शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

मैं आंखों से आंसू गिराता नहीं हूं,
ये मोती हैं तेरे, यूं ही लुटाता नहीं हुं

हों पत्थर या हीरे या मोती, जवाहरात,
तेरे दर्द से आगे मैं जाता नहीं हूँ

खुदी को मुझे दे दिया उसने जब से,
उसे अब कभी आजमा ता नहीं हूँ

बचाता है वही बलाओं से मुझको,
मैं खुद को कभी भी बचाता नहीं हूँ

मेरा चेहरा वो जब से पढ़ने लगा है,
उसे अब कभी कुछ बताता नहीं हूँ
          🙏आपका देव🙏

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