!!भजन!!
जैसे रखें राम जी रहना चाहिये
मान अपमान सब सहना चाहिये.
चाहते आराम हो तो रोज ही सुबह शाम ,
सीताराम सीताराम कहना चहिये.... जैसे रखे.
अनुकूल प्रतीकूल दोनों ही कूलो के मध्य ,
सरिता समान सदा बहना चाहिये.... जैसे रखे.
रहो सदा शान से भरोसे भगवान के,
काल के भी डर से न डरना चाहिये.... जैसे रखे.
देह का अध्यास छोड़ ममता से मुखमोड़ ,
हो के मुक्त महि में विचरना चाहिये.... जैसे रखे.
रंक हो '' राजेश '' हो की देश परदेश हो,
समता ही चित्त में उभरना चाहिये... जैसे रखे....
जैसे रखें राम जी रहना चाहिये
मान अपमान सब सहना चाहिये.
चाहते आराम हो तो रोज ही सुबह शाम ,
सीताराम सीताराम कहना चहिये.... जैसे रखे.
अनुकूल प्रतीकूल दोनों ही कूलो के मध्य ,
सरिता समान सदा बहना चाहिये.... जैसे रखे.
रहो सदा शान से भरोसे भगवान के,
काल के भी डर से न डरना चाहिये.... जैसे रखे.
देह का अध्यास छोड़ ममता से मुखमोड़ ,
हो के मुक्त महि में विचरना चाहिये.... जैसे रखे.
रंक हो '' राजेश '' हो की देश परदेश हो,
समता ही चित्त में उभरना चाहिये... जैसे रखे....
- 🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें