गुरुवार, 22 जून 2017

एक गीत पेश कर रहा हूँ ।
अगर दर्द नज़र आ जाए तो आह के बदले वाह करिएगा ।

*फिर सहनी है वो पीर मुझे फिर चोट तुझी से खाऊँगा ।
तू मेरे दर्द पे हँसती जा मैं तुझे देख मुस्काऊँगा ।
छोङ दे अब तू फिक्र मेरी बस अपना दिल बहलाती जा ।
मन भर जाए तो कह देना मैं खुशी-खुशी मर जाऊँगा ।

*बङा अच्छा सिला दिया तूने मेरी पाक वफाओं का ।
कभी भूलूँगा ना मैं मौसम दिलकश तेरी जफाओं का ।
तूने अमीर घर की खातिर लूटी गरीब की सब दुनियाँ ।
नादान था जो मैं ना समझा फरेब तेरी अदाओं का ।
तू खूब लगा दिल गैरों से मैं सिर्फ तुझी को चाहूँगा ।
तू मेरे दर्द पे हँसती जा मैं तुझे देख मुस्काऊँगा ।

*हर पल मैं इतना तङपा हूँ ना जीने की उम्मीद मुझे ।
बस मान ले इतनी सी विनती टुकङों में मत बींद मुझे ।
(अब शायद आपकी वाह मिले)
बस मान ले इतनी सी विनती टुकङों में मत बींद मुझे ।
अब हाथ उठा ले तू खंज़र और इक झटके में फना कर दे ।
या दे दे कोई विष का प्याला आ जाए आखिरी नींद मुझे ।

(आखिरी पंक्ति को संभाल लीजिए भाव समझ आ जाए तो जोरदार वाह के साथ मेरा हौसला बुलंद कीजिए । )

या दे दे कोई विष का प्याला आ जाए आखिरी नींद मुझे ।
ना फिर तू यूँ रुस्वा होगी ना कोई गज़ल मैं गाऊँगा ।
तू मेरे दर्द पे हँसती जा मैं तुझे देख मुस्काऊँगा ।
फिर सहनी है वो पीर मुझे फिर चोट तुझी से खाऊँगा.......

**आपका देव**

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