रविवार, 21 अक्टूबर 2018

किसी ने कहा वो आते नहीं बड़े बेदर्दी हैं
यूं ही कुछ लोगों ने उसे बेवफा बना रखा है।।

उतरा सागर में जो उसको मोती मिले,
खोज की जो मेरी मुझे पा गया
नुक्ताची, संकावादी को मैं ना मिला,
भिलनी का मुझे भोलापन भा गया।।

तूने मुरत कहा मैं मुरतवान था,
तूने पत्थर कहा मैं तो पाषाण था
यह तो अपने विश्वास की बात है,
धन्ने जट्ट ने बुलाया, मैं झट आ गया।।

प्यार तो प्यार है सीधी सी बात है,
प्यार कब पूछता है कि क्या जात है
चाहे हिंदू हो,सिख हो या हो मुसलमान,
मुझको रसखान सलवार पहना गया।।

तूने हृदय से मुझको बुलाया नहीं,
बिन बुलाए कभी मैं भी आया नहीं
तूने हृदय से मुझको खिलाया नहीं,
मैं तो विदुरायिन के छिलके तक खा गया।।
               🙏राधे राधे🙏

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