शनिवार, 5 जनवरी 2019

!!भजन!!

हे मुरलीधर छलिया मोहन..

हे मुरलीधर छलिया मोहन, हम तुमको दिल दे बैठे,
गम पहले ही क्या कम थे, इक और मुसीबत ले बैठे...

हे मुरलीधर छलिया मोहन, माना कि तुम निर्मोही हो,
पर चेत करो अकारणकरुण बिरद की, तुम आत्मा की आत्मा हो...
इसलिए प्रीत लगा बैठे...

आस अब दीनदयाल, अकारणकरुण बिरद की कृपाल कृपा के सहारे प्रेम सेवा बाजी लगा बैठे...
तुम अपनाओ या ठुकराओ मर्जी है तुम्हारी प्रभु, पर प्रेम बाजी ये हम हारे बैठे...

सुना है हारे के सहारे तुम ही हो श्याम प्रभु, अब ये लाज एक और बिरद की, आस, ये कर्म कमा बैठे.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें