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राधारमण, बाधा हरण। मंगल करण, शरण तेरी।।
हौं अनाथ तो नाथ तू। दीनानाथ, शरण तेरी।।
राधारमण....
पापी हौं, हूं नीच अधर्मी।
पापहर्ता, शरण तेरी।।
राधारमण....
दीन हौं मलीन हौं। कामी ओ क्रोधी हौं,
लोभी अति भारी, कृपासिन्धु शरण तेरी।।
राधारमण, बाधा हरण। मंगल करण, शरण तेरी।।
महाराज श्री की कृपा 🙏🏻देव🖋️
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