अखियों के झरोखों से मैने देखा जो सावरे तुम दूर नज़र आये, बड़ी दूर नज़र आये बंद कर के झरोखों को ज़रा बैठी जो सोचने मन में तुम ही मुस्काए, मन में तुम ही मुस्काए एक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाए मुझे कुछ होने लगा है एक तेरे भरोसे पे सब बैठी हूँ भूल के यूँ ही उम्र गुजर जाए, तेरे साथ गुजर जाए जीती हूँ तुम्हे देखके मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनियाँ है वही पे दिन रात दुआ माँगे मेरा मन तेरे वास्ते कही अपनी उम्मीदों का कोई फूल ना मुरझाए मैं जब से तेरे प्यार के रंगो में रंगी हूँ जगते हुए सोयी रही, नींदो में जगी हूँ मेरे प्यार भरे सपने, कही कोई न छीन ले मन सोच के घबराए, यही सोच के घबराए
गुरुवार, 25 जून 2015
Radheeeeeeeee
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