सुखी बसे संसार सब दुःखिया रहे न कोय ।
यह अभिलाषा हम सब की भगवन पूरी होय ।।२।।
विद्या बुद्धि तेज बल सबके भीतर होय ।
दूध पूत धन धान्य से वंचित रहे न कोई ।।२।।
आपकी भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर ।
राग द्वेष से चित्त मेरा कोसों भागे दूर ।।३।।
मिले भरोसा आप का हमें सदा जगदीश ।
आशा तेरे धाम की बनी रहे मम ईश ।।४।।
पाप से हमें बचाइए करके दया दयाल ।
अपना भक्त बनायकर सबको करो निहाल ।।५।।
दिल में दया उदारता मन में प्रेम अपार ।
धैर्य में ह्रदय वीरता सबको दो करतार ।।६।।
नारायण प्रभु आप हो पाप विमोचन हार ।
दूर करो अज्ञान सब कर दो भव से पार ।।७।।
हाँथ जोड़ विनती करें सुनिए कृपानिधाना ।
साधु संगत सुख दीजिये दया नम्रता दान ।।८।।
सुखी बसे संसार सब दुःखिया रहे न कोय ।
यह अभिलाषा हम सबकी भगवन् पूरी होय ।।
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यह अभिलाषा हम सब की भगवन पूरी होय ।।२।।
विद्या बुद्धि तेज बल सबके भीतर होय ।
दूध पूत धन धान्य से वंचित रहे न कोई ।।२।।
आपकी भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर ।
राग द्वेष से चित्त मेरा कोसों भागे दूर ।।३।।
मिले भरोसा आप का हमें सदा जगदीश ।
आशा तेरे धाम की बनी रहे मम ईश ।।४।।
पाप से हमें बचाइए करके दया दयाल ।
अपना भक्त बनायकर सबको करो निहाल ।।५।।
दिल में दया उदारता मन में प्रेम अपार ।
धैर्य में ह्रदय वीरता सबको दो करतार ।।६।।
नारायण प्रभु आप हो पाप विमोचन हार ।
दूर करो अज्ञान सब कर दो भव से पार ।।७।।
हाँथ जोड़ विनती करें सुनिए कृपानिधाना ।
साधु संगत सुख दीजिये दया नम्रता दान ।।८।।
सुखी बसे संसार सब दुःखिया रहे न कोय ।
यह अभिलाषा हम सबकी भगवन् पूरी होय ।।
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