!!भजन!!
कितना खोया कितना पाया तोल सके तो तोल।
तूने हीरा गवाया पगले माटी के मोल
विरहिन क्यों उलझी झंझट में, तेरा पिया है तेरे घट में
कह गये दास कबीर देख ले "घूंघट के पट खोल" तूने हीरा
बिन भगवन्त भजन पछितायों, रे मन मूरख जनम गंवायो
गूंज रहे जन जन के मन में सूरदास के बोल, तूने हीरा
पीकर प्रेम सुधारस प्याली, बोल उठी मीरा मतवाली
"राम रतन धन पायो" सद्गुरु ने दी वस्तु अनमोल, तूने हीरा
अब तो चेत रे अभिमानी, गूंज रही तुलसी की वानी,
'भाय कुभायं अनख आलसहु नाम प्रभु का बोल, तूने हीरा
श्री चैतन्य कृष्ण मतवारे डोल डोलकर द्वारे-द्वारे
क्षण भंगुर संसार अविनाशी, सार कह्यो श्री गुर अविनाशी
जन 'राजेश' सुमिर हरि को फिर जो चाहे जँह डोल, तूने हीरा।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
कितना खोया कितना पाया तोल सके तो तोल।
तूने हीरा गवाया पगले माटी के मोल
विरहिन क्यों उलझी झंझट में, तेरा पिया है तेरे घट में
कह गये दास कबीर देख ले "घूंघट के पट खोल" तूने हीरा
बिन भगवन्त भजन पछितायों, रे मन मूरख जनम गंवायो
गूंज रहे जन जन के मन में सूरदास के बोल, तूने हीरा
पीकर प्रेम सुधारस प्याली, बोल उठी मीरा मतवाली
"राम रतन धन पायो" सद्गुरु ने दी वस्तु अनमोल, तूने हीरा
अब तो चेत रे अभिमानी, गूंज रही तुलसी की वानी,
'भाय कुभायं अनख आलसहु नाम प्रभु का बोल, तूने हीरा
श्री चैतन्य कृष्ण मतवारे डोल डोलकर द्वारे-द्वारे
क्षण भंगुर संसार अविनाशी, सार कह्यो श्री गुर अविनाशी
जन 'राजेश' सुमिर हरि को फिर जो चाहे जँह डोल, तूने हीरा।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏
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