"तेरा साया. .."
*"ये कैसी आहट है कौन मेरे घर में आया होगा।*
*तेरे नाम से किसने दरवाजा खटखटाया होगा।*
*हम तो गुमनामी के अंधेरो में रहे कई वर्षों से,*
*आने वाले को किसी ने तो मेरा पता बताया होगा।*
*बैठ गया था कुछ देर के लिए मैं भी उसके पहलू में,*
*मुझको मालूम था कि वक्त दोनों ही का जाया होगा।*
*हम को कब शौक रहा गैरों से मिलने जुलने का,*
*उसने खुद को तेरे जैसा ही हूबहू सजाया होगा।*
*वही नजरें वही अदायें और खुशबू भी वही थी,*
*मुझको ये इलहाम कहां वो शख्स पराया होगा।*
*वो भी खामोश रहा नजरें अपनी झुकाए हुए,*
*मुझसे नजरें मिलाने में ज़ाहिर है घबराया होगा।*
*मैं जिस अजनबी में तुझको ढूँढता रहा हूँ मीत,*
*वो तू तो हरगिज न था शायद तेरा साया होगा।"*
*"ये कैसी आहट है कौन मेरे घर में आया होगा।*
*तेरे नाम से किसने दरवाजा खटखटाया होगा।*
*हम तो गुमनामी के अंधेरो में रहे कई वर्षों से,*
*आने वाले को किसी ने तो मेरा पता बताया होगा।*
*बैठ गया था कुछ देर के लिए मैं भी उसके पहलू में,*
*मुझको मालूम था कि वक्त दोनों ही का जाया होगा।*
*हम को कब शौक रहा गैरों से मिलने जुलने का,*
*उसने खुद को तेरे जैसा ही हूबहू सजाया होगा।*
*वही नजरें वही अदायें और खुशबू भी वही थी,*
*मुझको ये इलहाम कहां वो शख्स पराया होगा।*
*वो भी खामोश रहा नजरें अपनी झुकाए हुए,*
*मुझसे नजरें मिलाने में ज़ाहिर है घबराया होगा।*
*मैं जिस अजनबी में तुझको ढूँढता रहा हूँ मीत,*
*वो तू तो हरगिज न था शायद तेरा साया होगा।"*
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