तन लगता है वृंदावन में,
मधुबन में मोहे जला देना।
मेरी राख कहीं बर्बाद न हो,
यमुना में जाए बहा देना।
ये गोदी तकिया पलंग,
सभी नीचे से मेरे हटा देना।
गोबर से भूमि लीप कर,
उस पर मुझे लिटा देना।
ये भाई बंधु कुटुंब सभी,
मतलब के हैं ये सब साथी ।
इनसे तो नाथ दया करके,
मेरे मोह का फंद छुड़ा देना।
जब प्राण सुधा तन से निकले,
दस सज्जन पास बुला देना।
धीरे से नाम गुरु मंत्र का,
कानों में मेरे सुना देना।
तुलसी की माला पहना कर,
गंगाजल नीर पिला देना।
गीता का पाठ सुना करके,
भव सागर पार लगा देना।।

🙏 राधे राधे 🙏
मधुबन में मोहे जला देना।
मेरी राख कहीं बर्बाद न हो,
यमुना में जाए बहा देना।
ये गोदी तकिया पलंग,
सभी नीचे से मेरे हटा देना।
गोबर से भूमि लीप कर,
उस पर मुझे लिटा देना।
ये भाई बंधु कुटुंब सभी,
मतलब के हैं ये सब साथी ।
इनसे तो नाथ दया करके,
मेरे मोह का फंद छुड़ा देना।
जब प्राण सुधा तन से निकले,
दस सज्जन पास बुला देना।
धीरे से नाम गुरु मंत्र का,
कानों में मेरे सुना देना।
तुलसी की माला पहना कर,
गंगाजल नीर पिला देना।
गीता का पाठ सुना करके,
भव सागर पार लगा देना।।

🙏 राधे राधे 🙏
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