गुरुवार, 25 जून 2015



आने से उस के आए बहार
जाने से उस के जाए बहार
बडी मस्तानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी जिंदगानी है, मेरी मेहबूबा

गुनगुनाए ऐसे जैसे बजते हो घुंगरु कही पे
आके परबतों से जैसे गिरता हो झरना जमीं पे
झरनों की मौज है वो, मौजों की रवानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी जिंदगानी है, मेरी मेहबूबा

बन सँवर के निकले, आए सावन का जब जब महीना
हर कोई ये समझे, होगी वो कोई चंचल हसीना
पूछो तो कौन है वो, रुत ये सुहानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी जिंदगानी है, मेरी मेहबूबा

इस घटा को मैं तो उसकी आँखों का काजल कहूँगा
इस हवा को मैं तो उसका लहराता आँचल कहूँगा
कलियों का बचपन है, फूलों की जवानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी जिंदगानी है, मेरी मेहबूबा

बीत जाते हैं दिन, कट जाती हैं आँखों में रातेंt
हम ना जाने क्या क्या, करते रहते हैं आपस में बातें
मैं थोडा दीवाना, थोडीसी दीवानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी जिंदगानी है, मेरी मेहबूबा

सामने मैं सब के नाम उसका नही ले सकूँगा
वो शरम के मारे रुठ जाए तो मैं क्या करूँगा 
हुरोंकी मलिका है, परीयों की रानी है, मेरी मेहबूबा
मेरी जिंदगानी है, मेरी मेहबूबा

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