मंगलवार, 25 सितंबर 2018

भक्ति जैसों नाथ नहीं, भरत-सो मिलाप नहीं,
सिय-सी ना मात, तीन-लोक काहू ठौर है
सबरी-सों प्रेम नहीं, लक्ष्मण सो नेम नहीं,
हनुमत-सी ना सेवा, जो साधु सिरमौर है
भारत-सो देश नहीं, राम-सो राजेश नहीं,
वेद सो संदेश नहीं, सुग्रीव-सो ना दौर है
गंन्ध-सो ना पानी, महादेव-सो ना दानी,
संत तुलसी की वाणी-सी, ना वानी कहूं और है।।
               🙏आपका देव 🙏

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