सोमवार, 21 जनवरी 2019

सुदामा के तंदूलाें में दखल ना थी, प्रेम था
धन्ने की पूजा में कोई अकल ना थी, प्रेम था
कि मालिनी कुब्जा की कोई शक्ल ना थी, प्रेम था
मीरा के कीर्तन में कोई नकल न थी, प्रेम था
ध्यान से हीरे जड़े थे उस नरसी की करताल में,
वन में जाके था क्या खाया द्रोपदी के थाल में
क्या समझ के गए बंध गए, उस नंदा के जंजाल में
बांध के निर्धन क्या लाया, वहां से फटे रुमाल में
कि भीलनी के बेर खाए, उनमें क्या औकात थी
दरअसल हीरे चमन एक प्यार की ही बात थी ।।
🙏मीरा दीवानी हो गई... मीरा मस्तानी हो गई🙏

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