प्रेम उधर से चला इधर से प्राण सिधारे
दोनों ही मिल गए, देह मंदिर के द्वारे
एक दूसरे को जब दोनों ने अपनाया
पता नहीं कब किसमें कौन समाया
और.. प्रेम तत्व के सिंधु में, प्राण बिंदु जब खो गया
पंचतत्व तन त्याग कर, तन अलख निरंजन हो गया
दोनों ही मिल गए, देह मंदिर के द्वारे
एक दूसरे को जब दोनों ने अपनाया
पता नहीं कब किसमें कौन समाया
और.. प्रेम तत्व के सिंधु में, प्राण बिंदु जब खो गया
पंचतत्व तन त्याग कर, तन अलख निरंजन हो गया
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें