सोमवार, 3 जून 2019

*प्रेस और इंप्रेस*
दो शब्द हैं प्रेस और इंप्रेस।
प्रेस मतलब किसी पर दबाव बनाना, इंप्रेस मतलब किसी को खुश करना। दोनों ही परिस्थिति में हम खुद को ही बदलते हैं।
प्रेस करने के लिए हम अपने आप को ऐसा बनाते हैं कि दूसरा व्यक्ति डर सके अथवा दबाव में आ जाए और इंप्रेस करने के लिए भी हम खुद को ही बदलते हैं और ऐसा बनाते हैं कि जिससे दूसरे व्यक्ति को अच्छा लग सके।
अतः दोनों ही परिस्थितियों में हमें खुद को ही बदलना पड़ता है वह भी दूसरों के लिए और कुछ समय के लिए उसके बाद व्यवहार पुनः स्थिति में आ जाता है। हां कुछ असर जरूर रहता है लेकिन वह ऐसे जैसे किसी घर पर हम नया रंग कर दें और कुछ बारिशों के बाद में वह धुल जाता है।
इसका तात्पर्य यह समझा जा सकता है कि हम खुद को दूसरों के लिए बदलने में पूरी *जिंदगी* निकाल देते हैं *कभी प्रेस करने में कभी इंप्रेस करने में यदि हम जैसे हैं वैसे ही रहें या खुद को खुद ही के लिए बदले तब कुछ बात बन सके क्योंकि *खुद को खुद ही ढूंढना खुदा से मुलाकात एक बहाना हो सकता है*
🙏🏻ये बात किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है वरन यह स्वयं किए हुए विचार हैं स्वयं के लिए🙏🏻

*हम ही से भूले, हम ही में भूले
हमें ढूंढने, हम ही चले
हम ही ने खोजा, हम ही न पाया
हमें मिले तो, हम ही मिले
🙏🏻आपका देव🙏🏻

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