सोमवार, 29 अप्रैल 2019

 पुष्पांजलि
हे दीनबंधु दयालु रघुवर दीन हित रत सर्वदा
भव हरण तारण तरण अशरण शरण जनमंगल प्रदा
हे कृपा सिंधु अनाथ नाथ कृपाल कोमल चित सदा
हे पतित पावन अघन सावन हरण दासन आपदा
हे देव रंजन असुर भंजन धरन धरनी मंगलम्
हे जगतपति जगदीश जगहित करण करुणा कोमलं
हे नाथ कलि काल ग्रसित व्याकुल सिया सपन जन रावरे
हां त्राहिमाम प्रभु त्राहिमाम प्रभु शरण आयो बावरो।।

सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत्।।
पुज्य संत श्री नित्यास्वरूपाचार्य जी महाराज के श्री मुख से

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