शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

शेर-ए-शायरी

@@ वो लोग कभी किसी के नहीं होते ''' जो दोस्त और रिश्तों को "" कपड़े की तरह बदलते हैं ,,,,$$$%

🍁🌿हम तो फना हो गये आपकी आखें देख कर ,,प्यारे जैजै,,,. ना जाने आप आईना कैसे देखते होगे🌿🍁

घर की जरूरतो को पिताजी की तरह निभाने लगा हूँ........
शायद इसलिए क्योंकि मैं भी अब कमाने लगा हूँ।।।।।


वो नही हुआ पूरा इस साल
जो सोचा था
पिछले साल भी
जो अब बोल रहा हूँ
शायद मैं यही बोलूंगा
अगले साल भी

आज गुमनाम हूँ तो थोड़ा फ़ासला रख मुझसे.....
कल फिर मशहूर हो जाऊँ तो कोई रिश्ता निकल लेना...!

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकला़

हम उन्हें देखते रहे वो हमें ,
ना हम कह सके ना वो सुन सके,

अब के बार मिल के यूँ साल-ए-नौ मनाएँगे,
रंजिशें भुला कर हम नफ़रतें मिटाएँगे।

अदा हुआ न क़र्ज़ और वजूद ख़त्म हो गया
मैं ज़िंदगी का देते देते सूद ख़त्म हो गया

अपनेपन में भी परायेपन का अहसास दिलाया उन्होंने।
ऐ बिछड़ते साल! इस बार तुझे और मुझे, तज़ुर्बा खास दिलाया उन्होंने।।

एक ईट और गिर गयी दीवार-ए-जिंदगी की ,
नादान है जो कह रहा - नया साल मुबारक हो ।..

दुरिया  हुई नजदिक भी हम आऐ।
हमारे हमसफ़र को हम थोड़ा और जान पाए ।
प्यार से गुज़रा प्यारा यह सफ़र।
चाहतों की चलतीं रहे हर डगर।।

आसान नहीं इस दुनिया में ख्याबों के सहारे जी लेना ।
संगीन हकीकत हैं दुनिया यह कोई सुनहरा ख्याब नहीं ।।

दुख रहे,दर्द रहे,खुशियां मिली,अफसाने भी l
कुछ पराये अपने हुए,अपने हुए अंजाने भी....

जानलेवा है उसका सांवला रंग
और मैं कड़क चाय का शौक़ीन भी हूं

इस साल भी जला दी जिंदगी जैसी जलनी थी,
अब धुंये पर बहस कैसी और राख पर हक कैसा।।

तुझे अपनाऊ तो जमाने से  नाता टूट जाता है,
नया पाने की चाहत में पुराना छूट जाता है

जैसा था तुझसे पहले मैं वैसा हूँ तेरे बाद,
है ये भरम तेरा कि मैं बदला हूँ तेरे बाद।

शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

मुझे कौन पूछता था,तेरी वंदगी से पहले।
मैं बुझा हुआ दिया था,तेरी वंदगी से पहले।।
तुमने जो ज्योति दी है,जीवन बदल गया है।
मेरा मन तुम्हारे ढंग में,अनयास ढल गया है।।
तुमने तराशा जीवन,प्रतिमा बना दिया।
पाषाण सा पडा था,तेरी वंदगी से पहले।।
मुझे कौन पूछता था,तेरी वंदगी से पहले।।
सांसें जो दी हैं तुमने,जीता हूं उनको लेकर।
अनमोल भाव जल से सींचा प्रभाव देकर।।
सूखा पडा था पौधा,तेरी वंदगी से पहले।।
मुझे कौन पूछता था,तेरी वंदगी से पहले।।
सागर के खारी जल में,सीपी में बंद था मैं।
लाये निकाल गुरुवर,नादान मंद था मै।।
कीचड मे मैं पडा था,तेरी वंदगी से पहले।।
मुझे कौन पूछता था,तेरी वंदगी से पहले।।
मैं बुझा हुआ दिया था,तेरी वंदगी से पहले।।

बुधवार, 4 अक्टूबर 2017

गरुड़ पुराण में वर्णित 36 नर्क
जानिए किसमें कैसे दी जाती है सजा
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हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी अनेक कथाओं में स्वर्ग और नर्क के बारे में बताया गया है। पुराणों के अनुसार स्वर्ग वह स्थान होता है जहां देवता रहते हैं और अच्छे कर्म करने वाले इंसान की आत्मा को भी वहां स्थान मिलता है, इसके विपरीत बुरे काम करने वाले लोगों को नर्क भेजा जाता है, जहां उन्हें सजा के तौर पर गर्म तेल में तला जाता है और अंगारों पर सुलाया जाता है।

हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में 36 तरह के मुख्य नर्कों का वर्णन किया गया है। अलग-अलग कर्मों के लिए इन नर्कों में सजा का प्रावधान भी माना गया है। गरूड़ पुराण, अग्रिपुराण, कठोपनिषद जैसे प्रामाणिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।

1. महावीचि- यह नर्क पूरी तरह रक्त यानी खून से भरा है और इसमें लोहे के बड़े-बड़े कांटे हैं। जो लोग गाय की हत्या करते हैं, उन्हें इस नर्क में यातना भुगतनी पड़ती है।

2. कुंभीपाक- इस नर्क की जमीन गरम बालू और अंगारों से भरी है। जो लोग किसी की भूमि हड़पते हैं या ब्राह्मण की हत्या करते हैं। उन्हें इस नर्क में आना पड़ता है।

3. रौरव- यहां लोहे के जलते हुए तीर होते हैं। जो लोग झूठी गवाही देते हैं उन्हें इन तीरों से बींधा जाता है।

4. मंजूष- यह जलते हुए लोहे जैसी धरती वाला नर्क है। यहां उनको सजा मिलती है, जो दूसरों को निरपराध बंदी बनाते हैं या कैद में रखते हैं।

5. अप्रतिष्ठ- यह पीब, मूत्र और उल्टी से भरा नर्क है। यहां वे लोग यातना पाते हैं, जो ब्राह्मणों को पीड़ा देते हैं या सताते हैं।

6. विलेपक- यह लाख की आग से जलने वाला नर्क है। यहां उन ब्राह्मणों को जलाया जाता है, जो शराब पीते हैं।

7. महाप्रभ- इस नर्क में एक बहुत बड़ा लोहे का नुकीला तीर है। जो लोग पति-पत्नी में फूट डालते हैं, पति-पत्नी के रिश्ते तुड़वाते हैं वे यहां इस तीर में पिरोए जाते हैं।

8. जयंती- यहां जीवात्माओं को लोहे की बड़ी चट्टान के नीचे दबाकर सजा दी जाती है। जो लोग पराई औरतों के साथ संभोग करते हैं, वे यहां लाए जाते हैं।

9. शाल्मलि- यह जलते हुए कांटों से भरा नर्क है। जो औरत कई पुरुषों से संभोग करती है व जो व्यक्ति हमेशा झूठ व कड़वा बोलता है, दूसरों के धन और स्त्री पर नजर डालता है। पुत्रवधू, पुत्री, बहन आदि से शारीरिक संबंध बनाता है व वृद्ध की हत्या करता है, ऐसे लोगों को यहां लाया जाता है।

10. महारौरव- इस नर्क में चारों तरफ आग ही आग होती है। जैसे किसी भट्टी में होती है। जो लोग दूसरों के घर, खेत, खलिहान या गोदाम में आग लगाते हैं, उन्हें यहां जलाया जाता है।

11. तामिस्र- इस नर्क में लोहे की पट्टियों और मुग्दरों से पिटाई की जाती है। यहां चोरों को यातना मिलती है।

12. महातामिस्र- इस नर्क में जौंके भरी हुई हैं, जो इंसान का रक्त चूसती हैं। माता, पिता और मित्र की हत्या करने वाले को इस नर्क में जाना पड़ता है।

13. असिपत्रवन- यह नर्क एक जंगल की तरह है, जिसके पेड़ों पर पत्तों की जगह तीखी तलवारें और खड्ग हैं। मित्रों से दगा करने वाला इंसान इस नर्क में गिराया जाता है।

14. करम्भ बालुका- यह नर्क एक कुएं की तरह है, जिसमें गर्म बालू रेत और अंगारे भरे हुए हैं। जो लोग दूसरे जीवों को जलाते हैं, वे इस कुएं में गिराए जाते हैं।

15. काकोल- यह पीब और कीड़ों से भरा नर्क है। जो लोग छुप-छुप कर अकेले ही मिठाई खाते हैं, दूसरों को नहीं देते, वे इस नर्क में लाए जाते हैं।

16. कुड्मल- यह मूत्र, पीब और विष्ठा (उल्टी) से भरा है। जो लोग दैनिक जीवन में पंचयज्ञों ( ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, भूतयज्ञ, पितृयज्ञ, मनुष्य यज्ञ) का अनुष्ठान नहीं करते वे इस नर्क में आते हैं।

17. महाभीम- यह नर्क बदबूदार मांस और रक्त से भरा है। जो लोग ऐसी चीजें खाते हैं, जिनका शास्त्रों ने निषेध बताया है, वो लोग इस नर्क में गिरते हैं।

18. महावट- इस नर्क में मुर्दे और कीड़े भरे हैं, जो लोग अपनी लड़कियों को बेचते हैं, वे यहां लाए जाते हैं।

19. तिलपाक- यहां दूसरों को सताने, पीड़ा देने वाले लोगों को तिल की तरह पेरा जाता है। जैसे तिल का तेल निकाला जाता है, ठीक उसी तरह।

20. तैलपाक- इस नर्क में खौलता हुआ तेल भरा है। जो लोग मित्रों या शरणागतों की हत्या करते हैं, वे यहां इस तेल में तले जाते हैं।

21. वज्रकपाट- यहां वज्रों की पूरी श्रंखला बनी है। जो लोग दूध बेचने का व्यवसाय करते है, वे यहां प्रताड़ना पाते हैं।

22. निरुच्छवास- इस नर्क में अंधेरा है, यहां वायु नहीं होती। जो लोग दिए जा रहे दान में विघ्न डालते हैं वे यहां फेंके जाते हैं।

23. अंगारोपच्य- यह नर्क अंगारों से भरा है। जो लोग दान देने का वादा करके भी दान देने से मुकर जाते हैं। वे यहां जलाए जाते हैं।

24. महापायी- यह नर्क हर तरह की गंदगी से भरा है। हमेशा असत्य बोलने वाले यहां औंधे मुंह गिराए जाते हैं।

25. महाज्वाल- इस नर्क में हर तरफ आग है। जो लोग हमेशा ही पाप में लगे रहते हैं वे इसमें जलाए जाते हैं।

26. गुड़पाक- यहां चारों ओर गरम गुड़ के कुंड हैं। जो लोग समाज में वर्ण संकरता फैलाते हैं, वे इस गुड़ में पकाए जाते हैं।

27. क्रकच- इस नर्क में तीखे आरे लगे हैं। जो लोग ऐसी महिलाओं से संभोग करते हैं, जिसके लिए शास्त्रों ने निषेध किया है, वे लोग इन्हीं आरों से चीरे जाते हैं।

28. क्षुरधार- यह नर्क तीखे उस्तरों से भरा है। ब्राह्मणों की भूमि हड़पने वाले यहां काटे जाते हैं।

29. अम्बरीष- यहां प्रलय अग्रि के समान आग जलती है। जो लोग सोने की चोरी करते हैं, वे इस आग में जलाए जाते हैं।

30. वज्रकुठार- यह नर्क वज्रों से भरा है। जो लोग पेड़ काटते हैं वे यहां लंबे समय तक वज्रों से पीटे जाते हैं।

31. परिताप- यह नर्क भी आग से जल रहा है। जो लोग दूसरों को जहर देते हैं या मधु (शहद) की चोरी करते हैं, वे यहां जलाए जाते हैं।

32. काल सूत्र- यह वज्र के समान सूत से बना है। जो लोग दूसरों की खेती नष्ट करते हैं। वे यहां सजा पाते हैं।

33. कश्मल- यह नर्क नाक और मुंह की गंदगी से भरा होता है। जो लोग मांसाहार में ज्यादा रुचि रखते हैं, वे यहां गिराए जाते हैं।

34. उग्रगंध- यह लार, मूत्र, विष्ठा और अन्य गंदगियों से भरा नर्क है। जो लोग पितरों को पिंडदान नहीं करते, वे यहां लाए जाते हैं।

35. दुर्धर- यह नर्क जौक और बिच्छुओं से भरा है। सूदखोर और ब्याज का धंधा करने वाले इस नर्क में भेजे जाते हैं।

36. वज्रमहापीड- यहां लोहे के भारी वज्र से मारा जाता है। जो लोग सोने की चोरी करते हैं, किसी प्राणी की हत्या कर उसे खाते हैं, दूसरों के आसन, शय्या और वस्त्र चुराते हैं, जो दूसरों के फल चुराते हैं, धर्म को नहीं मानते ऐसे सारे लोग यहां लाए जाते हैं।
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                         🙏Jai Shri Radhe🙏

रविवार, 9 जुलाई 2017

कोई जाये जो वृन्दावन,
मेरा पैगाम ले जाना...
मैं खुद तो जा नहीं पाऊँ
मेरा प्रणाम ले जाना.....
ये पूछना मुरली वाले से
मुझे तुम कब बुलाओगे....
पड़े जो जाल माया के
उन्हे तुम कब छुड़ाओगे....
मुझे इस घोर दल-दल से
मेरे भगवान ले जाना....
🍂 🌿 🍃
कोई जाये जो वृन्दावन.....
🍃 🍂 🌿
जब उनके सामने जाओ
तो उनको देखते रहना.....
मेरा जो हाल पूछें तो
ज़ुबाँ से कुछ नहीं कहना....
बहा देना कुछ एक आँसू
मेरी पहचान ले जाना.....
🌿  🍂  🍃
कोई जाये जो वृन्दावन...
🌿 🍂  🍃
जो रातें जाग कर देखें
मेरे सब ख्वाब ले जाना.....
मेरे आँसू तड़प मेरी
मेरे सब भाव ले जाना....
न ले जाओ अगर मुझको
मेरा सामान ले जाना....
🍂  🌿  🍃
कोई जाये जो वृन्दावन...
🌿  🍂  🍃
मैं भटकूँ दर ब दर प्यारे
जो तेरे मन में आये कर....
मेरी जो साँसे अंतिम हो
वो निकलें तेरी चौखट पर....
‘राधादास’ हूँ मैं तेरा.....
मुझे बिन दाम ले जाना...
🍃 🌿 🍂
कोई जाये जो वृन्दावन
मेरा पैगाम ले जाना...
🌿  🍂 🍃
मैं खुद तो जा नहीं पाऊँ
मेरा प्रणाम ले जाना...
🌿 🍃 🍂

बुधवार, 28 जून 2017

पांच डिजिट का होता है नंबरभारतीय रेलवे की प्रत्‍येक ट्रेन में पांच डिजिट का नंबर लिखा होता है। ट्रेन नंबर का पहला डिजिट 0 से 9 के बीच का होता है और इसमें हर एक अंक का अपना अलग मतलब होता है। तो आइए आप भी नंबर पहचानकर जानें ट्रेन के बारे में...पहला डिजिट -0- स्पेशल ट्रेन (समर, स्‍पेशल और हॉलीडे)1- लंबी दूरी की ट्रेन2- यह भी लंबी दूरी की ट्रेन को दर्शाता है, लेकिन ऐसा तब होता है जब ट्रेन का पहला डिजिट (4 डिजिट नंबर में से) 1 से शुरू होता है।3- यह कोलकाता सब अर्बन ट्रेन के बारे में बताता है।4- यह चेन्नई, नई दिल्ली, सिंकदराबाद और अन्य मेट्रोपॉलिटन शहर को दर्शाता है।5- कन्वेंशनल कोच वाली पैसेंजर ट्रेन6- मेमू ट्रेन7- यह डूएमयू और रेलकार सर्विस के लिए होता है8- यह मौजूदा समय में आरक्षित स्थिति के बारे में बताता है9- यह मुंबई क्षेत्र की सब-अर्बन ट्रेन के बारे में बताता हैदूसरा और उसके बाद के डिजिट -ट्रेन नंबर के दूसरे और उसके बाद के डिजिट का मतलब उसके पहले डिजिट के अनुसार ही तय होता है। किसी ट्रेन के पहले डिजिट 0, 1 और 2 से शुरू होते हैं तो बाकी के चार डिजिट रेलवे जोन और डिवीजन को बताते हैं।

जानिए किस जोन का क्या है नंबर -0 नंबर- कोंकण रेलवे1 नंबर- सेंट्रल रेलवे, वेस्ट-सेंट्रल रेलवे, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे2 नंबर- सुपरफास्ट, शताब्दी, जन शताब्दी तो दर्शाता है। इन ट्रेन के अगले डिजिट जोन कोड को दर्शाते हैं।3 नंबर- ईस्टर्न रेलवे और ईस्ट सेंट्रल रेलवे4 नंबर- नॉर्थ रेलवे, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे5 नंबर- नेशनल ईस्टर्न रेलवे, नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे6 नंबर- साउथर्न रेलवे और साउथर्न वेस्टर्न रेलवे7 नंबर- साउथर्न सेंट्रल रेलवे और साउथर्न वेस्टर्न रेलवे8 नंबर- साउथर्न ईस्टर्न रेलवे और ईस्ट कोस्टल रेलवे9 नंबर- वेस्टर्न रेलवे, नार्थ वेस्टर्न रेलवे और वेस्टर्न सेंट्रल रेलवेइस हिसाब से अगर आपकी ट्रेन का नंबर 12451 है तो1- आपकी ट्रेन लंबी दूरी की है।2- आपकी ट्रेन सुपरफास्ट है।4- यह नॉर्थ रेलवे, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे में से कहीं की है

गुरुवार, 22 जून 2017

एक गीत पेश कर रहा हूँ ।
अगर दर्द नज़र आ जाए तो आह के बदले वाह करिएगा ।

*फिर सहनी है वो पीर मुझे फिर चोट तुझी से खाऊँगा ।
तू मेरे दर्द पे हँसती जा मैं तुझे देख मुस्काऊँगा ।
छोङ दे अब तू फिक्र मेरी बस अपना दिल बहलाती जा ।
मन भर जाए तो कह देना मैं खुशी-खुशी मर जाऊँगा ।

*बङा अच्छा सिला दिया तूने मेरी पाक वफाओं का ।
कभी भूलूँगा ना मैं मौसम दिलकश तेरी जफाओं का ।
तूने अमीर घर की खातिर लूटी गरीब की सब दुनियाँ ।
नादान था जो मैं ना समझा फरेब तेरी अदाओं का ।
तू खूब लगा दिल गैरों से मैं सिर्फ तुझी को चाहूँगा ।
तू मेरे दर्द पे हँसती जा मैं तुझे देख मुस्काऊँगा ।

*हर पल मैं इतना तङपा हूँ ना जीने की उम्मीद मुझे ।
बस मान ले इतनी सी विनती टुकङों में मत बींद मुझे ।
(अब शायद आपकी वाह मिले)
बस मान ले इतनी सी विनती टुकङों में मत बींद मुझे ।
अब हाथ उठा ले तू खंज़र और इक झटके में फना कर दे ।
या दे दे कोई विष का प्याला आ जाए आखिरी नींद मुझे ।

(आखिरी पंक्ति को संभाल लीजिए भाव समझ आ जाए तो जोरदार वाह के साथ मेरा हौसला बुलंद कीजिए । )

या दे दे कोई विष का प्याला आ जाए आखिरी नींद मुझे ।
ना फिर तू यूँ रुस्वा होगी ना कोई गज़ल मैं गाऊँगा ।
तू मेरे दर्द पे हँसती जा मैं तुझे देख मुस्काऊँगा ।
फिर सहनी है वो पीर मुझे फिर चोट तुझी से खाऊँगा.......

**आपका देव**

सोमवार, 12 जून 2017

ब्राह्मण को जानना चाहता है?में तुझे बताता हूँ कि ब्राह्मण कौन है।

ब्राह्मण वह है जो वशिष्ठ के रूप में केवल अपना एक दंड जमीन में गाड़ देता है,जिससे विश्वामित्र के समस्त अस्त्र शस्त्र चूर हो जाते हैं और विश्वामित्र लज्जित होकर कह पड़ते हैं-
धिक बलं क्षत्रिय बलं,ब्रह्म तेजो बलं बलं।
एकेन ब्रह्म दण्डेन,सर्वस्त्राणि हतानि में।
(क्षत्रिय के बल को धिक्कार है।ब्राह्मण का तेज ही असली बल है।ब्राह्मण वशिष्ठ का एक ब्रह्म दंड मेरे समस्त अस्त्र शस्त्र को निर्वीर्य कर दिया)

ब्राह्मण वह है जो परशुराम के रूप में एक बार नहीं,21 बार आततायी राजाओं का संहार करता है।जिसके लिए भगवान राम भी कहते हैं-

विप्र वंश करि यह प्रभुताई।
अभय होहुँ जो तुम्हहिं डेराई।

ब्राह्मण वह है,जो दधीचि के रूप में अपनी हड्डियों से बज्र बनवाकर,वृत्तासुर का अंत कराता है।

ब्राह्मण वह है,जो चाणक्य के रूप में,अपना अपमान होने पर धनानन्द को चुनौती देकर कहता है कि अब यह शिखा तभी बँधेगी जब तुम्हारा  नाश कर दूंगा और ऐसा करके ही शिखा बाँधता है।

ब्राह्मण वह है जो अर्थ शास्त्र की ऐसी पुस्तक देता है,जो आज तक अद्वितीय है।

ब्राह्मण वह है जो पुष्य मित्र शुंग के रूप में मौर्य वंश के अंतिम सम्राट बृहद्रथ को ,उठाता है तलवार और स्वाहा कर देता है।भारत को बौद्ध होने से बचा लेता है।यवन आक्रमण की ऐसी की तैसी कर देता है।

ब्राह्मण वह है जो मण्डन मिश्र के रूप में जन्म लिया और जिसके घर पर तोता भी संस्कृत में दर्शन पर वाद विवाद करते थे।अगर पता नहीं है तो यह श्लोक पढो, जो आदि शंकर के मण्डन मिश्र के घर का पता पूछने पर उनकी दासियों ने कहा था-
स्वतः प्रमाणं परतः प्रमाणं,
कीरांगना यत्र गिरा गिरंति।
द्वारस्थ नीण अंतर संनिरुद्धा,
जानीहि तंमण्डन पंडितौकः।
(जिस घर के दरवाजे पर पिंजरे में बन्द तोता भी वेद के स्वतः प्रमाण या परतः प्रमाण की चर्चा कर रहा हो,उसे ही मण्डन मिश्र का घर समझना।)

ब्राह्मण वह है जो शंकराचार्य के रूप में 32 वर्ष की उम्र तक वह सब कर जाता है,जिसकी कल्पना भी सम्भव नहीं है।अद्वैत वेदान्त,दर्शन का शिरोमणि।

ब्राह्मण वह है जो अस्त व्यस्त अनियंत्रित भाषा को व्याकरण बद्ध कर पाणिनि के रूप में अष्टाध्यायी लिख देता है।

ब्राह्मण वह है,जो पतंजलि के रूप में अश्वमेध यज्ञ कराता है और महाभाष्य लिख देता है।

ब्राह्मण वह है जो तुलसी के रूप में ऐसा महाकाव्य श्री राम चरित मानस, लिख देता है,जो जन जन की गीता बन जाती है।

और बताऊँ ब्राह्मण कौन है?

ब्राह्मण है वह नारायण,जिसने महाराणा प्रताप व उनके भाई शक्ति सिंह के मध्य युद्ध को रोकने के लिए,उनके समक्ष चाकू से अपनी ही हत्या कर दिया था।पता नहीं है तो श्याम नारायन पांडेय का महाकाव्य हल्दी घाटी,प्रथम सर्ग की ये पंक्तियां पढ़ो-

उठा लिया विकराल छुरा
सीने में मारा ब्राह्मण ने।
उन दोनों के बीच बहा दी
शोणित–धारा ब्राह्मण ने।।

वन का तन रँग दिया रूधिर से
दिखा दिया¸ है त्याग यही।
निज स्वामी के प्राणों की
रक्षा का है अनुराग यही॥

ब्राह्मण था वह ब्राह्मण था¸
हित राजवंश का सदा किया।
निज स्वामी का नमक हृदय का
रक्त बहाकर अदा किया॥

ब्राह्मण वह है जो श्याम नारायण पांडेय के रूप में जन्म लेकर,हल्दी घाटी,जौहर,जैसे हिंदी के महाकाव्य लिख डाले, जो अपनी दार्शनिकता व वीर रस के कारण अमर है।थोड़ा परिश्रम करो और जौहर के मंगलाचरण की प्रारंभिक पंक्तियाँ ही पढ़ लो,बुद्धि ठीक हो जाएगी-

गगन के उस पार क्या,
पाताल के इस पार क्या है?
क्या क्षितिज के पार? जग
जिस पर थमा आधार क्या है?

दीप तारों के जलाकर
कौन नित करता दिवाली?
चाँद - सूरज घूम किसकी
आरती करते निराली?

ब्राह्मण वह है जो सूर्य कांत त्रिपाठी के रूप में अवतरित हुआ और अपने साहित्य के निरालेपन,जीवन के अक्खड़पन से निराला बन गया।अमर है निराला की राम की शक्ति पूजा-

बोले विश्वस्त कण्ठ से जाम्बवान-"रघुवर,
विचलित होने का नहीं देखता मैं कारण,
हे पुरुषसिंह, तुम भी यह शक्ति करो धारण,
आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर,
तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर।
रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सकता त्रस्त
तो निश्चय तुम हो सिद्ध करोगे उसे ध्वस्त,
शक्ति की करो मौलिक कल्पना, करो पूजन।

धिक् जीवन को जो पाता ही आया विरोध,
धिक् साधन जिसके लिए सदा ही किया शोध
जानकी! हाय उद्धार प्रिया का हो न सका,
वह एक और मन रहा राम का जो न थका,
जो नहीं जानता दैन्य, नहीं जानता विनय,
कर गया भेद वह मायावरण प्राप्त कर जय,

ब्राह्मण को समझना चाहते हो तो अटल विहारी वाजपेयी के धाराप्रवाह भाषण को सुनिए।भारत रग रग में भर जाएगा।यह भी न हो सके तो सिर्फ ये पंक्तियां पढ़ लीजिये जनाब-

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है।
यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
इसका कंकर-कंकर शंकर है,
इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
हम जियेंगे तो इसके लिये
मरेंगे तो इसके लिये।

आग्नेय परीक्षा की
इस घड़ी में—
आइए, अर्जुन की तरह
उद्घोष करें :
‘‘न दैन्यं न पलायनम्।’

ब्राह्मण ने तो भगवान को भी अश्रु बहाने को बाध्य कर दिया था।याद है गरीब ब्राह्मण सुदामा कृष्ण की मित्रता।
महाकवि नरोत्तम दास के शब्दों में-

ऐसे बेहाल बेवाइन सों पग, कंटक-जाल लगे पुनि जोये।
हाय! महादुख पायो सखा तुम, आये इतै न किते दिन खोये॥
देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिके करुनानिधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सौं पग धोये।

ब्राह्मण प्रज्ञा चक्षु होता है,प्रज्ञाचक्षु।बिना आंख के असम्भव को संभव बना देता है।मूर्खों को यह समझ मे नहीं आएगा।जाकर वर्तमान में स्वामी राम भद्राचार्य अर्थात गिरिधर मिश्र जी को चित्र कूट में देखिए।02 माह के थे,जब आंख की रोशनी चली गयी।अब तक 100 से ज्यादा ग्रंथों के लेखक,22 भाषाओं के ज्ञाता,संस्कृत में दो महाकाव्य-श्री भार्गव राघवीयम और गीत रामायनम।
हिंदी में दो महाकाव्य-अष्टावक्र और अरुंधती।

प्रकृति के सुकुमार कवि,श्री सुमित्रा नन्दन पन्त जी को क्यों विस्मृत करें।कुछ तो है ब्राह्मण रक्त में जरूर।देखिए पन्त जी की उदार विश्व कल्याण की वाणी-
तप रे, मधुर मन!

विश्व-वेदना में तप प्रतिपल,
जग-जीवन की ज्वाला में गल,
बन अकलुष, उज्जवल औ\' कोमल
तप रे, विधुर-विधुर मन!

अपने सजल-स्वर्ण से पावन
रच जीवन की पूर्ति पूर्णतम
स्थापित कर जग अपनापन,
ढल रे, ढल आतुर मन!

तेरी मधुर मुक्ति ही बन्धन,
गंध-हीन तू गंध-युक्त बन,
निज अरूप में भर स्वरूप, मन
मूर्तिमान बन निर्धन!
गल रे, गल निष्ठुर मन।

ब्राह्मण कभी भी निम्न चिंतन करता ही नहीं है।वह हमेशा सत्य,न्याय,धर्म,सदाचार,देश प्रेम की बात करता है।राम नरेश त्रिपाठी जी की इस कविता से यह बात प्रमाणित हो जाती है-

हे प्रभु आनंद-दाता
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये,
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए,
लीजिये हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,
ब्रह्मचारी धर्म-रक्षक वीर व्रत धारी बनें,
निंदा किसी की हम किसी से भूल कर भी न करें,
ईर्ष्या कभी भी हम किसी से भूल कर भी न करें,
सत्य बोलें, झूठ त्यागें, मेल आपस में करें,
दिव्या जीवन हो हमारा, यश तेरा गाया करें,
जाये हमारी आयु हे प्रभु लोक के उपकार में,
हाथ डालें हम कभी न भूल कर अपकार में,
कीजिए हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा,
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा,
प्रेम से हम गुरु जनों की नित्य ही सेवा करें,
प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें,
योग विद्या ब्रह्म विद्या हो अधिक प्यारी हमें,
ब्रह्म निष्ठा प्राप्त कर के सर्व हितकारी बनें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये।

ब्राह्मण की तो इतनी लंबी श्रृंखला है कि ग्रन्थ लिखा जा सकता है।आशा,उत्साह,त्याग,गति,यही सब तो ब्राह्मण की पूंजी है।देखिए बाल कृष्ण शर्मा नवीन की यह रचना-

कौन कहता है की तुमको खा सकेगा काल ?
अरे? तुम हो काल के भी काल अति विकराल
काल का तब धनुष, दिक् की है धनुष की डोर;
धनु-विकंपन से सिहरती सृजन-नाश-हिलोर!
तुम प्रबल दिक्-काल-धनु-धारी सुधन्वा वीर;
तुम चलाते हो सदा चिर चेतना के तीर!

क्या बिगाड़ेगा तुम्हारा, यह क्षणिक आतंक?
क्या समझते हो की होगे नष्ट तुम अकलंक?
यह निपट आतंक भी है भीति-ओत-प्रोत!
और तुम? तुम हो चिरंतन अभयता के स्त्रोत!!
एक क्षण को भी न सोचो की तुम होगे नष्ट,
तुम अनश्वर हो! तुम्हारा भाग्य है सुस्पष्ट!

चिर विजय दासी तुम्हारी, तुम जयी उद्बुद्ध,
क्यों बनो हट आश तुम, लख मार्ग निज अवरुद्ध?
फूँक से तुमने उड़ाई भूधरों की पाँत;
और तुमने खींच फेंके काल के भी दाँत;
क्या करेगा यह बिचारा तनिक सा अवरोध?
जानता है जग तुम्हारा है भयंकर क्रोध!

जब करोगे क्रोध तुम, तब आएगा भूडोल,
काँप उठेंगे सभी भूगोल और खगोल,
नाश की लपटें उठेंगी गगन-मंडल बीच;
भस्म होंगी ये असामाजिक प्रथाएँ नीच!
औ पधारेगा सृजन कर अग्नि से सुस्नान;
मत बनो गत आश! तुम हो चिर अनंत महान!

राम विलास शर्मा का नाम तो सबने सुना ही है।ब्राह्मण कुल मणि शर्मा जी ने लगभग 100 पुस्तकें लिखा।निराला को प्रसिद्धि दिलाई।अब कोई मूर्ख इन्हें न पढ़े, तो
किसका दोष?इनकी एक ही रचना से इनके व्यक्तित्व का दर्शन हो जाता है-

राम विलास शर्मा की प्रसिद्ध रचना-कवि।

वह सहज विलम्बित मंथर गति जिसको निहार
गजराज लाज से राह छोड़ दे एक बार,
काले लहराते बाल देव-सा तन विशाल,
आर्यों का गर्वोन्नत प्रशस्त, अविनीत भाल,
झंकृत करती थी जिसकी वीणा में अमोल,
शारदा सरस वीणा के सार्थक सधे बोल,-
कुछ काम न आया वह कवित्व, आर्यत्व आज,
संध्या की वेला शिथिल हो गए सभी साज।
पथ में अब वन्य जन्तुओं का रोदन कराल।
एकाकीपन के साथी हैं केवल श्रृगाल।

अब कहाँ यक्ष से कवि-कुल-गुरु का ठाट-बाट ?
अर्पित है कवि चरणों में किसका राजपाट ?
उन स्वर्ण-खचित प्रासादों में किसका विलास ?
कवि के अन्त:पुर में किस श्यामा का निवास?
पैरों में कठिन बि‍वाई कटती नहीं डगर,
आँखों में आँसू, दुख से खुलते नहीं अधर !
खो गया कहीं सूने नभ में वह अरुण राग,
धूसर संध्या में कवि उदास है वीतराग !
अब वन्य-जन्तुओं का पथ में रोदन कराल ।
एकाकीपन के साथी हैं केवल श्रृगाल ।

अज्ञान-निशा का बीत चुका है अंधकार,
खिल उठा गगन में अरुण-ज्योति का सहस्नार ।
किरणों ने नभ में जीवन के लिख दिए लेख,
गाते हैं वन के विहग-ज्योति का गीत एक ।
फिर क्यों पथ में संध्या की छाया उदास ?
क्यों सहस्नार का मुरझाया नभ में प्रकाश ?
किरणों ने पहनाया था जिसको मुकुट एक,
माथे पर वहीं लिखे हैं दुख के अमिट लेख।
अब वन्य जन्तुओं का पथ में रोदन कराल ।
एकाकीपन के साथी हैं, केवल श्रृगाल।

इन वन्य-जन्तुओं से मनुष्य फिर भी महान्,
तू क्षुद्र-मरण से जीवन को ही श्रेष्ठ मान।
‘रावण-महिमा-श्यामा-विभावरी-अन्धकार’-
छँट गया तीक्ष्‍ण-बाणों से वह भी तम अपार।
अब बीती बहुत रही थोड़ी, मत हो निराश
छाया-सी संध्या का यद्यपि धूसर प्रकाश।
उस वज्र-हृदय से फिर भी तू साहस बटोर,
कर दिए विफल जिसने प्रहार विधि के कठोर।
क्या कर लेगा मानव का यह रोदन कराल ?
रोने दे यदि रोते हैं वन-पथ में श्रृगाल।

कट गई डगर जीवन की, थोड़ी रही और,
इन वन में कुश-कंटक, सोने को नहीं ठौर।
क्षत चरण न विचलित हों, मुँह से निकले न आह,
थक कर मत गिर पडऩा, ओ साथी बीच राह।
यह कहे न कोई-जीर्ण हो गया जब शरीर,
विचलित हो गया हृदय भी पीड़ा अधीर।
पथ में उन अमिट रक्त-चिह्नों की रहे शान,
मर मिटने को आते हैं पीछे नौजवान।
इन सब में जहाँ अशुभ ये रोते हैं श्रृगाल।
नि‍र्मित होगी जन-सत्ता की नगरी वि‍शाल।

एक और ब्राह्मण,श्री धर पाठक,क्या अनुभूति है,क्या ज्ञान है,क्या शब्द है।एक बात तो माननी ही होगी कि ब्राह्मण हमेशा उदात्त भाव प्रेमी ही होता है,इसी लिए आजकल लोग इससे जलते भी हैं।देखिए पाठक जी की रचना-

भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है
शुचि भाल पै हिमाचल, चरणों पै सिंधु-अंचल
उर पर विशाल-सरिता-सित-हीर-हार-चंचल
मणि-बद्धनील-नभ का विस्तीर्ण-पट अचंचल
सारा सुदृश्य-वैभव मन को लुभा रहा है
भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है

हे वंदनीय भारत, अभिनंदनीय भारत
हे न्याय-बंधु, निर्भय, निर्बंधनीय भारत
मम प्रेम-पाणि-पल्लव-अवलंबनीय भारत
मेरा ममत्व सारा तुझमें समा रहा है
भारत हमारा कैसा सुंदर सुहा रहा है

श्री धर पाठक,हिन्द महिमा

।जय, जयति–जयति प्राचीन हिंद।
जय नगर, ग्राम अभिराम हिंद ।
जय, जयति-जयति सुख-धाम हिंद ।
जय, सरसिज-मधुकर निकट हिंद
जय जयति हिमालय-शिखर-हिंद
जय जयति विंध्य-कन्दरा हिंद
जय मलयज-मेरु-मंदरा हिंद।
जय शैल-सुता सुरसरी हिंद
जय यमुना-गोदावरी हिंद
जय जयति सदा स्वाधीन हिंद
जय, जयति–जयति प्राचीन हिंद।

ब्राह्मण वह है जो गाय का मांस नहीं खाता है,बल्कि इसे मात्र मुंह से लगाने का आदेश देने पर,मंगल पांडेय के रूप में, तत्काल अपने अधिकारी को गोली मार देता है और 1857 की क्रांति का नायक बन जाता है।मरे हुओं में प्राण फूंक देता है।

ब्राह्मण वह है जो बंकिम चन्द्र चटर्जी के रूप में धरती पर आता है और गुलामी की जंजीरों से खिन्न होकर,वेद के पृथ्वी सूक्त का नया संस्करण,वन्दे मातरम के रूप में देकर क्रांति का नायक बन जाता है।

और बताऊँ ब्राह्मण क्या होता है?
ब्राह्मण होता है बाजीराव पेशवा,जो शिखा धारण करता है,चंदन लगाता है और विशाल मुस्लिम साम्राज्य को अपनी लपलपाती तलवार से काट डालता है।

अरे,मैं तो कुछ भूल ही गया था।ब्राह्मण होता है प्रचेता ऋषि का पुत्र महर्षि वाल्मीकि,जो क्रौंच पक्षी की हत्या से ऐसा विक्षुब्ध होता है कि संस्कृत का पहला महाकाव्य रामायण लिख देता है और ऐसी बुद्धि का प्रयोग करता है कि आज तक विद्वान इसी ग्रन्थ से रक्त,अस्थि,मज़्ज़ा प्राप्त करते हैं।

ब्राह्मण होता है बाल गंगाधर तिलक,जो उस समय निडर हो कर उद्घोष करता है-स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे,जब शेष लोग अंग्रेजों के समक्ष दंडवत कर रहे होते हैं।

ब्राह्मण होती है झांसी की रानी लक्ष्मी बाई,जिसके सन 1857 की गाथा को याद कर सुभद्रा कुमारी चौहान को लिखना पड़ जाता है-
चमक उठी सन सत्तावन में,
वह तलवार पुरानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो,
झांसी वाली रानी थी।

अरे रुको,रुको,अभी जाना मत।अभी कुछ और लिखने वाला हूँ।ब्राह्मण क्या है,इसे वीर सावरकर के इस कथन में खोजो-

काल स्वयं मुझसे डरा है,
मैं काल से नहीं।
काले पानी का कालकूट पीकर,
काल से कराल स्तंभों को झकझोर कर,
मैं बार बार लौट आया हूँ,
और फिर भी मैं जीवित हूँ।
हारी मृत्यु है,मैं नहीं।

अब इस लेख को और नहीं बढ़ाना चाहता।इसका समापन अब मैं अपनी ही दो रचनाओं से करता हूँ।क्यों न करूँ?आखिर में भी तो ब्राह्मण हूँ और मुझे ब्राह्मण होने पर गर्व है।

कुहासा क्या कर लेगा?

तुम चलो सूर्य की चाल,
कुहासा क्या कर लेगा?
पल पल यह पथ निर्मित होगा,
गगन लोक कुहरा विचरेगा,
सूरज के इस तप के आगे,
घना अँधेरा नहीं टिकेगा।
जैसे कल रण छोड़ गया था,
वैसे आज पराजित होगा।
हे मानव!बस तन्मय होकर,
करते रहो प्रहार,
कुहासा क्या कर लेगा?
तुम चलो सूर्य की चाल,
कुहासा क्या कर लेगा?

उसमे कण कण तिमिर भरा है,
दरवाजे तम का पहरा है,
दीपों की लड़ियाँ बिखरी हैं,
बर्फीली रातें गहरी हैं,
सभी दीप मिल महाज्वाल बन,
करो अँधेरा पार,
कुहासा क्या कर लेगा?
तुम चलो सूर्य की चाल,
कुहासा क्या कर लेगा?

लहरें आती हैं आने दे,
सागर आज मचल जाने दे,
आसमान यह साक्षी होगा,
सच में तू इतिहास रचेगा,
श्वासों की गति रोक रोक कर,
साहिल-नाव,संभाल,
कुहासा क्या कर लेगा?
तुम चलो सूर्य की चाल,
कुहासा क्या कर लेगा?

राज नाथ तिवारी।

पश्य!पश्य!नटराजःनृत्यति।

संस्कृत वाङ्मय विमला सरिता,
प्रवहति भारत देशे।
बहु अवरोधम,विपुल विरोधम,
जीवति यद्यपि क्लेशे।

मार्गे पापी रिपु संतापी,
अधुना इयं अभंगा।
पावन गंगा यमुना धारा,
शीतल तरल तरंगा।

अस्मिन कवि भवभूति कारुणिक,
पूंजीभूतं नीरं।
रामः सीता यादे विलपति,
दहति समस्त शरीरं।

वाणभट्ट कल्लोल प्रचंडा,
वाणी धावति वेगा।
अचल भूमि जन मंगलकारी,
शौम्या दिव्या गंगा।

रिक यजु साम अथर्व समाहित,
परम पवित्रे नीरे।
ऋषि गण मंगल गीतं गायन,
संस्कृत तटिनी तीरे।

आरण्यक उपनिषद मनोहर,
हृदय हारिणी शोभा।
दृष्ट्वा मधुरा हरीतिमा खलु,
कस्य हृदय न लोभा।

भीष्म युधिष्ठिर विदुर प्रभृतयः,
निवसति विमल विचारे।
पांचजन्यधारी स्वर सलिला,
कुत्रास्मिन संसारे?

मर्यादा पुरुषोत्तम जीवन,
रामायण उपजिव्या।
वर्षति नीरद जलकण झम झम,
भवति वारिणी नव्या।

पश्य!पश्य!,नटराजः नृत्यति,
नव पंचा उद्घोषति।
पाणिनि ऋषि एकाग्री भूत्वा,
अष्टाध्यायी पोषति।

मूर्ख अतीते अति भयभीते,
इह काले अपि पाहन।
उत्तिष्ठत!जाग्रत!हे भू सुर!
कुरु संस्कृतावगाहन।            
🌹🌹 पं. अबध शास्त्री जी 🌹🌹

बुधवार, 7 जून 2017

.अपने ऊपर तान्त्रिक प्रयोग का कैसे पता करें ।

1) रात को सिरहाने एक लोटे मैं पानी भर कर रखे और इस पानी को गमले मैं लगे या बगीचे मैं लगे किसी छोटे पौधे मैं सुबह डाले । 3 दिन से एक सप्ताह मे वो पौधा सूख जायेगा है ।

2) रात्रि को सोते समय एक हरा नीम्बू तकिये के नीचे रखे और प्रार्थना करे कि जो भी नेगेटिव क्रिया हूई इस नीम्बू मैं समाहित हो जाये । सुबह उठने पर यदि नीम्बू मुरझाया या रंग काला पाया जाता है तो आप पर तांत्रिक क्रिया हुई है।

3) यदि बार बार घबराहट होने लगती है, पसीना सा आने लगता हैं, हाथ पैर शून्य से हो जाते है । डाक्टर के जांच मैं सभी रिपोर्ट नार्मल आती हैं।लेकिन अक्सर ऐसा होता रहता तो समझ लीजिये आप किसी तान्त्रिक क्रिया के शिकार हो गए है ।

4) आपके घर मैं अचानक अधिकतर बिल्ली,सांप, उल्लू, चमगादड़, भंवरा आदि घूमते दिखने लगे ,तो समझिये घर पर तांत्रिक क्रिया हो रही है।

5) आपको अचानक भूख लगती लेकिन खाते वक्त मन नही करता ।

6) भोजन मैं अक्सर बाल, या कंकड़ आने लगते है ।

7) घर मे सुबह या शाम मन्दिर का दीपक जलाते समय विवाद होने लगे या बच्चा रोने लगे ।

8) घर के मन्दिर मैं अचानक आग लग जाये ।

9) घर के किसी सदस्य की अचानक मौत ।

10) घर के सदस्यों की एक के बाद एक बीमार पढ़ना ।

11) घर के जानवर जैसे गाय, भैंस, कुत्ता अचानक मर जाना।

12) शरीर पर अचानक नीले रंग के निशान बन जाना ।

13) घर मे अचानक गन्दी बदबू आना ।

14) घर मैं ऐसा महसूस होना की कोई आसपास है ।

15) आपके चेहरे का रंग पीला पड़ना ये भी एक कारण हैं की जितना प्रबल तन्त्र प्रयोग होगा आपके मुह का रंग उतना ही पिला पड़ता जायेगा आप दिन प्रतिदिन अपने आपको कमज़ोर महसूस करेंगे।

16) आपके पहने नए कपड़े अचानक फट जाए, उस पर स्याही या अन्य कोई दाग लगने लग जाए, या जल जाए।

17) घर के अंदर या बाहर नीम्बू, सिंदूर, राई , हड्डी आदि सामग्री बार बार मिलने लगे।

18) चतुर्दशी या अमावस्या को घर के किसी भी सदस्य या आप अचानक बीमार हो जाये या चिड़चिड़ापन आने लग जाये ।

19) घर मैं रुकने का मन नही करे, घर मे आते ही भारीपन लगे,जब आप बाहर रहो तब ठीक लगे*

Upay ki liye

अगली पोस्ट का इंतजार कीजिए संभव हुआ तो घरेलू उपचार के रूप में कुछ बताया जाएगा जिसे किसी भी व्यक्ति को आसानी से कर सकता है और किसी को नुक्सान भी ना हो इसमें सबसे बढ़िया उपाय वैसे एक जो माना जाता है हनुमान जी को मंगलवार या शनिवार को सिंदूर का चोला चढ़ाना मिष्ठान चने और गुड़ का भोग लगाना

इतना करने से ही आपकी समस्या बढ़ेगी नहीं और जहां है वहां कम होने शुरु हो जाएगी इस उपाय को पांच मंगलवार से लेकर 1 साल तक मंगलवार तक करना पड़ सकता है और साथ में बजरंग बाण का पाठ इंसान को दिन में दो बार जरूर करना चाहिए अपने घर में बैठकर तकलीफ बहुत ज्यादा हो तो बजरंग बाण के पाठ के साथ-साथ बगलामुखी चालीसा का पाठ भी करना चाहिए धन्यवाद माता रानी सबको खुश रखे

शनिवार, 20 मई 2017

रातों को वीराना जागे,
या मुझसा दीवाना जागे.

पढ़ के नमाज़ें सो गई मस्जिद,
मस्ती मे मयखाना जागे.

घर का कमरा तो है गाफ़िल,
छिपा हुआ तहखाना जागे.

मुझमें,तुझमें,इसमें,उसमें,
सबमें आबो-दाना जागे.

किरदारों को होश नहीं है,
लेकिन हर अफ़साना जागे.

हो कबीर कोई भी उसमें,
इश्क़ का ताना-बाना जागे.

बात तो तब है जब मैं सोऊँ ,
मेरे लिए ज़माना जागे..
 
कभी हमसे दूर जाने की बात मत करना,
बिछडके तुझसे हम जी नहीं पायेगे वरना,

तुझे अपना बनाने की आरज़ू लीए बेठे हे,
नहीं तो यहाँ अकेले जीकर क्या हे करना,

हसींन लगने लगी यह जिंदगी पाकर तुझे,
जीते थे हम चहेरे पर जूठी ख़ुशी लीए वरना

इस जनम में तो मील न पाये एक दूसरे को,
अब के बाद हर जन्म में बस मेरे ही बनना,

वादा हे में आवुंगा साथ तुझे लेकर जावुंगा,
देर हो जाये तो मेरे आने का इंतज़ार करना,
-

"तेरा साया. .."

*"ये कैसी आहट है कौन मेरे घर में आया होगा।*
*तेरे नाम से किसने दरवाजा खटखटाया होगा।*
*हम तो गुमनामी के अंधेरो में रहे कई वर्षों से,*
*आने वाले को किसी ने तो मेरा पता बताया होगा।*
*बैठ गया था कुछ देर के लिए मैं भी उसके पहलू में,*
*मुझको मालूम था कि वक्त दोनों ही का जाया होगा।*
*हम को कब शौक रहा गैरों से मिलने जुलने का,*
*उसने खुद को तेरे जैसा ही हूबहू सजाया होगा।*
*वही नजरें वही अदायें और खुशबू भी वही थी,*
*मुझको ये इलहाम कहां वो शख्स पराया होगा।*
*वो भी खामोश रहा नजरें अपनी झुकाए हुए,*
*मुझसे नजरें मिलाने में ज़ाहिर है  घबराया होगा।*
*मैं जिस अजनबी में तुझको ढूँढता रहा हूँ मीत,*
*वो तू तो हरगिज न था शायद तेरा साया होगा।"*
             
       

रविवार, 23 अप्रैल 2017

अगर सपनों में दिखते हैं जानवर


Source: AnimalDreamMeanings
सांप: बहुत से लोगों को सपने में सांप नज़र आते हैं, वे इसे देख कर डर जाते है, लेकिन ऐसा नहीं है. सांप या नाग देखना शुभ है. इसका मतलब है आपके जीवन में सभी तरह की सुख-समृद्धि आने वाली है. अगर आपको सपने में काला नाग दिखता है, तो आप आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, साथ ही आपका मान-सम्मान बढ़ेगा.
हाथी: हाथी का सपने में दिखना शुभ सूचक है, कहते है इससे जीवन में सुख समृद्धि की बढ़ोतरी होती है.
घोड़े पर चढ़ते हुए देखना: इसका मतलब है आपको अपने कार्य में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.
कुत्ता: अगर रोता हुआ कुत्ता दिखाई दे, मतलब बुरा समाचार आने वाला है. एक कुत्ता दिखाई दे, मतलब किसी पुराने दोस्त से मुलाकात हो सकती है.
बिल्ली: सपने में बिल्ली के दिखने का मतलब है, आपकी किसी से लड़ाई हो सकती है
शेर: अगर सपने में आपको शेर दिखाई देता है, तो मान लीजिए आपके रुके हुए कार्य पूरे होने वाले हैं.
बिच्छू: बिच्छू का दिखना शुभ-अशुभ दोनों होता है. इसका फल परीस्थिती पर निर्भर करता है. अगर आपको ये सपने में दिखाई दे, इसका मतलब है कि आप पर एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी आने वाली है, जिससे आपका मान-सम्मान बढ़ेगा. सपने में अगर बिच्छू काटता हुआ दिखाई दे, तो किसी तरह की हानि या नुकसान संभव है.

अगर सपने में आपको दिखते हैं लोग


Source: dream
दोस्त: सपने में दोस्तों का दिखाई देने का मतलब है कि आपके दोस्त को आपकी सलाह की ज़रूरत है या आप चाहते है कि आपके दोस्त आपकी सुनें.
टीचर: टीचर का सपने में दिखना अच्छा होता है, इससे जीवन में बाधाएं दूर होती है और सफलता मिलती है.
बच्चे: सपने में किसी बच्चे को देखने का मतलब है कि आप खुद को किसी काम के लिए परिपक्व नहीं समझते हैं या जो काम आप कर रहे हैं, उसमें आपको और विकसित या फिर परिपक्व होने की ज़रूरत है.
लड़की: जवान लड़की को देखना अच्छा संकेत है, इसका मतलब है आपकी शादी जल्द होने वाली है.
साधू, सन्यासी: इसका मतलब जल्दी आपका अच्छा समय शुरू होने वाला है.
रोता बच्चा: सपने में अगर रोता बच्चा दिखता है, तो मान लीजिए आपके जीवन में कोई निराशा आने वाली है. मतलब कोई बीमारी या कोई बुरी खबर आ सकती है.
रिश्तेदार: सपने में किसी रिश्तेदार को अपने घर में आता हुआ देखने का मतलब है आपको नए अवसर मिलने वाले हैं.

सपने में इन चीज़ों को देखते हैं, तो घबराएं नहीं


Source: content
उत्सव: सपने में अगर आप खुद को किसी पार्टी, शादी या महोत्सव में देखते हैं तो इसका मतलब है कि आप जल्द ही किसी की शोक सभा में जाने वाले हैं.
किसी मर चुके इंसान का दिखना: कोई आपका अपना या रिश्तेदार जो मर चुका है, उससे आप सपने में बात करते हैं, तो इसका मतलब है कि मन की कोई इच्छा पूरी होने वाली है.
भूत: सपने में किसी के भूत को देखना अशुभ माना जाता है. इसका मतलब, भविष्य में आपको किसी तरह के भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा.
आग: सपने में आग का दिखना अच्छा होता है, ये रूका हुआ धन वापस मिलने के संकेत हैं, लेकिन अगर कोई सपने में किसी को आग से जलता हुआ देखे, तो ये बुरा माना जाता है, इससे व्यापार में हानि पक्की है.
कटा हुआ सिर: सपने में अगर अपना ही कटा हुआ सिर दिखता है, तो आप पर किसी तरह की परेशानी आने वाली है.
महल: ये अच्छा सूचक है, इसका मतलब है कि आपके कष्ट ख़त्म होने वाले हैं.
ऊंचाई: बहुत से लोग ऊंचाई से डरते है, उन्हें हमेशा ये डर बना रहता है कि कहीं वे ऊंचाई से गिर न जाएं. इस डर को वे अपने सपने में भी देखते हैं, ऐसा देखने का मतलब है कि ज़िन्दगी में कोई परेशानी आने वाली है.
गोल्ड: अगर सपने में कोई आपको गोल्ड दे रहा है, तो आपकी शादी जल्दी हो सकती है.
परीक्षा देते हुए देखना: अपने आप को परीक्षा हॉल में परीक्षा देते हुए देखने का मतलब आपके जीवन में किसी तरह की कठिनाई आने वाली है, जो आपके लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगी.
दबे दबे होंठो से कुछ बात
आज कह दो
दिल मैं जो दबाये हैं वो अरमान
आज कह दो
कह दो कि
मुझसे कितना प्यार करते हो
कह दो कि
दिल में सिर्फ मुझको रखते हो
न कह सको अगर होंठो से कुछ,
तो प्यार के कुछ ख़त मेरे नाम कर दो
कुछ तो कहो कुछ इशारा तो दो
हवाओं के झोंको से कह दो
या खूबसूरत फ़िज़ाओं से
बस प्यार है मुझसे एक बार तो कहदो
नहीँ कहते हो मुझसे कुछ तब भी कुछ इशारे होते हैं
ना जाने क्या कशिश है तुम्हारी आँखों में
कि देख के मुझे ये झुक जाती हैं
थोड़ी थोड़ी हया आती है इनको
और लज्जा से ये शर्मा जाती हैं
कभी कभी दांतो से होंठों को  दबाने लगते हैं
तो कभी कभी खुद मैं सिमटने लगते हैं
शायद ये दिल को पहली बार हुआ है
कुछ मीठा सा एहसास है
कई लोगो ने मुझसे कहा शायद तुम्हे भी प्यार हुआ है
कैसे ये जान लूँ क्यों लोगों की बात मान लूँ
एक बार ही सही दबे दबे होंठो से कुछ बात कह दो
कि है आग प्यार की आपके दिल में दबी कहीं
इतना एक बार कह दो
मेरी कश्मकश को एक नाम दे दो
प्यार का कोई पैगाम दे दो
फिर लिखो कोई दिल की कहानी
कि थी कोई हीर जो थी रांझा की दीवानी
जिसने माना था तुम्हें प्यार और कहा था
कि दबे दबे होंठो से कुछ बात कह दो
कि  है तुम्हें भी है प्यार मुझसे
इतना बस एक बार कह दो
            🙏आपका देव🙏


जो तेरा शौक है, नफरत तो इश्क मेरी  भी आदत है
                चल देखते है, आज कि किसमे कितनी ताकत है....
                  कि तेरी नफरत जो कर दे जुदा मुझको मुहब्बत से तो मै भी मान लुंगी कि झूठी इबादत है...
                             मेरा है मगर  करता ये दिल तेरी हिमायत है, कि खुद को तोडने की ये तुझे देता रियायत है
                            खुदा से मांगी है... अब तक दुआएँ जितनी  भी इसमे तुझे जो मिलती है, खुशियाँ ये उनकी ही इनायत है.....
              किसी  को दर्द देकर जो मिले वो कैसी राहत है किसी से नफरत करने की भला ये कैसी चाहत है...
                 कि युँ तो हुई है अब तक हजारो जंग दुनिया मे वो लेकिन प्यार है जिसने रखी दुनिया सलामत है...
               दुनिया मे न जाने अब चली कैसी रवायत है, अब तो इश्क मे भी लोग लगे करने सियासत है,,,
                कि खुद तो दे नही सकते किसी को प्यार बदले मे कोई इनसे करे इन्हे उसमे भी शिकायत है....

बुधवार, 19 अप्रैल 2017



अब के रख लो लाज हमारी बाबूजी

अबके तनख्वा दे दो सारी बाबूजी
अब के रख लो लाज हमारी बाबूजी

इक तो मार गरीबी की लाचारी है
उस पर टी.बी.की बीमारी बाबूजी

भूखे बच्चों का मुरझाया चेहरा देख
दिल पर चलती रोज़ कटारी बाबूजी

नून-मिरच मिल जाएँ तो बडभाग हैं
हमने देखी ना तरकारी बाबूजी

दूधमुंहे बच्चे को रोता छोड़ हुई
घरवाली भगवान को प्यारी बाबूजी

आधा पेट काट ले जाता है बनिया
खाके आधा पेट गुजारी बाबूजी

पीढ़ी-पीढ़ी खप गयी ब्याज चुकाने में
फिर भी कायम रही उधारी बाबूजी

दिन-भर मेनत करके खांसें रात-भर
बीत रहा है पल-पल भारी बाबूजी

ना जीने की ताकत ना आती है मौत
जिंदगानी तलवार दुधारी बाबूजी

मजबूरी में हक भी डर के मांगे हैं
बने शौक से कौन भिखारी बाबूजी

पूरे पैसे दे दो पूरा खा लें आज
बच्चे मांग रहे त्यौहारी बाबूजी


शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

बेटे भी घर छोड़ के जाते हैं..
अपनी जान से ज़्यादा..प्यारा लेपटाॅप छोड़ कर...
अलमारी के ऊपर रखा...धूल खाता cricket bat छोड़ कर...
जिम के सारे लोहे-बट्टे...और बाकी सारी मशीने...
मेज़ पर बेतरतीब पड़ी...वर्कशीट, किताबें, काॅपियाँ...
सारे यूँ ही छोड़ जाते है...बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
अपनी मन पसन्द ब्रान्डेड...जीन्स और टीशर्ट लटका...
अलमारी में कपड़े जूते...और गंध खाते पुराने मोजे...
हाथ नहीं लगाने देते थे... वो सबकुछ छोड़ जाते हैं...
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
जो तकिये के बिना कहीं...भी सोने से कतराते थे...
आकर कोई देखे तो वो...कहीं भी अब सो जाते हैं...
खाने में सो नखरे वाले..अब कुछ भी खा लेते हैं...
अपने रूम में किसी को...भी नहीं आने देने वाले...
अब एक बिस्तर पर सबके...साथ एडजस्ट हो जाते हैं...
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं.!!
घर को मिस करते हैं लेकिन...कहते हैं 'बिल्कुल ठीक हूँ'...
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले...अब कहते हैं 'कुछ नहीं चाहिए'...
पैसे कमाने की होड़ में...वो भी कागज बन जाते हैं...

सिर्फ बेटियां ही नहीं साहब...
.    .    .    .   बेटे भी घर छोड़ जाते हैं..r
                       🙏आपका देव🙏

 Missuuuu alll

शनिवार, 1 अप्रैल 2017

उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है....

फ़लक पे भोर की दुल्हन यूँ सज के आई है,
ये दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है, 
अभी भी आते हैं आँसू मेरी कहानी में, 
कलम में शुक्र-ए- खुदा है कि 'रौशनाई' है..... 

घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे,
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा ?
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है,
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा....

उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे 
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे 
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा 
ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे

हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है,
हम चिरागों की इन हवाओं से,
कोई तो जा के बता दे उस को,
चैन बढता है बद्दुआओं से...

क़लम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा, 
गिरेबां अपना आँसू में भिगोता हूँ तो हंगामा, 
नहीं मुझ पर भी जो खुद की ख़बर वो है ज़माने पर, 
मैं हँसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा...

तुम अमर राग-माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,
लोग पढ़ लेंगे तुम से सबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही...

बदलने को तो इन आखोँ के मंज़र कम नहीं बदले ,
तुम्हारी याद के मौसम,हमारे ग़म नहीं बदले ,
तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी,तब तो मानोगी ,
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले.......

बुधवार, 29 मार्च 2017

कुंडली में दो ग्रहों की युती के फल
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जानिये दो ग्रहों की युती के फल :-
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१. सूर्य+बुध =
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विद्या , बुद्धि देता है, सरकारी नौकरी, ज्योतिष ,
अपने प्रयास से धनवान , बचपन में कष्ट ।
२. सूर्य+शुक्र =
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कला, साहित्य, यांत्रिक कला का ज्ञान , क्रोध,
प्रेम सम्बन्ध , बुरे, गृहस्थ बुरा , संतान में देरी , तपेदिक ,
पिता के लिए अशुभ।
३. सूर्य+गुरू =
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मान-मर्यादा , श्रेष्टता , उच्च पद तथा यश में वृद्धि
करता है, स्वयं की मेहनत से सफलता।
४. सूर्य+ मंगल =
~~~~~~~~~
साहसी , अग्नि से सम्बंधित कामों में सफलता ,
सर्जन , डॉक्टर , अधिकारी , सर में चोट, का
निशान , दुर्घटना , खुद का मकान बनाये।
५. सूर्य+चन्द्र =
~~~~~~~~
राजकीय ठाठ - बाठ , अधिकार, पद, उत्तम
राजयोग , डॉक्टर , दो विवाह , गृहस्थ जीवन हल्का
, स्त्रीयों द्वारा विरोध, बुढ़ापा उत्तम।
६. सूर्य+शनि =
~~~~~~~~~
पिता-पुत्र में बिगाड़ अथवा जुदाई। युवावस्था में
संकट, राज दरबार बुरा। स्वास्थ कमजोर। पिता की
मृत्यु , गरीबी। घरेलू अशांति। पत्नी का स्वास्थ
कमजोर।
७. सूर्य+राहू =
~~~~~~~~
सरकारी नौकरी में परेशानी। चमड़ी पर दाग , खर्च
हो। घरेलू अशांति , परिवार की बदनामी का डर।
श्वसुर की धन की स्थिति कमजोर। सूर्य को ग्रहण।
८. सूर्य+केतू=
~~~~~~~~
सरकारी काम अथवा सरकारी नौकरी में उतार-
चढ़ाव। संतान का फल बुरा।
९. चन्द्रमा+मंगल=
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मन की स्थिति डांवाडोल। दुर्घटना। साहसिक
कामों से धन लाभ' उत्तम धन।
१०. चन्द्र+बुध=
~~~~~~~~~
उत्तम वक्ता। बुद्धिमत्ता। लेखन शक्ति। गहन चिंतन।
स्वास्थ में गड़बड़। दो विवाह योग। मानसिक
असंतुलन।
११. चन्द्र+गुरू=
~~~~~~~~~
उत्तम स्थिति। धन प्राप्ति। बैंक में अधिकारी। उच्च
पद। मान-सम्मान। धनी। यदि पाप दृष्टी हो तो
विद्द्या में रूकावट।
१२. चन्द्र+शुक्र=
~~~~~~~~~
दो विवाह योग। अन्य स्त्री से सम्बन्ध। विलासी।
शान-शौकत का प्रेमी। रात का सुख।
१३. चन्द्र+शनि =
~~~~~~~~~
दुःख। मानसिक तनाव। नज़र की खराबी। माता
तथा धन के लिए ठीक नहीं। हर काम में रूकावट।
गरीबी। शराबी। उदास ,सन्यासी। स्त्री सुख में
कमी।
१४. चन्द्र+राहू =
~~~~~~~~~
पानी से डर। शरीर पर दाग। विदेश यात्रा। जिस
भाव में स्थित हो उसकी हानी।
१५. चन्द्र+केतू=
~~~~~~~~~
विद्या में रूकावट। मूत्र वीकार। जोड़ों में दर्द।
केमिष्ट।
१६ मंगल+शनि =
~~~~~~~~~
दुर्घटना। इंजीनियर। डॉक्टर। भाइयों से अनबन। धन
संग्रह में रूकावट। चमड़ी तथा खून में वीकार।
साहसिक कार्यों में सफलता। धन-दौलत चोरी।
डाकू। ड्राइवर। सरकारी अधिकारी।
१७. मंगल+बुध=
~~~~~~~~~
साहसिक कार्यो से लाभ। बुद्धी और साहस का
योग। खोजी निगाह। स्पष्ट वक्ता। इंजीनियर।
डाक्टर। दुर्घटना आदि।
१८. मंगल+गुरू=
~~~~~~~~~
गणितज्ञ , विद्वान , ज्योतिषी, खगोल शास्त्री ,
पीलिया, धनवान , अगुआ, तथा नेता।
१९. मंगल+शुक्र=
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व्यापार में कुशल। धातु शोधक। विमान चालक।
साहसी। अंतराष्ट्रीय व्यापार। ऑटोमोबाइल।
कार। फर्नीचर। पत्नी का स्वास्थ कमजोर।
२०. मंगल+राहू =
~~~~~~~~~
कम बोले। उत्साही। चुस्त। फसादी। दिमाग तेज।
शाही सवारी। अधिकारी। रसोई में होशियार।
२१. मंगल+केतू=
~~~~~~~~~
संतान का फल शुभ। पुत्र साहसी। तपेदिक। चमड़ी
तथा पैरों में रोग। जोड़ों का सूजन। आत्महत्या
आदि।
२२. बुध+गुरू=
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विद्वान। कवि। काव्य रचियता। माता-पिता
दुखिया। कभी अमीर , कभी गरीब। अकाउंटेंट। बैंक में
अधिकारी। एजेंट। वकील।
२३. बुध+शुक्र =
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अर्द्ध सरकारी नौकरी। सरकारी नौकरी। घरेलू सुख।
कला कौशल। शिल्प कला। तेल। मिट्टी। प्रेम सम्बन्ध
खराब। मशीनरी। नीलामी करने वाला। क्लर्क।
२४. बुध+शनि=
~~~~~~~~~
कम बोलने वाला। गंभीर स्वभाव। बीमा व्यवसाय।
शराबी। स्त्रीयों का मिलनसार। पिता के लिए
बुरा।
२५. बुध+राहू=
~~~~~~~~~
पागल खाना। जेल। हस्पताल। जानवरों का
शिकारी। दिमाग में विकार। मानसिक तनाव।
शिकारी।
२६. बुध+केतू =
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यात्रा लगी रहे। कमर, पेशाब, एवं रीढ़ की हड्डी में
वीकार तथा दुःखी। पैरों में विकार। अन्वेषक। जादू
टोना।
२७. गुरू + शुक्र=
~~~~~~~~~~
सुखी। बलवान। चतुर. नीतिवान। पत्नी या पिता
एक सहायक। घरेलू अशांति। अध्यापिका।
२८. गुरू + शनि=
~~~~~~~~~~
कार्यों में निपुण। धनी। तेजस्वी। विद्या में रूकावट।
पत्नी तथा पिता के लिये अशुभ। बीमारी। चिंतन
शक्ति उत्तम।
२९. गुरू +राहू=
~~~~~~~~~
विद्या में रूकावट। पिता के लिये खराब।
३०. गुरू + केतू =
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विद्या के लिये उत्तम , शत्रु परेशान करे। पिता -पुत्र
में अनबन। अन्वेषक।
३१. शनि+राहू =
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शरीर पर काला दाग। तिल। पत्नी से सम्बन्ध खराब।
घरेलू अशांति। डॉक्टर।
३२. शुक्र+राहू=
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दो विवाह योग। घरेलू अशांति। प्रेम सम्बन्ध।
बिजली विभाग में नौकरी। सेना में नौकरी। पत्नी
से अनबन।
३३. शुक्र+केतू =
~~~~~~~~~
संतान के लिये बुरा। कामी।

बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

सुखी बसे संसार सब दुःखिया रहे न कोय ।
यह अभिलाषा हम सब की भगवन पूरी होय ।।२।।

विद्या बुद्धि तेज बल सबके भीतर होय ।
दूध पूत धन धान्य से वंचित रहे न कोई ।।२।।

आपकी भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर ।
राग द्वेष से चित्त मेरा कोसों भागे दूर ।।३।।

मिले भरोसा आप का हमें सदा जगदीश ।
आशा तेरे धाम की बनी रहे मम ईश ।।४।।

पाप से हमें बचाइए करके दया दयाल ।
अपना भक्त बनायकर सबको करो निहाल ।।५।।

दिल में दया उदारता मन में प्रेम अपार ।
 धैर्य में ह्रदय   वीरता सबको दो करतार ।।६।।

नारायण प्रभु आप हो पाप विमोचन हार ।
दूर करो अज्ञान सब कर दो भव से पार ।।७।।

हाँथ जोड़ विनती करें सुनिए कृपानिधाना ।
साधु संगत सुख दीजिये दया नम्रता दान ।।८।।

सुखी बसे संसार सब दुःखिया रहे न कोय ।
यह अभिलाषा हम सबकी भगवन् पूरी होय ।।

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