रविवार, 12 जुलाई 2020

!!भजन!!

!!भजन!!
जन्म से ही रोगी तन सहज विचार मन,
यही तो मिला है धन स्वांसा के संग में।
मोह मद पान की बावरी बनी है बुद्धि,
चित्त भी तो लगता नहीं है सत्संग में।
सूखा सा जीवन सदा भोग का ही भूखा रहे,
सूखे पड़े नैन नहिं पुलकावलि अंग में।
पाहि-पाहि पवन कुमार बजरंग बली,
रंग लो राजेश को श्री राम प्रेम रंग में।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
श्री जानकी पद कंज भज मन हरन शरणागत भयम्ज
न दीन मानस मधुप हित मकरन्द युत जलजद्वयम्ह
नुमन्त सेवित लगन गीत भरत अपभय मोचनम्
मिथिला महि पावन करन संताप सोच विमोचनम्भ
गवन्त रति रस वारि धन त्रय ताप तापित तारकम्र
घुनंद उर आनंद वर्धन प्रणत जन उद्धारकम्भ
व सिंधु बो हित पतित पावन प्रकट करुणा विग्रहम्आ
श्रित मनोरथ कल्प तरु राजेश जीवन जीवनम्।।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
गाये जा निरंतर श्री राम जानकी का जस,
राम नाम मंत्र नित्य वाणी को जपाये जा।
पाये जा पदारथ चारि संतों की संगति में,
उन्हीं का संदेश शुभ सबको सुनाये जा।
नाये जा शीष तू 'राजेश गुरु चरण मध्य,
भूलके कुसंग में न खुद को मिलाये जा।
लाये जा पवित्र भाव अपने में मेरे मन,
तुलसी के मानस में डुबकी लगाये जा।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!! 
ये तन कीमती है मगर है विनाशी,
कभी अगले छन के भरोसे न रहना।।
निकल जायेगी छोड़ काया को पल में,
सदा श्वांस धन के भरोसे न रहना।।
इक पल में योगी एक पल में भोगी,
पल भर में ज्ञानी पल में वियोगी॥
बदलता जो क्षण-क्षण में वृत्ति अपनी,
सदा अपने मन के भरोसे न रहना।।
हम सोचते काम दुनियां के कर लें,
धन धाम अर्जित कर नाम कर लें।।
फिर एक दिन बन कर साधू रहेंगे,
उस एक दिन के भरोसे न रहना।।
तुझको जो मेरा-मेरा कहेंगे,
जरूरी नहीं वे भी तेरे रहेंगे।
मतलब से मिलते हैं दुनियां के साथी
सदा इस मिलन के भरोसे न रहना।।

" राजेश" अर्जित गुरु ज्ञान कर लो,
या प्रेम से राम गुन-गान कर लो।।
अथवा श्रीराम-नाम रटो नित नियम से,
किसी अन्य गुन के भरोसे न रहना ।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
संसार स्वप्न माया आनंद रूप अपना
गुरुदेव ने लखाया आनंद रूप अपना
है पंचभूत निर्मित बनने बिगड़ने वाली,
यह नाशवान काया आनंद रूप अपना
हालात के मुताबिक क्षण-क्षण में मन बदलता
मुझमें न फर्क आया आनंद रूप अपना
निश्चय हुआ मैं वो हूँ जिसको कि वेद चहं में
कह नेति नेति गया आनंद रूप अपना
आवे नहीं न जावे साक्षी सदा है स्थिर
जावे वही जो आया, आनंद रूप अपना
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
कितना खोया कितना पाया तोल सके तो तोल।
तूने हीरा गवाया पगले माटी के मोल
विरहिन क्यों उलझी झंझट में, तेरा पिया है तेरे घट में
कह गये दास कबीर देख ले "घूंघट के पट खोल" तूने हीरा

बिन भगवन्त भजन पछितायों, रे मन मूरख जनम गंवायो
गूंज रहे जन जन के मन में सूरदास के बोल, तूने हीरा

पीकर प्रेम सुधारस प्याली, बोल उठी मीरा मतवाली
"राम रतन धन पायो" सद्गुरु ने दी वस्तु अनमोल, तूने हीरा

अब तो चेत रे अभिमानी, गूंज रही तुलसी की वानी,
'भाय कुभायं अनख आलसहु नाम प्रभु का बोल, तूने हीरा

श्री चैतन्य कृष्ण मतवारे डोल डोलकर द्वारे-द्वारे
क्षण भंगुर संसार अविनाशी, सार कह्यो श्री गुर अविनाशी
जन 'राजेश' सुमिर हरि को फिर जो चाहे जँह डोल, तूने हीरा।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!!
हे नाथ क्या ये विनती स्वीकार अब न होगी।
आश्रित पै अनुग्रह की भरमार अब न होगी
पतितों के तारने के किस्से पड़े पुराने
क्या एक नई कहानी तैयार अब न होगी।
गर है स्वाभाव बदला तो साफ साफ कह दो
हुई बार बार करूणा इस बार अब न होगी।
रहते थे जिसके बस में जो आपको था प्यारा
उस प्रेम की भी शायद दर कार अब न होगी
दुख दूर कर दो ताकि "राजेश" भी ये बोले
एहसान मानता हूँ तकरार अब न होगी।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏

!!भजन!!

!!भजन!! 
श्री गुरुदेव दया करि कैं,
मोहि से सठ को निज दास बनायो।
नश्वर देह को नेह तजो,
प्रभु प्रेमी बनो यह पाठ पढ़ायो।
राघव के गुण गाइवे कों,
करुणा करि कै सिय भाव जगायो।
सौंपत आज सिराजेशपि उन्हें,
है कृपा उनकी में प्रसाद जो पायो।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏

!!भजन!!

!!भजन!! 
प्रीति करो रघुनायक सों,
अरु राही बनों गुरु ज्ञान गली के।
दीन दयाल को नाम रटो,
बस दास रहो बजरंग बली के।
रंक "राजेश" ना कोउ अपने,
सब मीत सदा तकदीर भली के।
रे मन छोड़ो नहीं कब हूँ,
पद पंकज श्री मिथिलेश लली के।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी 🙏

!!भजन!!

!!भजन!! 
बन कर के दास जिसने गुरु ज्ञान पा लिया,
सचमुच उसी ने जग में भगवान कालिया।
सद्गुरु चरण में किसको जगह मिली हो,
उसने स्वर्ग से बड़ा स्थान पा लिया।
होगी पवित्र वाणी संदेह कुछ नहीं है।
यदि प्रेम से गुरु का गुणगान गा लिया।
जिनकी कृपा से रंक भी राजेश बन गये
हमने तो ऐसा अनुपम धनवान पा लिया।
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंन्द जी🙏