!!भजन!!
हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।
आश्रित पै अनुग्रह की भरमार अब न होगी
पतितों के तारने के किस्से पड़े पुराने
क्या एक नई कहानी तैयार अब न होगी।
गर है स्वाभाव बदला तो साफ साफ कह दो
हुई बार बार करूणा इस बार अब न होगी।
रहते थे जिसके बस में जो आपको था प्यारा
उस प्रेम की भी शायद दर कार अब न होगी
दुख दूर कर दो ताकि "राजेश" भी ये बोले
एहसान मानता हूँ तकरार अब न होगी।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏
हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।
आश्रित पै अनुग्रह की भरमार अब न होगी
पतितों के तारने के किस्से पड़े पुराने
क्या एक नई कहानी तैयार अब न होगी।
गर है स्वाभाव बदला तो साफ साफ कह दो
हुई बार बार करूणा इस बार अब न होगी।
रहते थे जिसके बस में जो आपको था प्यारा
उस प्रेम की भी शायद दर कार अब न होगी
दुख दूर कर दो ताकि "राजेश" भी ये बोले
एहसान मानता हूँ तकरार अब न होगी।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏
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