बुधवार, 29 मार्च 2017

कुंडली में दो ग्रहों की युती के फल
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जानिये दो ग्रहों की युती के फल :-
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१. सूर्य+बुध =
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विद्या , बुद्धि देता है, सरकारी नौकरी, ज्योतिष ,
अपने प्रयास से धनवान , बचपन में कष्ट ।
२. सूर्य+शुक्र =
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कला, साहित्य, यांत्रिक कला का ज्ञान , क्रोध,
प्रेम सम्बन्ध , बुरे, गृहस्थ बुरा , संतान में देरी , तपेदिक ,
पिता के लिए अशुभ।
३. सूर्य+गुरू =
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मान-मर्यादा , श्रेष्टता , उच्च पद तथा यश में वृद्धि
करता है, स्वयं की मेहनत से सफलता।
४. सूर्य+ मंगल =
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साहसी , अग्नि से सम्बंधित कामों में सफलता ,
सर्जन , डॉक्टर , अधिकारी , सर में चोट, का
निशान , दुर्घटना , खुद का मकान बनाये।
५. सूर्य+चन्द्र =
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राजकीय ठाठ - बाठ , अधिकार, पद, उत्तम
राजयोग , डॉक्टर , दो विवाह , गृहस्थ जीवन हल्का
, स्त्रीयों द्वारा विरोध, बुढ़ापा उत्तम।
६. सूर्य+शनि =
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पिता-पुत्र में बिगाड़ अथवा जुदाई। युवावस्था में
संकट, राज दरबार बुरा। स्वास्थ कमजोर। पिता की
मृत्यु , गरीबी। घरेलू अशांति। पत्नी का स्वास्थ
कमजोर।
७. सूर्य+राहू =
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सरकारी नौकरी में परेशानी। चमड़ी पर दाग , खर्च
हो। घरेलू अशांति , परिवार की बदनामी का डर।
श्वसुर की धन की स्थिति कमजोर। सूर्य को ग्रहण।
८. सूर्य+केतू=
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सरकारी काम अथवा सरकारी नौकरी में उतार-
चढ़ाव। संतान का फल बुरा।
९. चन्द्रमा+मंगल=
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मन की स्थिति डांवाडोल। दुर्घटना। साहसिक
कामों से धन लाभ' उत्तम धन।
१०. चन्द्र+बुध=
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उत्तम वक्ता। बुद्धिमत्ता। लेखन शक्ति। गहन चिंतन।
स्वास्थ में गड़बड़। दो विवाह योग। मानसिक
असंतुलन।
११. चन्द्र+गुरू=
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उत्तम स्थिति। धन प्राप्ति। बैंक में अधिकारी। उच्च
पद। मान-सम्मान। धनी। यदि पाप दृष्टी हो तो
विद्द्या में रूकावट।
१२. चन्द्र+शुक्र=
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दो विवाह योग। अन्य स्त्री से सम्बन्ध। विलासी।
शान-शौकत का प्रेमी। रात का सुख।
१३. चन्द्र+शनि =
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दुःख। मानसिक तनाव। नज़र की खराबी। माता
तथा धन के लिए ठीक नहीं। हर काम में रूकावट।
गरीबी। शराबी। उदास ,सन्यासी। स्त्री सुख में
कमी।
१४. चन्द्र+राहू =
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पानी से डर। शरीर पर दाग। विदेश यात्रा। जिस
भाव में स्थित हो उसकी हानी।
१५. चन्द्र+केतू=
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विद्या में रूकावट। मूत्र वीकार। जोड़ों में दर्द।
केमिष्ट।
१६ मंगल+शनि =
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दुर्घटना। इंजीनियर। डॉक्टर। भाइयों से अनबन। धन
संग्रह में रूकावट। चमड़ी तथा खून में वीकार।
साहसिक कार्यों में सफलता। धन-दौलत चोरी।
डाकू। ड्राइवर। सरकारी अधिकारी।
१७. मंगल+बुध=
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साहसिक कार्यो से लाभ। बुद्धी और साहस का
योग। खोजी निगाह। स्पष्ट वक्ता। इंजीनियर।
डाक्टर। दुर्घटना आदि।
१८. मंगल+गुरू=
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गणितज्ञ , विद्वान , ज्योतिषी, खगोल शास्त्री ,
पीलिया, धनवान , अगुआ, तथा नेता।
१९. मंगल+शुक्र=
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व्यापार में कुशल। धातु शोधक। विमान चालक।
साहसी। अंतराष्ट्रीय व्यापार। ऑटोमोबाइल।
कार। फर्नीचर। पत्नी का स्वास्थ कमजोर।
२०. मंगल+राहू =
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कम बोले। उत्साही। चुस्त। फसादी। दिमाग तेज।
शाही सवारी। अधिकारी। रसोई में होशियार।
२१. मंगल+केतू=
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संतान का फल शुभ। पुत्र साहसी। तपेदिक। चमड़ी
तथा पैरों में रोग। जोड़ों का सूजन। आत्महत्या
आदि।
२२. बुध+गुरू=
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विद्वान। कवि। काव्य रचियता। माता-पिता
दुखिया। कभी अमीर , कभी गरीब। अकाउंटेंट। बैंक में
अधिकारी। एजेंट। वकील।
२३. बुध+शुक्र =
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अर्द्ध सरकारी नौकरी। सरकारी नौकरी। घरेलू सुख।
कला कौशल। शिल्प कला। तेल। मिट्टी। प्रेम सम्बन्ध
खराब। मशीनरी। नीलामी करने वाला। क्लर्क।
२४. बुध+शनि=
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कम बोलने वाला। गंभीर स्वभाव। बीमा व्यवसाय।
शराबी। स्त्रीयों का मिलनसार। पिता के लिए
बुरा।
२५. बुध+राहू=
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पागल खाना। जेल। हस्पताल। जानवरों का
शिकारी। दिमाग में विकार। मानसिक तनाव।
शिकारी।
२६. बुध+केतू =
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यात्रा लगी रहे। कमर, पेशाब, एवं रीढ़ की हड्डी में
वीकार तथा दुःखी। पैरों में विकार। अन्वेषक। जादू
टोना।
२७. गुरू + शुक्र=
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सुखी। बलवान। चतुर. नीतिवान। पत्नी या पिता
एक सहायक। घरेलू अशांति। अध्यापिका।
२८. गुरू + शनि=
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कार्यों में निपुण। धनी। तेजस्वी। विद्या में रूकावट।
पत्नी तथा पिता के लिये अशुभ। बीमारी। चिंतन
शक्ति उत्तम।
२९. गुरू +राहू=
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विद्या में रूकावट। पिता के लिये खराब।
३०. गुरू + केतू =
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विद्या के लिये उत्तम , शत्रु परेशान करे। पिता -पुत्र
में अनबन। अन्वेषक।
३१. शनि+राहू =
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शरीर पर काला दाग। तिल। पत्नी से सम्बन्ध खराब।
घरेलू अशांति। डॉक्टर।
३२. शुक्र+राहू=
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दो विवाह योग। घरेलू अशांति। प्रेम सम्बन्ध।
बिजली विभाग में नौकरी। सेना में नौकरी। पत्नी
से अनबन।
३३. शुक्र+केतू =
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संतान के लिये बुरा। कामी।

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