सूर अनेक फिरे कन मांगत,
पर पद सूर सो स्वाद कहां।
पुनि ताल मजीरा बजाती फिरे,
मीरा मतवारी सीता कहां।
सिया राम कथा कितनों ने लिखी,
तुलसी जैसी मरजात कहां।
नरसिंह बसे प्रतिखंम्बन में,
पर काढन को प्रहलाद कहां।।
पर काढन को प्रहलाद कहां।।
जय हो
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