लेकर ?
प्यास की वो हर तपस्या पूर्ण होती बूँद पीकर

चाहता था जो हमेशा हर किसी को वो मिला है
खो गया क्यों बस यहाँ पर प्रेम का उपहार मेरा !

कवियत्री :- अंकिता सिंह जी

रविवार, 6 जनवरी 2019

ना छेड़ दास्तान-ए-मोहब्बत, बड़ी लंबी कहानी है😌
.
मैं जमाने से नहीं हारा, बस किसी की बात मानी है😇


शनिवार, 5 जनवरी 2019

!!भजन!!

हे मुरलीधर छलिया मोहन..

हे मुरलीधर छलिया मोहन, हम तुमको दिल दे बैठे,
गम पहले ही क्या कम थे, इक और मुसीबत ले बैठे...

हे मुरलीधर छलिया मोहन, माना कि तुम निर्मोही हो,
पर चेत करो अकारणकरुण बिरद की, तुम आत्मा की आत्मा हो...
इसलिए प्रीत लगा बैठे...

आस अब दीनदयाल, अकारणकरुण बिरद की कृपाल कृपा के सहारे प्रेम सेवा बाजी लगा बैठे...
तुम अपनाओ या ठुकराओ मर्जी है तुम्हारी प्रभु, पर प्रेम बाजी ये हम हारे बैठे...

सुना है हारे के सहारे तुम ही हो श्याम प्रभु, अब ये लाज एक और बिरद की, आस, ये कर्म कमा बैठे.
जो अंधेरों में पाले गये,
दूर तक वो उजाले गये🔦
एक जरा सी मुलाकात के,
कितने मतलब निकाले गये🙇🏻‍♂
जिनसे घर में उजाले हुए,
वो ही घर से निकाले गए😒
🙏😌🙏
खुदा हर खुशी ज़िन्दगी की करे अदा उनको,
जिनकी... हर घड़ी हमको परवाह रहती है
🙏🏻😌🙏🏻
कहने को तो वर्क आंधी में सजर गया,
पर ना जाने कितने परिंदों का मानो घर गया

हाल-ए-दिल सुना लूं तो चले जाइएगा, लगी मैं दिल की बुझा लूं तो चले जाइएगा
तेरे जाने की खबर सुनके, उड़ गए हैं होश मेरे
मैं जरा होश में आ जाऊं तो चले जाइएगा

तुझे खुदा कैसे कहूं, खुदा को देखा तो नहीं
पर नूर ए खुदा, सान ए खुदा, लुत्फ ए खुदा, रहमते खुदा
 वो तुम हो, वो तुम हो, वो तुम हो

ये सितारा बेनजर है, ये चिराग बेजुबा है
यहां तुम से मिलता-जुलता कोई और कब कहां है
कभी पाके तुमको खोना, कभी खोके तुमको पाना
यही जन्म जन्म का रिश्ता, तेरे मेरे दरमियां है
🙏राधे राधे 🙏
दीदार की  तलब हो तो  नज़रें  जमाए रखना
 घूंघट, पर्दा, नकाब जो भी हो सरकता जरूर है
🙏🙏🙏
खूबियां इतनी तो नहीं कि किसी का दिल जीत सकें
कुछ पल ऐसे जरूर छोड़ जाएंगे कि भूलना भी आसान ना होगा
🙏😌🙏
अपनी पायल का घुंघरू बना लो मुझे! हे नाथ चरणों से लगा लो मुझे!🙏🙏🙏
मीरा जैसा प्रेम दे दो मुझको , नरसी जैसी भक्ति दे दो ..
सूरदास सी दे दो आंखें , और गज के जैसी मुक्ति दे दो ..
दे दो विश्वास मुझे शबरी सा , ज्ञान मुझे अर्जुन सा दे दो ..
दर्शन तेरे कर पाएं "
🙏श्री राधे🙏
🙏🏽🙏🏽मेरी अंतिम इच्छा🙏🏼🙏🏼

कंठ में केशव नाम रहे,
अँखियाँ अंसुअन जलधार बहावें।           
देख दशा मम व्याकुलता,
पटपीत सौं लालन पौंछन आवैं
शीश गिरें पद पंकज में ,
वनमाल प्रसून से प्राण उड़ावैं।                       
अंत समय मनमोहन के मुख चंद पै
नैंन खुले रह जावें।
बातें सतगुरु की सुनते-सुनाते रहा करो यारो...

जब आएगी याद उनकी...
तो यादों में दुनिया हमारी खो जाएगी

क्या दिन थे वो भी...
जब होते थे रुबरु दर्शन,
वो संकीर्तन, ज्ञान की बातें,

बातें सतगुरु की सुनते-सुनाते रहा करो यारो...
जब आएगी याद उनकी,
लब तो कुछ भी कह न पाएंगे,
आंसू हैं जो छलक जाएंगे

बातें सतगुरु की सुनते-सुनाते रहा करो यारो...
जब आएगी याद उनकी,
ज़िन्दगी हमारी संवर जाएगी

बातें सतगुरु की सुनते-सुनाते रहा करो यारो...
जब आएगी याद उनकी,
तो नहीं रहेंगी ख्वाहिशें शेष,
दुनिया हमारी उनकी यादों में खो जाएगी।
😢🙏😢🙏😢🙏😢🙏
कसम तुमको मेरे सर की, कि मेरे पहलू से ना सरको
अगर सरको तो यूं सरको, कलम करके मेरे सर को
पड़ा रहने दो चरणों में, ना ठुकराओ मेरे सर को
मजा उल्फत में तब आए ना मैं सरकुँ ना तुम सरको
🙏😌🙏

!!पद!!

मिलकर बैठो...
आओ हम कुछ प्यार की बातें करें
हो चुका जिक्र-ए-जहां अब यार की बातें करें
गले पड़ने से तो अच्छा है, कि लग जाओ गले
छोड़कर तकरार अब त्यौहार की बातें करें
जिस्म देकर जिस्म के संग जिसने जान-ओ-दिल दिया
हम तो दिल से अब उसी दिलदार की बातें करें
राजेश जिनको मिल चुका उनकी मोहब्बत का मजा
वो क्यों किसी से बैठकर बेकार की बातें करें
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
गर उनका भला होता,
तो करते भी कुछ खुशामद..🙏
वरना अपनी गरज के वास्ते...
उनके एहसान उठाए कौन🙏😌🙏
🙏देव🙏
गजल:- मैं तुम को याद करती हूं
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं,
मैं तुम को याद करती हूं....
मैं रोना-मुस्कुराना हाय दोनों साथ करती हूं।

यहीं सोफे पे बैठे, सात अंबर घूम आती हूं,
तुम्हारा नाम चखती हूं नशे में झूम जाती हूं।
कहां हूं मैं..? जहां मेरी खबर मुझ तक नहीं आती,
क्या मेरी गुमशुदी की ये खबर तुम तक नहीं जाती।
गली दिल की तुम्हारी याद से आबाद करती हूं,
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं।।

तेरा जाना मेरी आंखों में प्यासे ख्वाब बोता है
तेरा तकिया लिपट कर मुझसे सारी रात सोता है।
तेरी खुशबू मेरी सांसो की गलियों में टहलती है,
बड़ी कमबख्त है ये आग, आंखों में पिघलती है।
मैं सारी रात, सोना-जागना एक साथ करती हूं
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं ।।

तेरी बातों के फूलों से गजल मखदूम करती हूं
मैं चुपके से तेरी DP 👬 को जब भी जूम करती हूं।
तेरे फुके हुए सिगरेट में अक्सर आंख होती हूं
तेरी लत में कभी धूँआ, कभी मैं ख़ाक होती हूं
मैं अपने जख्म पे अश्कों की खुद बरसात करती हूं।
मैं रोना मुस्कुराना हाय दोनों साथ करती हूं,
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं।।
🙏अंकिता सिंह जी🙏
प्रभु मोर ही बनाओ तो, बनाओ श्री वृंदावन को ।
नाच नाच प्रभु तुमको रिझाऊंगो ।।

प्रभु वानर ही बनाओ तो, बनाओ श्री वृंदावन को।
कूद कूद डारन पे जोर को दिखाऊंगो ।।

प्रभु भिक्षु ही बनाओ तो, बनाओ श्री वृंदावन को ।
मांग मांग टूक हरी भगतन के खाऊंगो।

प्रभु रसिक ही बनाओ तो, बनाओ श्री वृंदावन को।
रह कर के चरनन में श्यामा श्याम श्यामा श्याम श्यामा श्याम गाउंगो ।।

श्यामा श्याम श्यामा श्याम श्यामाँ श्याम गाउंगो ।
🙏🏻🙇🏻‍♂🙏🏻
-:सरस्वती वंदना:-
श्वेत कमलासिनी, सुशोभिता मराल पृष्ठ,
दीप्त शुभ्रविश्व की सुलोचना प्रसार दे।।
तत्व ब्रह्म वेद की स्रुतिपुराण रुपणी माँ,
लेखनी मयूर पंख छांट अंधकार दे।
लक्ष्मीबाई जैसा स्वाभिमान नारियों में भर,
हो सके मनुष्य के चरित्र को संवार दे।
सप्त स्वर दात्री, हे विधात्री पूर्ण ज्ञान लोक
शोक में रहे ना आज कविता सँवार दे।
झंकार तार दे सितार को संभाल अम्ब,
यतिलय गति कर दे अमर शारदे।

तानसेन बैजू-बावरा उतार दे धरा पे,
शब्द राष्ट्र स्वर कर दे प्रखर शारदे।
तेरे दरबार लेकर सपने हजार आए,
यदि हो सके तो काम एक कर शारदे।
कविता, कला का यश गान नित्य होता रहे,
कवियों में ब्रह्मा का विवेक भर शारदे।

कविता के शब्द, शब्द में बढ़ा दे देश प्रेम
रस व्यंजना शिल्प में बढ़ा दे मां।
उर में जगा दे प्यार, याकि कर दे संहार,
किसी तौर धरती पे रामराज जला दे मां।
हंस छोड़ थोड़ी देर, दुर्गा का रूप धार,
खत की प्रहार का भी रूप दर्शा दे माँ।
राष्ट्र को जो मानते हैं सिर्फ एक धर्मशाला,
ऐसे पापियों के सीस धड़ से उड़ा दे मां।
🙏🙏🙏
कवियत्री:- कविता तिवारी जी

बुधवार, 2 जनवरी 2019

तन लगता है वृंदावन में,
मधुबन में मोहे जला देना।
मेरी राख कहीं बर्बाद न हो,
यमुना में जाए बहा देना।
ये गोदी तकिया पलंग,
सभी नीचे से मेरे हटा देना।
गोबर से भूमि लीप कर,
उस पर मुझे लिटा देना।
ये भाई बंधु कुटुंब सभी,
मतलब के हैं ये सब साथी ।
इनसे तो नाथ दया करके,
मेरे मोह का फंद छुड़ा देना।
जब प्राण सुधा तन से निकले,
दस सज्जन पास बुला देना।
धीरे से नाम गुरु मंत्र का,
कानों में मेरे सुना देना।
तुलसी की माला पहना कर,
गंगाजल नीर पिला देना।
गीता का पाठ सुना करके,
भव सागर पार लगा देना।।

         🙏 राधे राधे  🙏