रविवार, 23 अप्रैल 2017

जो तेरा शौक है, नफरत तो इश्क मेरी  भी आदत है
                चल देखते है, आज कि किसमे कितनी ताकत है....
                  कि तेरी नफरत जो कर दे जुदा मुझको मुहब्बत से तो मै भी मान लुंगी कि झूठी इबादत है...
                             मेरा है मगर  करता ये दिल तेरी हिमायत है, कि खुद को तोडने की ये तुझे देता रियायत है
                            खुदा से मांगी है... अब तक दुआएँ जितनी  भी इसमे तुझे जो मिलती है, खुशियाँ ये उनकी ही इनायत है.....
              किसी  को दर्द देकर जो मिले वो कैसी राहत है किसी से नफरत करने की भला ये कैसी चाहत है...
                 कि युँ तो हुई है अब तक हजारो जंग दुनिया मे वो लेकिन प्यार है जिसने रखी दुनिया सलामत है...
               दुनिया मे न जाने अब चली कैसी रवायत है, अब तो इश्क मे भी लोग लगे करने सियासत है,,,
                कि खुद तो दे नही सकते किसी को प्यार बदले मे कोई इनसे करे इन्हे उसमे भी शिकायत है....

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