🙏 द्रोपदी चीर🙏
(1) पटरानीयाँ खोजती रही,
शोक सत्यभामा की ओर रुकमणी रोई धाय।
बाँधन को पट खोजती,
पटरानी अकुलाय।।
तब लागी देवी द्रौपदी ने देखे यदुवीर,
अंगूरी बांधन को तुरंत चीरो अपनो चीर।।
श्री कृष्ण बोले... कि बहन इतनी कीमती साड़ी क्यों फाड़ी..?
.
तो द्रोपदी ने कहा कि..
प्यारे घनश्याम यदि काम आवे आपके,
तो काड़ दूं नसों को ये तो रेशम के धागे हैं।-2
धागे भी साधारण, इनका कौन मोल करे,
ना दुल्हन के जोड़े हैं ना दूल्हा के बांघे हैं।।
फिर इतनी कीमती साड़ी क्यों फाड़ दी..?
कन्हैया.. मैंने नहीं फाड़ा चीर,
पीर देखकर अधीर हो धागे ही स्वयं नाथ चीर छोड़ भागे हैं।
वो धागे हैं अभागे जो बढ़े नहीं आगे,
भाग उन्हीं के जागे जो उंगली पर लगे हैं।।
(2) महाभारत से पूर्व...
(1) पटरानीयाँ खोजती रही,
शोक सत्यभामा की ओर रुकमणी रोई धाय।
बाँधन को पट खोजती,
पटरानी अकुलाय।।
तब लागी देवी द्रौपदी ने देखे यदुवीर,
अंगूरी बांधन को तुरंत चीरो अपनो चीर।।
श्री कृष्ण बोले... कि बहन इतनी कीमती साड़ी क्यों फाड़ी..?
.
तो द्रोपदी ने कहा कि..
प्यारे घनश्याम यदि काम आवे आपके,
तो काड़ दूं नसों को ये तो रेशम के धागे हैं।-2
धागे भी साधारण, इनका कौन मोल करे,
ना दुल्हन के जोड़े हैं ना दूल्हा के बांघे हैं।।
फिर इतनी कीमती साड़ी क्यों फाड़ दी..?
कन्हैया.. मैंने नहीं फाड़ा चीर,
पीर देखकर अधीर हो धागे ही स्वयं नाथ चीर छोड़ भागे हैं।
वो धागे हैं अभागे जो बढ़े नहीं आगे,
भाग उन्हीं के जागे जो उंगली पर लगे हैं।।
(2) महाभारत से पूर्व...
भरी सभा में दुष्ट दुशासन चीर उतारत है, दुखी द्रोपदी पुकारत है।सब वस्त्रन के अंत भये पर, आयो विनीत पीतांबर,
- सकल सभा कह उठी, चक्र अब नियरो चाहत है ।।