शनिवार, 16 जून 2018

    😌फिर मेरी याद😍

फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
फिर मेरे Facebook पर आकर वो
खुद को बैनर बना रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2

अपने बेटे का चूम कर माथा
मुझको टीका लगा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2

फिर उसी ने उसे छुआ होगा
फिर उसी से निभा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2

जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सलवट हटा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2

फिर से एक रात कट गई होगी
फिर से एक रात आ रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी....2

       कवि :- कुमार विश्वास

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें