😌फिर मेरी याद😍
फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
फिर मेरे Facebook पर आकर वो
खुद को बैनर बना रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2
अपने बेटे का चूम कर माथा
मुझको टीका लगा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2
फिर उसी ने उसे छुआ होगा
फिर उसी से निभा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2
जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सलवट हटा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2
फिर से एक रात कट गई होगी
फिर से एक रात आ रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी....2
कवि :- कुमार विश्वास
फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
फिर मेरे Facebook पर आकर वो
खुद को बैनर बना रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2
अपने बेटे का चूम कर माथा
मुझको टीका लगा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2
फिर उसी ने उसे छुआ होगा
फिर उसी से निभा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2
जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सलवट हटा रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी....2
फिर से एक रात कट गई होगी
फिर से एक रात आ रही होगी
फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी....2
कवि :- कुमार विश्वास
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