शनिवार, 17 मई 2025

राधारमण, बाधा हरण !



राधारमण, बाधा हरण। मंगल करण, शरण तेरी।।

हौं अनाथ तो नाथ तू। दीनानाथ, शरण तेरी।।

राधारमण....

पापी हौं, हूं नीच अधर्मी। 

पापहर्ता, शरण तेरी।।

राधारमण....

दीन हौं मलीन हौं। कामी ओ क्रोधी हौं,

लोभी अति भारी, कृपासिन्धु शरण तेरी।।

राधारमण, बाधा हरण। मंगल करण, शरण तेरी।।

महाराज श्री की कृपा 🙏🏻देव🖋️

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें