गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020

भजन

!!भजन!!

अपना प्रारब्ध जैसा जहाँ से, वैसे परिणाम मिलते वहाँ से,,

मीठे फल अब लगेगें कहाँ से...

मीठे फल अब मिलेगें कहाँ से, बीज कङवे तो बो ही चुके हो,,,

राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,

अपने जीवन की अनमोल श्वासा, व्यर्थ विषयों में खो ही चुके हो,,

राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,

माँगता ही रहा भोग भिक्षा, पूरी हुई न कभी मन की इच्छा,,

भूलकर संत सद्गुरु की शिक्षा, सैकङो बार रो ही चुके हो,,,

राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,

राम सीता प्रणत के है पालक, सोचों राजेश हम उनके बालक,,

बनके बेकार दुनियाँ में मालिक, व्यर्थ का बौझ ढो ही चुके हो,,,

राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,भजन!!

अपना प्रारब्ध जैसा जहाँ से, वैसे परिणाम मिलते वहाँ से,,

मीठे फल अब लगेगें कहाँ से...

मीठे फल अब मिलेगें कहाँ से, बीज कङवे तो बो ही चुके हो,,,

राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,

अपने जीवन की अनमोल श्वासा, व्यर्थ विषयों में खो ही चुके हो,,

राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,

माँगता ही रहा भोग भिक्षा, पूरी हुई न कभी मन की इच्छा,,

भूलकर संत सद्गुरु की शिक्षा, सैकङो बार रो ही चुके हो,,,

राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,

राम सीता प्रणत के है पालक, सोचों राजेश हम उनके बालक,,

बनके बेकार दुनियाँ में मालिक, व्यर्थ का बौझ ढो ही चुके हो,,,

राही जागों हुआ अब सवेरा, पूरी रजनी तो सो ही चुके हो,,,


🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

!!भाव!!

 जब छोड़ चलूँ मैं इस जग को बस      

  “कृष्ण" जाप की सांस रहे........।


           फिर स्वर्ग मिले या नरक मिले पर दिल में "कृष्ण" का वास रहे ।।


          "कृष्ण" नाम कि चादर हो तन पे, तजूं प्राण तो "कृष्ण" का धाम रहे। 


         छूटें रिश्ते संसार के सब, पर जीभ पे कृष्ण का नाम रहे ।। 


       झूठे संसार से प्रीत न हो, बस "कृष्ण" की प्रीति मे ध्यान रहे।

          

शनिवार, 22 अगस्त 2020

!!भजन!!

मेरी मैया जगत जननी हुई नाराज क्यों मुझसे,

मैं कितने पास हूं तेरे तू कितनी दूर है मुझसे मेरी मैया... 


तु महफिल मे तो आई है, मगर चुपचाप बैठी है 

दिखा दे मां, दिखा जलवा यही फरियाद है तुझसे 

मेरी मैया...  


अगर कुछ भूल मेरी है, तो आखिर लाल हूं तेरा

क्षमा करना, क्षमा करना यही फरियाद है तुझसे

मेरी मैया... 


पिला दे मां, पिला दे मां तू अपने नाम का प्याला... 

जहर राणा ने भेजा था, जहर मीरा ने पिया था 

वह मीरा पी गई मीरा, मेरे घनश्याम का प्याला

पिला दे मां... 


सुना होगा वो सबरी रोज रस्ता साफ करती थी

वह सबरी पी गई, सबरी मेरे प्रभु राम का प्याला

पिला दे मां....!! 

बुधवार, 12 अगस्त 2020

पद

* भले ही चले जाओ दूर हमसे तेरी यादों को हमने महफूज़ रखा है

लौटकर आओगे उम्मीद है दिल को

दरवाजा इस दिल का खुला रखा है!*



*खुदा मंजूर करता है...

सदा जब दिल से होती है. मगर मुशकिल तो ये है.

बात ये मुश्किल से होती है*



*किसी से हो न सका इनके कद का अंदाजा

ये आसमान है जो सिर झुकाए बैठा है*



* जहाँ मिला अपनापन वहाँ दिल गया

लोग कहते है तू बदल गया*



*इक जरा सी बात पर वरसो के याराने गए

चलो अच्छा हुआ कुछ लोग पहचाने गए*



* जमीं पर लेट जाते है सिरहाने हाथ रखते है,

हमतो बिस्तर तकिया हमेशा साथ रखते है*



*दिल के आईने में है बसी है तस्वीर यार की

गर्दन झुकाई ओर दीदार कर लिया*



*जग की सेवा, खोज अपनी प्रीति प्रभु से कीजिये!

जिन्दगी का राज है ये, जान कर जी लीजिये*



*अवसर है अनमोल काम कुछ ऐसा कर जा,

पाकर गुरु से ज्ञान यार मरने से पहले मर जा

अपने घर में बैठ निरंतर,

नही किसी के घर जा

सीताराम नाम सुमिरन कर भवसागर से तर जा!!*



*आंखों से झलकते हो आंसू और अधरी मुस्कान रहे,

एक संग में रोने गाने को भगवान की भक्ति कहते हैं*



*एक चरण तेरो परे, तो मम हित चित्त पे छूँछ।

 मेरो चरण बढ़ायवो, राजा बलि से पूँछ।।*



*तेरी रहमत ने दिया जो गुनहगारों का साथ।

 तो लाख बेगुनाह भी कह उठे, कि हम भी गुनहगारों में है।।*



*बसर अहसास अच्छे कर, तुझे उकमा में काम आएगें।

 वहां जन्नत नहीं मिलती, यहां से साथ जाती है।।*



*मत लव हिला, मतलब समझ, मतलब का सब संसार है!

छोड़ो तलब, लव पर रखो हरिनाम यह ही सार है!


* तेरे नाम के सहारे जीवन बिता रहा हु!

जैसे भी निभ रही है!!!!वैसी निभा रहा हु!


* जिसकी करे उपासना स्वयं परमात्मा बस वही है राधा,

कहो राधा राधा राधा राधा❣️❣️*



*प्रेम के अनुबंध अविरल याद आएँगे बहुत 

आज के मंजर हमें कल याद आएँगे बहुत 

दोस्ती का प्यार का अधिकार का आभार है 

संग बिताए जो सभी पल याद आएँगे बहुत*



*भाँति भाँति भोग मिले, अंग हू अरोग मिले

सुख के संयोग मिले, जीवन की बाटी में

धन और धाम मिले, सुयश और नाम मिले

राम ना मिले तो सब काम मिले माटी में।*



*नैन पै नैन की सैन चली उन,

            नैनन ते जब नैन मिलाये ।

नैन नें नैन जू बांध लिए तब,

                नैन सों नैन हटे न हटाये ।।

नैन ने ऐसी जू मोहिनी डारी,

         कि नैनन नैन लगत मन भाये ।

सखि नैन ते नैन लड़े जब ते,

             इन नैनन में वह नैन समाये ।।*



* राधा साध्यम साधनं यस्य राधा,

मंत्रो राधा मंत्र दात्री च राधा।

सर्वं राधा जीवनम् यस्य राधा,

राधा राधा वाचि किम तस्य शेषम।।*



*बेपनाह मोहब्बत का आखिरी पड़ाव....!

एक लंबी खामोशी....!!*

❣️❣️

*बदनाम तो बहुत हूँ जमाने में, तू बता तेरे सुनने में कौन सा किस्सा आया ।।

रविवार, 12 जुलाई 2020

!!भजन!!

!!भजन!!
जन्म से ही रोगी तन सहज विचार मन,
यही तो मिला है धन स्वांसा के संग में।
मोह मद पान की बावरी बनी है बुद्धि,
चित्त भी तो लगता नहीं है सत्संग में।
सूखा सा जीवन सदा भोग का ही भूखा रहे,
सूखे पड़े नैन नहिं पुलकावलि अंग में।
पाहि-पाहि पवन कुमार बजरंग बली,
रंग लो राजेश को श्री राम प्रेम रंग में।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
श्री जानकी पद कंज भज मन हरन शरणागत भयम्ज
न दीन मानस मधुप हित मकरन्द युत जलजद्वयम्ह
नुमन्त सेवित लगन गीत भरत अपभय मोचनम्
मिथिला महि पावन करन संताप सोच विमोचनम्भ
गवन्त रति रस वारि धन त्रय ताप तापित तारकम्र
घुनंद उर आनंद वर्धन प्रणत जन उद्धारकम्भ
व सिंधु बो हित पतित पावन प्रकट करुणा विग्रहम्आ
श्रित मनोरथ कल्प तरु राजेश जीवन जीवनम्।।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
गाये जा निरंतर श्री राम जानकी का जस,
राम नाम मंत्र नित्य वाणी को जपाये जा।
पाये जा पदारथ चारि संतों की संगति में,
उन्हीं का संदेश शुभ सबको सुनाये जा।
नाये जा शीष तू 'राजेश गुरु चरण मध्य,
भूलके कुसंग में न खुद को मिलाये जा।
लाये जा पवित्र भाव अपने में मेरे मन,
तुलसी के मानस में डुबकी लगाये जा।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!! 
ये तन कीमती है मगर है विनाशी,
कभी अगले छन के भरोसे न रहना।।
निकल जायेगी छोड़ काया को पल में,
सदा श्वांस धन के भरोसे न रहना।।
इक पल में योगी एक पल में भोगी,
पल भर में ज्ञानी पल में वियोगी॥
बदलता जो क्षण-क्षण में वृत्ति अपनी,
सदा अपने मन के भरोसे न रहना।।
हम सोचते काम दुनियां के कर लें,
धन धाम अर्जित कर नाम कर लें।।
फिर एक दिन बन कर साधू रहेंगे,
उस एक दिन के भरोसे न रहना।।
तुझको जो मेरा-मेरा कहेंगे,
जरूरी नहीं वे भी तेरे रहेंगे।
मतलब से मिलते हैं दुनियां के साथी
सदा इस मिलन के भरोसे न रहना।।

" राजेश" अर्जित गुरु ज्ञान कर लो,
या प्रेम से राम गुन-गान कर लो।।
अथवा श्रीराम-नाम रटो नित नियम से,
किसी अन्य गुन के भरोसे न रहना ।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
संसार स्वप्न माया आनंद रूप अपना
गुरुदेव ने लखाया आनंद रूप अपना
है पंचभूत निर्मित बनने बिगड़ने वाली,
यह नाशवान काया आनंद रूप अपना
हालात के मुताबिक क्षण-क्षण में मन बदलता
मुझमें न फर्क आया आनंद रूप अपना
निश्चय हुआ मैं वो हूँ जिसको कि वेद चहं में
कह नेति नेति गया आनंद रूप अपना
आवे नहीं न जावे साक्षी सदा है स्थिर
जावे वही जो आया, आनंद रूप अपना
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
कितना खोया कितना पाया तोल सके तो तोल।
तूने हीरा गवाया पगले माटी के मोल
विरहिन क्यों उलझी झंझट में, तेरा पिया है तेरे घट में
कह गये दास कबीर देख ले "घूंघट के पट खोल" तूने हीरा

बिन भगवन्त भजन पछितायों, रे मन मूरख जनम गंवायो
गूंज रहे जन जन के मन में सूरदास के बोल, तूने हीरा

पीकर प्रेम सुधारस प्याली, बोल उठी मीरा मतवाली
"राम रतन धन पायो" सद्गुरु ने दी वस्तु अनमोल, तूने हीरा

अब तो चेत रे अभिमानी, गूंज रही तुलसी की वानी,
'भाय कुभायं अनख आलसहु नाम प्रभु का बोल, तूने हीरा

श्री चैतन्य कृष्ण मतवारे डोल डोलकर द्वारे-द्वारे
क्षण भंगुर संसार अविनाशी, सार कह्यो श्री गुर अविनाशी
जन 'राजेश' सुमिर हरि को फिर जो चाहे जँह डोल, तूने हीरा।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।
आश्रित पै अनुग्रह की भरमार अब न होगी
पतितों के तारने के किस्से पड़े पुराने
क्या एक नई कहानी तैयार अब न होगी।
गर है स्वाभाव बदला तो साफ साफ कह दो
हुई बार बार करूणा इस बार अब न होगी।
रहते थे जिसके बस में जो आपको था प्यारा
उस प्रेम की भी शायद दर कार अब न होगी
दुख दूर कर दो ताकि "राजेश" भी ये बोले
एहसान मानता हूँ तकरार अब न होगी।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏

!!भजन!!

!!भजन!! 
श्री गुरुदेव दया करि कैं,
मोहि से सठ को निज दास बनायो।
नश्वर देह को नेह तजो,
प्रभु प्रेमी बनो यह पाठ पढ़ायो।
राघव के गुण गाइवे कों,
करुणा करि कै सिय भाव जगायो।
सौंपत आज सिराजेशपि उन्हें,
है कृपा उनकी में प्रसाद जो पायो।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!! 
प्रीति करो रघुनायक सों,
अरु राही बनों गुरु ज्ञान गली के।
दीन दयाल को नाम रटो,
बस दास रहो बजरंग बली के।
रंक "राजेश" ना कोउ अपने,
सब मीत सदा तकदीर भली के।
रे मन छोड़ो नहीं कब हूँ,
पद पंकज श्री मिथिलेश लली के।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏

!!भजन!!

!!भजन!! 
बन कर के दास जिसने गुरु ज्ञान पा लिया,
सचमुच उसी ने जग में भगवान कालिया।
सद्गुरु चरण में किसको जगह मिली हो,
उसने स्वर्ग से बड़ा स्थान पा लिया।
होगी पवित्र वाणी संदेह कुछ नहीं है।
यदि प्रेम से गुरु का गुणगान गा लिया।
जिनकी कृपा से रंक भी राजेश बन गये
हमने तो ऐसा अनुपम धनवान पा लिया।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

!!भजन!!

!!प्रकृति की वेदना और उसका परिणाम!!

मुझसे यूंँ खिलवाड़ न, कर बदला में चुनके लूंगी
गलती मे न सुधार किया तो
सर्वनाश मैं कर दूँगी....
रे मानव संभल जा ज़रा .........
मैं हूंँ एक मेरे रूप अनेक,
अब सुन कैसे-कैसे......
कभी दुलार दिखाती मांँ, कभी स्नेह लुटाती माँ
चिड़ियों की चह- चह में, मधुर संगीत सुनाती मांँ
पर तेरे इन कुकर्मों से अत्यंत  व्यथित दु:खी है माँ
कितनी बार तुझे संकेत दिए कभी दावानल,
प्रचंड भूकंप बनकर पर तूने मुझे पहचाना ना,
करता रहा मस्त होकर जो - जो तुझे था करना
पर अब अति हो गई तेरी ये रौद्र रूप दिखाये मांँ
आ गई तुझको सबक सिखाने बनके विनाशक कोरोना
जितना तूने सोचा न होगा उतना हाहाकार मचा दूँगी
सर्वनाश मैं कर दूँगी......
सर्वनाश मै कर दूँगी.....
रे मानव  सँभल जा जरा....
मैंने सुंदर झरने दिए,दी तुझको पर्वत नदियाँ पर तूने न उनका मान रखा, जी भरके की शैतानियाँ,
सब कुछ तेरे अनुकूल किया,सब कुछ तुझपे वार दिया
पर तूने क्या किया????
पर तूने क्या किया????
भोग विलास में मद होकर बस तूने स्वार्थ सिद्ध किया
कैसे बनूँ संसार का स्वामी, इस बात पर तर्क किया
पर सुन मूर्ख....
पर सुन मूर्ख....
जैसे तुझे पैदा किया, ऐसे ही सब कुछ हर लूँगी
सर्वनाश मैं कर दूँगी....
सर्वनाश मैं कर दूँगी....
रे मानव संभल जा जरा.....
इस धरती पर जीने का पाया हक जितना तूने
चींटी से चमगादड़ तक, सबको उतना ही हक दिया मैंने
बुद्धि दी, तुझको ज्ञान दिया,ताकि तू मानव महान बने
सभी प्राणियों से सद्भाव रखे, विश्व का कल्याण करें,
पर तूने मुझे दुत्कार दिया, जी भर के खूब उपहास किया,
धरती के इन जीवो को कच्चा काट के सूप पिया,
मछली, मुर्गा, बकरी,गैया, सब पर अत्याचार खूब किया,
दिल ने दहला तनिक तेरा, बन मानव से शैतान गया,
तड़पाया जैसे मेरे जीवो को, ऐसे ही तुझे तड़पा  दूँगी,
सर्वनाश मैं कर दूंँगी....
सर्वनाश मैं कर दूँगी....
रे मानव संँभल जा जरा....
जबसे दी बुद्धि तुझको,नित नए प्रयोग रोज किए,
छोटी सी आरी से लेकर परमाणु बम तैयार किए, कुछ अच्छे कर्म भी किए तूने पर फिर स्वार्थी तू हो गया,
और उस स्वार्थ सिद्धि में तूने,मानवता का त्याग किया,
तूने मानवता का त्याग किया तो स्वार्थी हो गयी ये भी माँ,
मैंने कुछ किया ऐसा कि अर्थी संग भी कोई जाए ना,
आगे निकलने की दौड़ में अंधा तू बन गया,
और तू ये भी भूल गया कि मैं भी हूँ तेरी माँ,
याद रख .....जरा याद रख.....
जितना तू मुझको रुलाएगा, उससे ज्यादा मैं रुला दूँगी,
सर्वनाश मैं कर दूंँगी....
सर्वनाश मैं कर दूँगी....
रे मानव संँभल जा जरा....

छोटा सा प्रयास

हमारी बड़ी बहन स्वाति शर्मा के द्वारा आज के युग मे प्रकृति मानव से क्या क्या कहना चाह रही है इसको बड़ी सरलता से अपने भावों  को व्यक्त किया है।
स्वाति शर्मा (सहायक अध्यापिका)
जनपद बुलन्दशहर
 उत्तर प्रदेश

सोमवार, 30 मार्च 2020

!!भजन!!

!!भजन!!
*जिस दिल में आपकी याद रहे*
     *प्रभु दिल मेरा वह दिल कर दो..*

राही न सही मंजिल की तरफ,
    राही की तरफ मंजिल कर दो।।

मन में भी अनेक विकारों ने
    है डटकर डेरा डाल दिया।

निश्छल मन में यदि नेह है तो
    जन का मन भी निर्मल कर दो।।

*जिस दिल में आपकी याद रहे*
    *प्रभु दिल मेरा वह दिल कर दो...*

पाकर के आपकी भक्ति प्रभो
      रहते जो झूमते मस्ती में।

करुणा करके 'राजेश' को भी
      उन मस्तों में शामिल कर दो।।

रंग लो अपने रंग में मुझको,
     जिसमे न कुसंग का रंग चढ़े।

दुनिया के प्रेम में पागल हूँ,
      अपना करके पागल कर दो।।

*जिस दिल में आपकी याद रहे*
    *प्रभु दिल मेरा वह दिल कर दो...*

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

गुरुवार, 12 मार्च 2020

!!भजन!!

!!भजन!!
मन उस दिन की सोच काल जब आयेगा,
रे मत वाले मूड संग क्या जायेगा

श्वासा के आने जाने का क्रम जब छूटेगा,
जो बर्षों में जोड़ा जब वो क्षण में छूटेगा
क्षण में छूटेगा बोल तू क्या कर पायेगा
मन उस दिन की सोच काल जब आयेगा...

हुआ सभी के संग तेरे भी होयेगा,
जग ना सकेगा कभी नींद तू ऐसी सोयेगा
ऐसी सोयेगा तुझे संसार जगायेगा,
मन उस दिन की सोच काल जब आयेगा...

सतसंगती मे बैठ कुसंगति से तु हट ले रे,
कर ले प्रभु का भजन मान सतगुरु की शिक्षा रे
राजेश्वर आनंद नाम श्री राम का रट ले रे,
तुरत भव रोग मिटायेगा
मन उस दिन की सोच काल जब आयेगा...

सुख पाता रहा जो सदा जग में,
उसे आखिर में दुःख पाना पड़ा
पछताया नहीं जो कभी भी कहीं,
उसे अंत समय पछताना पड़ा
कोई फूल ना बाग में ऐसा खिला,
खिलकर ना जिसे मुरझाना पड़ा
विधि का यह अटल विधान रहा,
जिसे आना पड़ा उसे जाना पड़ा
मन उस दिन की सोच काल जब आयेगा,
रे मत वाले मूड संग क्या जायेगा

🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

भावना

भावना हो तुम...
वो दिल की बात, जो दिल से हो
वही तो भावना हो तुम।

कहें कुछ भी नहीं लेकिन
समझ में सबके आते हो,
कि नजरों से जो कह दे हम
वही तो भावना हो तुम।

तुम ही से हम को चलना है
हम ही से तुमको चलना है,
कभी जो साथ ना छोड़े
वही तो भावना हो तुम।

खुदा से करने को बातें
तुम ही तो साथ रहती हो,
खुदा भी जिस पे बरसे है
वही तो भावना हो तुम।

हमारे हो हमारे ही
बने रहना सदा सुन लो,
कभी जो भाव ना खाए
वही तो भावना हो तुम।

वो दिल की बात जो दिल से हो,
वही तो भावना हो तुम।
🙏आपका देव 🙏

शनिवार, 11 जनवरी 2020

!!भजन!!

जय सियाराम...
कोन कहता है जाने वाले याद फिर आते नही,
जाते है वो दिल तोड़कर,दिल छोड कर वो जाते नही!

09/01/2019 को पूज्य गुरुदेव ने अपना आखिरी भजन डायरी में लिखा था

राम राम राम कहना जी
सदा भजन में रहना जी
सीधी रीढ़ कर बैठो सुखासन
शब्द सुरति में बहना जी....

भाग नासिका अग्र निहारो
रखो अधखुले नयना जी! सदा भजन..

अपने आपमे आप निहारो
सुन सद्गुरु के बयना जी! सदा भजन.

सहज भाव से सब स्वीकारो
किसी से कुछ मत कहना जी! सदा भजन...

"राजेश्वर" आंनद में रहकर
जन्म सफल निज करना जी! सदा भजन...

मंगलवार, 7 जनवरी 2020

चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया
पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया

जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए
ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया

सूखा पुराना ज़ख्म नए को जगह मिली
स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया

आतीं न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ
दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया

आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया
नज़रों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया

अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर
यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया

ग़म मिलते हैं तो और निखरती है शायरी
यह बात है तो सारे ज़माने का शुक्रिया

अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर
यूँ मुझसे `कुँअर' रूठ के जाने का शुक्रिया