मंगलवार, 22 जनवरी 2019

द्रोपदी चीर

🙏 द्रोपदी चीर🙏

(1) पटरानीयाँ खोजती रही,
शोक सत्यभामा की ओर रुकमणी रोई धाय।
बाँधन को पट खोजती,
पटरानी अकुलाय।।

तब लागी देवी द्रौपदी ने देखे यदुवीर,
अंगूरी बांधन को तुरंत चीरो अपनो चीर।।

श्री कृष्ण बोले... कि बहन इतनी कीमती साड़ी क्यों फाड़ी..?
.
तो द्रोपदी ने कहा कि..

प्यारे घनश्याम यदि काम आवे आपके,
तो काड़ दूं नसों को ये तो रेशम के धागे हैं।-2
धागे भी साधारण, इनका कौन मोल करे,
ना दुल्हन के जोड़े हैं ना दूल्हा के बांघे हैं।।

फिर इतनी कीमती साड़ी क्यों फाड़ दी..?

कन्हैया.. मैंने नहीं फाड़ा चीर,
पीर देखकर अधीर हो धागे ही स्वयं नाथ चीर छोड़ भागे हैं।
वो धागे हैं अभागे जो बढ़े नहीं आगे,
भाग उन्हीं के जागे जो उंगली पर लगे हैं।।

(2) महाभारत से पूर्व...

भरी सभा में दुष्ट दुशासन चीर उतारत है, दुखी द्रोपदी पुकारत है।
सब वस्त्रन के अंत भये पर, आयो विनीत पीतांबर,

  • सकल सभा कह उठी, चक्र अब नियरो चाहत है ।।

🙏पुज्य संत श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏
 🙏गिद्धराज जटायु🙏

कैसे सम्मुख हुए जटायु, जबकि शत्रु प्रबल था
क्योंकि आत्मबल गीद्धराज के जीवन में भी प्रबल था।।

प्रकृति के प्राणियों की, त्यागीयों से प्रीत होती है
और जिनका चरित्र है उज्जवल उन्हीं की जीत होती है।।

अब चाह सनेही सनेह की नहीं, सनेह में घी को जला चुका हूं।
बुझने कि मुझे प्रवाह नहीं, पथ सैकड़ों को दिखला चुका हूं।।

“अति घायल दोऊ कटे पखुना ।
      रटना तऊ पै रट लाती रही “
“तन पीर अधीर परे तबहूं ।
      हरिनाम की पीृति सुहाती रही ।।
   रघुनाथ दशा लखि के तहि की ।
         केहि के उमगै बिनु छाती रही ।।
गति गीध की देख दयानिधि को ।
    सुध सीय के शोध की जाती रही ।।

गदगद् होई बोले प्रभु , मैं ही हूँ वह राम ।
भक्तराज देखो तुम्हें करता राम प्रणाम ।।

गीध को गोद में राखि दयानिधि
नैन सरोंजन से बरि बारी ।
बारिंह बार सम्हारत पंख ।
जटायु की धूरि जटाओं से झारी ।।

🙏पुज्य संत श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

सोमवार, 21 जनवरी 2019

सुदामा के तंदूलाें में दखल ना थी, प्रेम था
धन्ने की पूजा में कोई अकल ना थी, प्रेम था
कि मालिनी कुब्जा की कोई शक्ल ना थी, प्रेम था
मीरा के कीर्तन में कोई नकल न थी, प्रेम था
ध्यान से हीरे जड़े थे उस नरसी की करताल में,
वन में जाके था क्या खाया द्रोपदी के थाल में
क्या समझ के गए बंध गए, उस नंदा के जंजाल में
बांध के निर्धन क्या लाया, वहां से फटे रुमाल में
कि भीलनी के बेर खाए, उनमें क्या औकात थी
दरअसल हीरे चमन एक प्यार की ही बात थी ।।
🙏मीरा दीवानी हो गई... मीरा मस्तानी हो गई🙏

मंगलवार, 15 जनवरी 2019

!!भजन!!
रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा
इसका किराया भी भरना पड़ेगा,
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।

आयेगा नोटिस, जमानत ना होगी
पल्ले में अगर कुछ अमानत ना होगी
और... फिर होके कैद तुझे चलना पड़ेगा
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।

मेरी ना मानो यमराज तो मनाऐंगे
तेरा कर्म.. दंड मार-मार भुगतायेगे
घोर नर्क बीच दुख सहना पड़ेगा
काया कुटी खाली करना पड़ेगा

कहें गीतानंद फिरेगा तु रोता
लख चौरासी में खाएगा गोता
फिर-फिर जन्म लेकर मरना पड़ेगा
काया कुटी खाली करना पड़ेगा।।
🙏😌🙏

जन राजेश मोह मत करना...
करना पड़ेगी खाली जमाने भर से,
काया कुटिया निराली...
दस दरवाजे वाली काया कुटिया निराली
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

सवारी कर चुके हैं (गर्भाधान), सफर कर रहे हैं(मकान)।

अब उतरने की बारी है (शमशान), उसी की तैयारी है।।
  • 🙏😌🙏

एक दिन ऐसा होगा, जब हम पड़े होंगे
हमारे आस पास लोग खड़े होंगे,  हम पड़े होंगे
एक स्वास ले नहीं होंगे,  एक स्वास ले रहे होंगे
और एक स्वास ले नहीं पाऐंगे।।
🙏😌🙏

हुआ सभी के साथ, तेरे भी होऐगा
जग ना सकेगा कभी, नींद तू ऐसी सोयेगा-2
तुझे संसार जायेगा...
मनुष्य उस दिन सोय काल जब आयेगा...

🙏🙏🙏
प्रेम उधर से चला इधर से प्राण सिधारे
दोनों ही मिल गए, देह मंदिर के द्वारे
एक दूसरे को जब दोनों ने अपनाया
पता नहीं कब किसमें कौन समाया
और..  प्रेम तत्व के सिंधु में, प्राण बिंदु जब खो गया
पंचतत्व तन त्याग कर, तन अलख निरंजन हो गया
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏
राम सो खरो है कौन ..? मौसो कौन खोटो।
राम से बड़ाे है कौन ..? मोसो कौन छोटा।।
🙏😌🙏

!!भजन!!

नरसी जी का गुस्सा
लज्जा जाए रही है कह नरसी कर जोरी
लज्जा जाए रही है मोरी...
पहले तो तुम आते जाते अब क्यों ममता तोड़ी
आना हो तो आजा सांवरे इधर भी परवाह छोड़ी
लज्जा जाए रही है मोरी...2
लूट लूट तेने माखन खायो,करी-करी बतिया भोरी-2
मेरे घर चाटन को नाही, तेरी जीव चटोरी
लज्जा जाए रही है मोरी...

नाराज होते बोले
नरसी लो टेर लगावे जी, थे आवो श्री भगवान।।
भिलनी कांई थारी बुआ लागे, ज्यारों झूठन खायो जी
नामदेव काईं नानो लागे, ज्यारों छप्पर छायो जी
थे आवो श्री भगवान...
सैन भगत काईं ससुरा लागे, जो नृप के चरण दबायो जी
और कर्मा काईं थारि काकी लागे, ज्यारो खीचड़ खायो जी
थे आवो श्री भगवान..नरसी लो टेर लगावे जी
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

!!पद!!

सुनो.. मैं सुनाऊं एक बात अनमेल..
ब्रह्म निराकार रह्यो गोकुल में खेले
नंद-यशोदा के द्वार
प्रेम नदिया की सदा उल्टी बहे धार
कौन पावे याको पार
प्रेम नदिया की सदा उल्टी बहे धार
🙏श्री राजेश्वरानंन्द जी महाराज🙏

!!पद!!

कोई हमसफर नहीं है, मगर हम सफर में हैं
बताएं क्या ठिकाना अभी रह गुजर में है
ऐसा नहीं कि लोग हमें जानते ना हो,
हम अजनबी तो हैं मगर अपनी नजर में हैं
रोका जो जनाजे को तो आने लगी सदा
रोको ना यार हमको, अभी हम सफर में हैं
जहां आकर ठहरने का दो दिन रिवाज हो
आखिर तो अपना घर ऐसे शहर में है
मंजिल ही ढूंढ लेती "राजेश" मुसाफिर को
सुनते हैं असर ऐसा तेरी मैहर में है।
🙏श्री राजेश्वरानंद जी महाराज जी 🙏
आना तो फिर जाने के लिए मत आना,
तुझको मेरी नींद भरी आंखों की कसम
मैं सो जाऊं तो मेरी नींदों को उड़ाने के लिए मत आना
जहे किस्मत बड़ी मुश्किल से नींद आती है
और अगर मैं सो जाऊं तो फिर जगाने के लिए मत आना
तुम ना आए तो रूठ जाएगी यह ठाकुर दासी
और अगर यह रूठ जाए तो फिर मनाने के लिए मत आना
🙏😌🙏

प्रेम ही जब इस जगत की इक अकेली नींव है तो
फिर जगत क्यों छीनता है प्रेम का अधिकार मेरा ?

प्राण मेरा गेह मेरा आत्मा का फूल मेरा
नेह को पर दे नहीं सकती हृदय का कूल मेरा
सूर्य मेरा रश्मियाँ भी और मेरा व्योम सारा
पर नहीं अधिकार चुनने का दृगों को एक तारा

मानकर प्रारब्ध अपना एक बंजर सी ज़मीं को
छोड़ना मुझको पड़ा है प्रेम पारावार मेरा !!!

पाँव मेरे,चाल पर फिर बेड़ियाँ जग क्यों लगाए
स्वप्न के मासूम पंछी नैन वन से क्यों उड़ाए
भाव के कितने अभावों की अधिकता जी रही हूँ
जो कभी भी मैं नहीं थी आज बिलकुल मैं वही हूँ

पास मेरे रत्न के अनगिन जड़े हैं हार फिर भी
अश्रुओं के मोतियों से हो रहा शृंगार मेरा!

दूर ये धरती गगन से पर मिलन कब है अधूरा?
बारिशों के रूप में मिलता रहा है प्रेम पूरा
क्या मरा है एक भी चातक जलद का नाम लेकर ?
प्यास की वो हर तपस्या पूर्ण होती बूँद पीकर

चाहता था जो हमेशा हर किसी को वो मिला है
खो गया क्यों बस यहाँ पर प्रेम का उपहार मेरा !

कवियत्री :- अंकिता सिंह जी

रविवार, 6 जनवरी 2019

ना छेड़ दास्तान-ए-मोहब्बत, बड़ी लंबी कहानी है😌
.
मैं जमाने से नहीं हारा, बस किसी की बात मानी है😇


शनिवार, 5 जनवरी 2019

!!भजन!!

हे मुरलीधर छलिया मोहन..

हे मुरलीधर छलिया मोहन, हम तुमको दिल दे बैठे,
गम पहले ही क्या कम थे, इक और मुसीबत ले बैठे...

हे मुरलीधर छलिया मोहन, माना कि तुम निर्मोही हो,
पर चेत करो अकारणकरुण बिरद की, तुम आत्मा की आत्मा हो...
इसलिए प्रीत लगा बैठे...

आस अब दीनदयाल, अकारणकरुण बिरद की कृपाल कृपा के सहारे प्रेम सेवा बाजी लगा बैठे...
तुम अपनाओ या ठुकराओ मर्जी है तुम्हारी प्रभु, पर प्रेम बाजी ये हम हारे बैठे...

सुना है हारे के सहारे तुम ही हो श्याम प्रभु, अब ये लाज एक और बिरद की, आस, ये कर्म कमा बैठे.
जो अंधेरों में पाले गये,
दूर तक वो उजाले गये🔦
एक जरा सी मुलाकात के,
कितने मतलब निकाले गये🙇🏻‍♂
जिनसे घर में उजाले हुए,
वो ही घर से निकाले गए😒
🙏😌🙏
खुदा हर खुशी ज़िन्दगी की करे अदा उनको,
जिनकी... हर घड़ी हमको परवाह रहती है
🙏🏻😌🙏🏻
कहने को तो वर्क आंधी में सजर गया,
पर ना जाने कितने परिंदों का मानो घर गया

हाल-ए-दिल सुना लूं तो चले जाइएगा, लगी मैं दिल की बुझा लूं तो चले जाइएगा
तेरे जाने की खबर सुनके, उड़ गए हैं होश मेरे
मैं जरा होश में आ जाऊं तो चले जाइएगा

तुझे खुदा कैसे कहूं, खुदा को देखा तो नहीं
पर नूर ए खुदा, सान ए खुदा, लुत्फ ए खुदा, रहमते खुदा
 वो तुम हो, वो तुम हो, वो तुम हो

ये सितारा बेनजर है, ये चिराग बेजुबा है
यहां तुम से मिलता-जुलता कोई और कब कहां है
कभी पाके तुमको खोना, कभी खोके तुमको पाना
यही जन्म जन्म का रिश्ता, तेरे मेरे दरमियां है
🙏राधे राधे 🙏
दीदार की  तलब हो तो  नज़रें  जमाए रखना
 घूंघट, पर्दा, नकाब जो भी हो सरकता जरूर है
🙏🙏🙏
खूबियां इतनी तो नहीं कि किसी का दिल जीत सकें
कुछ पल ऐसे जरूर छोड़ जाएंगे कि भूलना भी आसान ना होगा
🙏😌🙏
अपनी पायल का घुंघरू बना लो मुझे! हे नाथ चरणों से लगा लो मुझे!🙏🙏🙏
मीरा जैसा प्रेम दे दो मुझको , नरसी जैसी भक्ति दे दो ..
सूरदास सी दे दो आंखें , और गज के जैसी मुक्ति दे दो ..
दे दो विश्वास मुझे शबरी सा , ज्ञान मुझे अर्जुन सा दे दो ..
दर्शन तेरे कर पाएं "
🙏श्री राधे🙏
🙏🏽🙏🏽मेरी अंतिम इच्छा🙏🏼🙏🏼

कंठ में केशव नाम रहे,
अँखियाँ अंसुअन जलधार बहावें।           
देख दशा मम व्याकुलता,
पटपीत सौं लालन पौंछन आवैं
शीश गिरें पद पंकज में ,
वनमाल प्रसून से प्राण उड़ावैं।                       
अंत समय मनमोहन के मुख चंद पै
नैंन खुले रह जावें।
बातें सतगुरु की सुनते-सुनाते रहा करो यारो...

जब आएगी याद उनकी...
तो यादों में दुनिया हमारी खो जाएगी

क्या दिन थे वो भी...
जब होते थे रुबरु दर्शन,
वो संकीर्तन, ज्ञान की बातें,

बातें सतगुरु की सुनते-सुनाते रहा करो यारो...
जब आएगी याद उनकी,
लब तो कुछ भी कह न पाएंगे,
आंसू हैं जो छलक जाएंगे

बातें सतगुरु की सुनते-सुनाते रहा करो यारो...
जब आएगी याद उनकी,
ज़िन्दगी हमारी संवर जाएगी

बातें सतगुरु की सुनते-सुनाते रहा करो यारो...
जब आएगी याद उनकी,
तो नहीं रहेंगी ख्वाहिशें शेष,
दुनिया हमारी उनकी यादों में खो जाएगी।
😢🙏😢🙏😢🙏😢🙏
कसम तुमको मेरे सर की, कि मेरे पहलू से ना सरको
अगर सरको तो यूं सरको, कलम करके मेरे सर को
पड़ा रहने दो चरणों में, ना ठुकराओ मेरे सर को
मजा उल्फत में तब आए ना मैं सरकुँ ना तुम सरको
🙏😌🙏

!!पद!!

मिलकर बैठो...
आओ हम कुछ प्यार की बातें करें
हो चुका जिक्र-ए-जहां अब यार की बातें करें
गले पड़ने से तो अच्छा है, कि लग जाओ गले
छोड़कर तकरार अब त्यौहार की बातें करें
जिस्म देकर जिस्म के संग जिसने जान-ओ-दिल दिया
हम तो दिल से अब उसी दिलदार की बातें करें
राजेश जिनको मिल चुका उनकी मोहब्बत का मजा
वो क्यों किसी से बैठकर बेकार की बातें करें
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
गर उनका भला होता,
तो करते भी कुछ खुशामद..🙏
वरना अपनी गरज के वास्ते...
उनके एहसान उठाए कौन🙏😌🙏
🙏देव🙏
गजल:- मैं तुम को याद करती हूं
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं,
मैं तुम को याद करती हूं....
मैं रोना-मुस्कुराना हाय दोनों साथ करती हूं।

यहीं सोफे पे बैठे, सात अंबर घूम आती हूं,
तुम्हारा नाम चखती हूं नशे में झूम जाती हूं।
कहां हूं मैं..? जहां मेरी खबर मुझ तक नहीं आती,
क्या मेरी गुमशुदी की ये खबर तुम तक नहीं जाती।
गली दिल की तुम्हारी याद से आबाद करती हूं,
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं।।

तेरा जाना मेरी आंखों में प्यासे ख्वाब बोता है
तेरा तकिया लिपट कर मुझसे सारी रात सोता है।
तेरी खुशबू मेरी सांसो की गलियों में टहलती है,
बड़ी कमबख्त है ये आग, आंखों में पिघलती है।
मैं सारी रात, सोना-जागना एक साथ करती हूं
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं ।।

तेरी बातों के फूलों से गजल मखदूम करती हूं
मैं चुपके से तेरी DP 👬 को जब भी जूम करती हूं।
तेरे फुके हुए सिगरेट में अक्सर आंख होती हूं
तेरी लत में कभी धूँआ, कभी मैं ख़ाक होती हूं
मैं अपने जख्म पे अश्कों की खुद बरसात करती हूं।
मैं रोना मुस्कुराना हाय दोनों साथ करती हूं,
अकेले बैठकर तुमको कभी जब याद करती हूं।।
🙏अंकिता सिंह जी🙏
प्रभु मोर ही बनाओ तो, बनाओ श्री वृंदावन को ।
नाच नाच प्रभु तुमको रिझाऊंगो ।।

प्रभु वानर ही बनाओ तो, बनाओ श्री वृंदावन को।
कूद कूद डारन पे जोर को दिखाऊंगो ।।

प्रभु भिक्षु ही बनाओ तो, बनाओ श्री वृंदावन को ।
मांग मांग टूक हरी भगतन के खाऊंगो।

प्रभु रसिक ही बनाओ तो, बनाओ श्री वृंदावन को।
रह कर के चरनन में श्यामा श्याम श्यामा श्याम श्यामा श्याम गाउंगो ।।

श्यामा श्याम श्यामा श्याम श्यामाँ श्याम गाउंगो ।
🙏🏻🙇🏻‍♂🙏🏻
-:सरस्वती वंदना:-
श्वेत कमलासिनी, सुशोभिता मराल पृष्ठ,
दीप्त शुभ्रविश्व की सुलोचना प्रसार दे।।
तत्व ब्रह्म वेद की स्रुतिपुराण रुपणी माँ,
लेखनी मयूर पंख छांट अंधकार दे।
लक्ष्मीबाई जैसा स्वाभिमान नारियों में भर,
हो सके मनुष्य के चरित्र को संवार दे।
सप्त स्वर दात्री, हे विधात्री पूर्ण ज्ञान लोक
शोक में रहे ना आज कविता सँवार दे।
झंकार तार दे सितार को संभाल अम्ब,
यतिलय गति कर दे अमर शारदे।

तानसेन बैजू-बावरा उतार दे धरा पे,
शब्द राष्ट्र स्वर कर दे प्रखर शारदे।
तेरे दरबार लेकर सपने हजार आए,
यदि हो सके तो काम एक कर शारदे।
कविता, कला का यश गान नित्य होता रहे,
कवियों में ब्रह्मा का विवेक भर शारदे।

कविता के शब्द, शब्द में बढ़ा दे देश प्रेम
रस व्यंजना शिल्प में बढ़ा दे मां।
उर में जगा दे प्यार, याकि कर दे संहार,
किसी तौर धरती पे रामराज जला दे मां।
हंस छोड़ थोड़ी देर, दुर्गा का रूप धार,
खत की प्रहार का भी रूप दर्शा दे माँ।
राष्ट्र को जो मानते हैं सिर्फ एक धर्मशाला,
ऐसे पापियों के सीस धड़ से उड़ा दे मां।
🙏🙏🙏
कवियत्री:- कविता तिवारी जी

बुधवार, 2 जनवरी 2019

तन लगता है वृंदावन में,
मधुबन में मोहे जला देना।
मेरी राख कहीं बर्बाद न हो,
यमुना में जाए बहा देना।
ये गोदी तकिया पलंग,
सभी नीचे से मेरे हटा देना।
गोबर से भूमि लीप कर,
उस पर मुझे लिटा देना।
ये भाई बंधु कुटुंब सभी,
मतलब के हैं ये सब साथी ।
इनसे तो नाथ दया करके,
मेरे मोह का फंद छुड़ा देना।
जब प्राण सुधा तन से निकले,
दस सज्जन पास बुला देना।
धीरे से नाम गुरु मंत्र का,
कानों में मेरे सुना देना।
तुलसी की माला पहना कर,
गंगाजल नीर पिला देना।
गीता का पाठ सुना करके,
भव सागर पार लगा देना।।

         🙏 राधे राधे  🙏