मंगलवार, 15 जनवरी 2019

!!पद!!

सुनो.. मैं सुनाऊं एक बात अनमेल..
ब्रह्म निराकार रह्यो गोकुल में खेले
नंद-यशोदा के द्वार
प्रेम नदिया की सदा उल्टी बहे धार
कौन पावे याको पार
प्रेम नदिया की सदा उल्टी बहे धार
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

2 टिप्‍पणियां:

  1. यह पद पदम् श्री रासाचार्य राम स्वरूप जी के यशस्वी पिता स्वामी मेघश्याम जी द्वारा बहुत प्रसिद्ध रचना है धन्य है ऐसे रसिक सन्त।

    जवाब देंहटाएं