- !!भजन!!
मिट्टी काली पीली.....हरे वन.....आसमान का रंग नीला,
सूर्य सुनहरा चन्द्रमा शीतल.....सबकुछ उसकी है लीला
सबके भीतर स्वंय छुप गया.....सृजनहार सृष्टि का है,
जिसको हम परमात्मा कहते.....ये सब खेल उसी का है
क्षण भर को भी नहीं छोड़ता.....सदा हमारे साथ में है,
काया की स्वांसा डोरी का.....तार उसी के हाथ में है
हँसना - रोना, मरना - जीना.....सब उसकी मरजी का है,
जिसको हम परमात्मा कहते.....ये सब खेल उसी का है।।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
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