कोई हमसफर नहीं है, मगर हम सफर में हैं
बताएं क्या ठिकाना अभी रह गुजर में है
ऐसा नहीं कि लोग हमें जानते ना हो,
हम अजनबी तो हैं मगर अपनी नजर में हैं
रोका जो जनाजे को तो आने लगी सदा
रोको ना यार हमको, अभी हम सफर में हैं
जहां आकर ठहरने का दो दिन रिवाज हो
आखिर तो अपना घर ऐसे शहर में है
मंजिल ही ढूंढ लेती "राजेश" मुसाफिर को
सुनते हैं असर ऐसा तेरी मैहर में है।
🙏श्री राजेश्वरानंद जी महाराज जी 🙏
बताएं क्या ठिकाना अभी रह गुजर में है
ऐसा नहीं कि लोग हमें जानते ना हो,
हम अजनबी तो हैं मगर अपनी नजर में हैं
रोका जो जनाजे को तो आने लगी सदा
रोको ना यार हमको, अभी हम सफर में हैं
जहां आकर ठहरने का दो दिन रिवाज हो
आखिर तो अपना घर ऐसे शहर में है
मंजिल ही ढूंढ लेती "राजेश" मुसाफिर को
सुनते हैं असर ऐसा तेरी मैहर में है।
🙏श्री राजेश्वरानंद जी महाराज जी 🙏
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