💪कविता:- भारतीय सैनिक की विशेषता💪
शुरू से आज तक इतिहास देता यह गवाही है,
हमारी वीरता मृत्युंजयी है, शौर्य व्याही है
अलग से ना वो लोहा है, ना पत्थर है, ना शोला है
सभी का सम्मिलित प्रारूप, वो एक सिपाही है ।।
(1) चुन-चुन के जिन्हे सहज के ना रखा जाने,
कितने अमूल्य हीरे भारती के खो गए
देकर बलिदान खुद हो गए अमर किंतु,
वे समस्त भारत को शोक में डूबो गए
सारा देश उनका ऋणी रहेगा, वीरता से
लड़ते हुए जो मां के आंचल में सो गए
शत-शत बार देश करता प्रणाम उन्हें
वो जो मातृभूमि के लिए शहीद हो गए
(2) बचपन बीता जहां खेला खाया बढ़ा हुआ
आती है क्या याद उस आंचल की छांव की
पात जो खड़क जाते, रात को मैं चौक जाती,
ऐसा लगाे, आहट हो जैसे तेरे पांव की
बात सुत आ रहा है, ये भी लगता है क्योंकि
काग भी लगा रहा है, रट कांव कांव की
लौट के तू आजा, मेरे लाल तुझे चूम लूं मैं
तुझको पुकार दे ये माटी तेरे गांव की।।-2
कवि:- श्री मनवीर मधुर(मथुरा)
शुरू से आज तक इतिहास देता यह गवाही है,
हमारी वीरता मृत्युंजयी है, शौर्य व्याही है
अलग से ना वो लोहा है, ना पत्थर है, ना शोला है
सभी का सम्मिलित प्रारूप, वो एक सिपाही है ।।
(1) चुन-चुन के जिन्हे सहज के ना रखा जाने,
कितने अमूल्य हीरे भारती के खो गए
देकर बलिदान खुद हो गए अमर किंतु,
वे समस्त भारत को शोक में डूबो गए
सारा देश उनका ऋणी रहेगा, वीरता से
लड़ते हुए जो मां के आंचल में सो गए
शत-शत बार देश करता प्रणाम उन्हें
वो जो मातृभूमि के लिए शहीद हो गए
(2) बचपन बीता जहां खेला खाया बढ़ा हुआ
आती है क्या याद उस आंचल की छांव की
पात जो खड़क जाते, रात को मैं चौक जाती,
ऐसा लगाे, आहट हो जैसे तेरे पांव की
बात सुत आ रहा है, ये भी लगता है क्योंकि
काग भी लगा रहा है, रट कांव कांव की
लौट के तू आजा, मेरे लाल तुझे चूम लूं मैं
तुझको पुकार दे ये माटी तेरे गांव की।।-2
कवि:- श्री मनवीर मधुर(मथुरा)
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