शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

हँस-२ 😊कर मिलते हैं भीतर से जलते 🔥हैं
हम और 😘समझते हैं वो और👺 निकलते हैं

सुरत तो भोली ☺है मन में चालाकी 👿हैं
खोटे सिक्के अक्सर ज्यादा नहीं चलते हैं

सच झुठ का पर्दा तो एक दिंन उठ जाना है
कौए-कोयल संग में धोखे से पलते हैं
हँस-२ कर मिलते हैं.....

मुँख से कुछ कहते 🐰हैं करनी कुछ होती🐗 है
दो रंगी फितरत से खुद को ही छलते हैं

हँस-२ 😊कर मिलते हैं भीतर से जलते🔥 हैं
हम और 😘समझते हैं वो और👺 निकलते हैं
       🙏आपका देव🙏

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