सोमवार, 29 अप्रैल 2019

!!पद!!

सूर अनेक फिरे कन मांगत,
पर पद सूर सो स्वाद कहां।
पुनि ताल मजीरा बजाती फिरे,
मीरा मतवारी सीता कहां।
सिया राम कथा कितनों ने लिखी,
तुलसी जैसी मरजात कहां।
नरसिंह बसे प्रतिखंम्बन में,
पर काढन को प्रहलाद कहां।।
 महामंत्र
महामंत्र यह जपकर हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत्
असुरों ने जब अग्नि का खंभा रचा था,
तो निर्दोष प्रहलाद क्यों कर बचा था
कौन सा शब्द उसकी जुबान पर,
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

लगी पूछने जब हिमाचल कुमारी,
कि है कौन सा मंत्र कल्याणकारी
तो यूं बोले महादेव शंकर,
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

लगी आग लंका में हलचल मचा था
क्यों कर घर विभीषण का बचा था,
लिखा था नाम कुटिया के ऊपर यही था
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

सुना था हमने गणिका तरी थी,
कहो उसने कौनसी भक्ति करी थी
पढ़ाया नाम तोते को यही उसने,
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

कहो नाथ शबरी के घर क्यों आए
अगर आए भी तो झूठे बेर क्यों खाए
ह्रदय में यही था दिल में यही था जब़ाँ पे यही था
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

हलाहल का मीरा ने प्याला पिया था
कहो विश का अमृत है या क्यों कर किया था,
दीवानी थी मीरा इसी नाम की
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

सभा में द्रोपती खड़ी रो रही थी
तो लज्जा के आंसुओं से मुंह धो रही थी
पुकारा था नाम दिल से उसने,
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

हरिओम ने इतनी शक्ति भरी थी
गरुड़ छोड़ आए न देरी करी थी,
बढ़ा चीर उसका यही रंग रंगा था
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

अगर घेरे चांडाल दुष्ट कोई
न हो पास तकदीर से ढाल कोई
तो भय दूर हो बोल उठे जो संभव कर
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

हरिओम की एक माला बनाकर
जपो  रात दिन अपने दिल को लगा कर
करो कीर्तन और यह नाम गाओ
हरि ॐ तत्सत हरि ॐ तत्सत।।

परम पूज्य संत श्री नित्यास्वरूपाचार्य जी महाराज के श्री मुख से
 पुष्पांजलि
हे दीनबंधु दयालु रघुवर दीन हित रत सर्वदा
भव हरण तारण तरण अशरण शरण जनमंगल प्रदा
हे कृपा सिंधु अनाथ नाथ कृपाल कोमल चित सदा
हे पतित पावन अघन सावन हरण दासन आपदा
हे देव रंजन असुर भंजन धरन धरनी मंगलम्
हे जगतपति जगदीश जगहित करण करुणा कोमलं
हे नाथ कलि काल ग्रसित व्याकुल सिया सपन जन रावरे
हां त्राहिमाम प्रभु त्राहिमाम प्रभु शरण आयो बावरो।।

सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत्।।
पुज्य संत श्री नित्यास्वरूपाचार्य जी महाराज के श्री मुख से
भरोसा कर तू ईश्वर पर, तुझे धोखा नहीं होगा।
यह जीवन बीत जाएगा तुझे रोना नहीं होगा।।
कभी दुख है कभी सुख है यह जीवन धूप छाया है।
हंसी में ही बता डालो बितानी ही यह माया है।।
जो सुख आये तो हंस देना, जो दुख आए तो सह लेना।
ना कहना कुछ कभी जग से, प्रभु से ही तु कह लेना।।
भरोसा कर तु ईश्वर पर तुझे धोखा नहीं होगा।।
पुज्य संत श्री नित्यास्वरूपाचार्य जी महाराज के श्री मुख से

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

 नरसी जी के सेठ साँवल साह जी
सिद्धश्री जूनागढ़ के, भक्तराज नरसी को
कहींयो हमारी जाए... जय नरसी की
संतन की हुंडी पटाए, याद कीन्हों मोहे
बात यह हीय मे लागी अति नीकी है

भेजत संदेशो, किंतु खुद आवत नाही,
यही खटकत हिय मे वेदना बड़ी फीकी है
जान के मुनीम... फिर याद करना हमें
कामकाज लिखना, यह दुकान आप ही की है
      "आपका मुनीम सेठ सांवल साह द्वारिका"
🙏परम पूज्य महाराज श्री राजेश्वरानंद जी के श्रीमुख से🙏
 केदार राग उधारी चुका के लाये 🙏🙏🙏