वर्तमान जैसे तैसे कटता सभी का किन्तु
व्यापक भविष्य की कहानी होनी चाहिए
मर कर एक रोज़ जाना सबको पड़ेगामरने के बाद भी निशानी होनी चाहिए
अश्रुओं की धार के समक्ष घुटने न टेके
हिन्द वाली बेटी स्वाभिमानी होनी चाहिए
वक्त आ पड़े तो बैरियों का वक्ष चीर डाले
लक्ष्मी बाई जैसी मर्दानी होनी चाहिए