!!भजन!!
अपना प्रारब्ध जैसा जहाँ से, वैसे परिणाम मिलते वहाँ से,,
मीठे फल अब लगेगें कहाँ से...
मीठे फल अब मिलेगें कहाँ से, बीज कङवे तो बो ही चुके हो,,,
राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,
अपने जीवन की अनमोल श्वासा, व्यर्थ विषयों में खो ही चुके हो,,
राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,
माँगता ही रहा भोग भिक्षा, पूरी हुई न कभी मन की इच्छा,,
भूलकर संत सद्गुरु की शिक्षा, सैकङो बार रो ही चुके हो,,,
राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,
राम सीता प्रणत के है पालक, सोचों राजेश हम उनके बालक,,
बनके बेकार दुनियाँ में मालिक, व्यर्थ का बौझ ढो ही चुके हो,,,
राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,भजन!!
अपना प्रारब्ध जैसा जहाँ से, वैसे परिणाम मिलते वहाँ से,,
मीठे फल अब लगेगें कहाँ से...
मीठे फल अब मिलेगें कहाँ से, बीज कङवे तो बो ही चुके हो,,,
राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,
अपने जीवन की अनमोल श्वासा, व्यर्थ विषयों में खो ही चुके हो,,
राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,
माँगता ही रहा भोग भिक्षा, पूरी हुई न कभी मन की इच्छा,,
भूलकर संत सद्गुरु की शिक्षा, सैकङो बार रो ही चुके हो,,,
राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,
राम सीता प्रणत के है पालक, सोचों राजेश हम उनके बालक,,
बनके बेकार दुनियाँ में मालिक, व्यर्थ का बौझ ढो ही चुके हो,,,
राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏