कविता:- बलिदान रहेगा सदा अमर, मरदानी लक्ष्मीबाई का
(1) निर्जला शुष्क सी धरती पर, मानवता जब कुम्भलाती है
जब घटा टोप अंधीयारों में स्वतंत्र घड़ी अकुलाती है
जब नागफनी को पारिजात के, सदृश्य बताया जाता है
जब मानव को दानव होने का बोध कराया जाता है
जब सिंहनाद की जगह, सिंघालों की आवाजें आती हैं -2
जब कोओं के आदेशों पर कोयलें बाध्य हो गाती हैं
जब अनाचार की परछाई सुविचार घटाने लगती है,
जब कायरता बनकर मिसाल मन को तड़पा ने लगती है
तब धर्म युद्ध के लिए हमेशा, शस्त्र उठाना पड़ता है -2
देवी हो अथवा देव रूप धरती पर आना पड़ता है
हर कोना भरा वीरता से, इस भारत की अंगनाई का -2
बलिदान रहेगा सदा अमर मरदानी लक्ष्मीबाई का
(2) गोरों की सत्ता के आगे, थे जब वीरों के झुके भाल
झांसी पर संकट छाया तो जल उठी सूर्य की महाज्वाल
अबला कहते थे लोग जिसे, जब पहली बार सबल देखी
भारत क्या पूरी दुनिया ने नारी की शक्ति प्रबल देखी
लेकर कृपाण संकल्प किया-2, निज धरा नहीं बटने दूंगी
मेरा सिर चाहे कट जाए अस्तित्व नहीं घटने दूंगी
पति परम धाम को चले गए, मैं हिम्मत कैसे हारूंगी
मर जाऊंगी समरांगण में या तो गैरों को मारूंगी
त्यागे श्रंगार अवस्था के(22), रण के आभूषण धार लिए
जिन हाथों में कंगन खनके उन हाथों में हथियार लिए
शिशु पृष्ठ भाग पर बांध लिया2-3, बलिगायें सादी दातों में
फिर घोटक पर होकर सवार, गहलिए खड़ग निज हाथों में
जब तक मही🌍 शेष 🐍 सीस पर है, है उदाहरण तरुणाई का
बलिदान रहेगा सदा अमर, मरदानी लक्ष्मीबाई का
(3) गौरों की सेना पर रानी, दावानल बनकर छाई थी-2
रणचंडी ने खप्पर भरकर तब अपनी प्यास बुझाई थी
उड़ चला पवन के वेग पवन, बादल बादल बन बरस गया
चपलासम तलवारे चमक उठी दुश्मन पानी को तरस गया
रण बीच अकेली डटी रही-2, साहस के तब पौबारे थे
दुश्मन से बाजी जीत गए पर हम अपनों से हारे थे-2
त्रेता में पद-लोलूप होकर, भाई को जब मरवाता है
द्वापर में राज्य हड़पने को जब महायुद्ध हो जाता है
सत्ता को अक्षुण्ण रखने का-2, जब लोभ-मोह जग जाता है
तब गद्दारी का कुटिल दाग उसके माथे लग जाता है
इतिहास साक्षी बन जाता है-2, हर अकथनीय सच्चाई का
बलिदान रहेगा सदा अमर, मरदानी लक्ष्मीबाई का ||
कवियत्री:- कविता तिवारी
(1) निर्जला शुष्क सी धरती पर, मानवता जब कुम्भलाती है
जब घटा टोप अंधीयारों में स्वतंत्र घड़ी अकुलाती है
जब नागफनी को पारिजात के, सदृश्य बताया जाता है
जब मानव को दानव होने का बोध कराया जाता है
जब सिंहनाद की जगह, सिंघालों की आवाजें आती हैं -2
जब कोओं के आदेशों पर कोयलें बाध्य हो गाती हैं
जब अनाचार की परछाई सुविचार घटाने लगती है,
जब कायरता बनकर मिसाल मन को तड़पा ने लगती है
तब धर्म युद्ध के लिए हमेशा, शस्त्र उठाना पड़ता है -2
देवी हो अथवा देव रूप धरती पर आना पड़ता है
हर कोना भरा वीरता से, इस भारत की अंगनाई का -2
बलिदान रहेगा सदा अमर मरदानी लक्ष्मीबाई का
(2) गोरों की सत्ता के आगे, थे जब वीरों के झुके भाल
झांसी पर संकट छाया तो जल उठी सूर्य की महाज्वाल
अबला कहते थे लोग जिसे, जब पहली बार सबल देखी
भारत क्या पूरी दुनिया ने नारी की शक्ति प्रबल देखी
लेकर कृपाण संकल्प किया-2, निज धरा नहीं बटने दूंगी
मेरा सिर चाहे कट जाए अस्तित्व नहीं घटने दूंगी
पति परम धाम को चले गए, मैं हिम्मत कैसे हारूंगी
मर जाऊंगी समरांगण में या तो गैरों को मारूंगी
त्यागे श्रंगार अवस्था के(22), रण के आभूषण धार लिए
जिन हाथों में कंगन खनके उन हाथों में हथियार लिए
शिशु पृष्ठ भाग पर बांध लिया2-3, बलिगायें सादी दातों में
फिर घोटक पर होकर सवार, गहलिए खड़ग निज हाथों में
जब तक मही🌍 शेष 🐍 सीस पर है, है उदाहरण तरुणाई का
बलिदान रहेगा सदा अमर, मरदानी लक्ष्मीबाई का
(3) गौरों की सेना पर रानी, दावानल बनकर छाई थी-2
रणचंडी ने खप्पर भरकर तब अपनी प्यास बुझाई थी
उड़ चला पवन के वेग पवन, बादल बादल बन बरस गया
चपलासम तलवारे चमक उठी दुश्मन पानी को तरस गया
रण बीच अकेली डटी रही-2, साहस के तब पौबारे थे
दुश्मन से बाजी जीत गए पर हम अपनों से हारे थे-2
त्रेता में पद-लोलूप होकर, भाई को जब मरवाता है
द्वापर में राज्य हड़पने को जब महायुद्ध हो जाता है
सत्ता को अक्षुण्ण रखने का-2, जब लोभ-मोह जग जाता है
तब गद्दारी का कुटिल दाग उसके माथे लग जाता है
इतिहास साक्षी बन जाता है-2, हर अकथनीय सच्चाई का
बलिदान रहेगा सदा अमर, मरदानी लक्ष्मीबाई का ||
कवियत्री:- कविता तिवारी
अद्धभुत ,रोंगटे खड़े कर देनें वाली कविता।।
जवाब देंहटाएंबलिदान रहेगा सदा अमर मर्दानी लक्ष्मी बाई का।।
Thnk u
हटाएंWah....
जवाब देंहटाएं🙏
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअद्भुत बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंExcellent Motivating
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